गुरुवार को प्रधानमंत्री देश के 100 जिलों के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत करेंगे। इनमें कुरुक्षेत्र समेत हरियाणा के 12 ज़िले भी शामिल हैं। एनडीटीवी ने ज़िले के दो गावों का दौरा किया जहां लिंगानुपात सबसे ज़्यादा और कम है, दोनों गावों में हालात एक जैसे हैं।
लोटनी गांव सबसे बेहतर लिंगानुपात के मामले में हरियाणा में तीसरे नंबर पर है। 2013 के सर्वे के मुताबिक, यहां जन्म के समय एक हज़ार लड़कों पर 1909 लड़कियां हैं। लेकिन इस उपलब्धि का गांव को कोई फायदा नहीं मिला। यहां के मिडिल स्कूल में 74 बच्चों के लिए सिर्फ एक टीचर है। स्टाफ की कमी के चलते कई बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन सबके पास फीस के पैसे नहीं। गरीब तबकों के लिए सरकार ने कोटा तय किया है, लेकिन प्राइवेट स्कूल नहीं मानते। जय नयना की दो बेटियां प्राइवेट स्कूल में पड़ती हैं लेकिन स्कूल ने फीस माफ़ करने से इंकार कर दिया है। सब जगह चक्कर काट लिया, कुछ हासिल नहीं हुआ। वह कहते हैं, 'हमारे स्कूल में टीचर पूरे होने चाहिए,हमारे यहां 1100 लड़कियां हैं लेकिन आज तक कोई मदद नहीं मिली। जन्म के समय चार हज़ार रुपये मिलते हैं, जब वह 18 की होगी तोह उसकी क्या वैल्यू रह जाएगी। सिर्फ बेटी बचाओ बेटी बचाओ कहने से कुछ नहीं होगा, उनकी मदद करनी पड़ेगी।'
यहां से 30 किलोमीटर दूर, हरिपुर को लिंगानुपात के मामले में प्रदेश का सबसे पिछड़ा गांव माना जाता है। यहां एक हज़ार लड़कों पर सिर्फ 250 लड़कियां ही हैं। गांव वाले कहते हैं की सिर्फ बीपीएल वालों को सरकारी स्कीम का फायदा मिलता है। पंचायत सदस्य गुरदेव सिंह के मुताबिक आजकल लड़की की शादी पर दस लाख रुपये का खर्च आता है, गरीब आदमी के बस से बहार है। वह कहते हैं, 'गरीब आदमी कहा से लाएगा ऊपर से लालन पालन का भी खर्च इसलिए यहां लड़कियों का मामला थोड़ा डाउन है।' आगे कहते हैं की, 'शगुन स्कीम तो सिर्फ बीपीएल वालो के लिए है अब नई सरकार आई है पता नहीं वह भी मिलेगा या नहीं।'
प्रदेश की नई बीजेपी सरकार ने बेहतर लिंगानुपात वाले ज़िलों के लिए अलग से फंड का वादा किया है। पानीपत में दो दिन के सम्मलेन के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, 'हम बेहतर प्रदर्शन करने वाले ज़िलों के लिए अलग से कोष बनाएंगे बेटियों की पढाई, स्कालरशिप, शादी, टॉयलेट और कुपोषण दूर करेंगे।'
2011 की जनगणना के बाद हरियाणा में लिंगानुपात कुछ सुधरा है लेकिन यह अब भी देश में सबसे कम है। शायद यही वजह है की प्रधानमंत्री मोदी ने बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत करने के लिए राज्य को चुना।
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