हाल ही में शपथ लेने वाले मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया पर यूनिवर्सिटी की मार्कशीट में जालसाज़ी का मामला चल सकता है। इस मामले पर कठेरिया ने कहा है कि वह अगर दोषी साबित हुए तो मंत्री ही नहीं, सांसद पद से भी इस्तीफा दे देंगे।
दरअसल, वर्ष 2010 में उनके विरोधी बसपा उम्मीदवार ने उनके खिलाफ जालसाजी और बेईमानी की शिकायत दर्ज करवाई थी, और आरोप लगाया था कि कठेरिया ने अपनी बीए सेकंड ईयर और एमए फाइनल की मार्कशीट में जालसाजी की, ताकि आगरा विश्वविद्यालय में लेक्चरर की नौकरी मिल सके। हालांकि राज्यमंत्री का दावा है कि यह पूरा मामला राजनीतिक और बोगस है, और उन्होंने राज्य के शिक्षा विभाग की जांच में क्लीन चिट मिलने का भी दावा किया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कठेरिया के ऐतराज़ को खारिज कर दिया है, और आगरा सेशन कोर्ट को मामले की सुनवाई का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई अब 26 नवंबर को होगी। अगर कठेरिया इस मामले में दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें सात साल तक की सज़ा हो सकती है।
एनडीटीवी के पास कोर्ट में पेश की गई मार्कशीट की प्रतियां हैं, जिन्हें फर्जी बताया जा रहा है, और आरोप है कि जालसाजी एक बार नहीं, दो बार की गई। कठेरिया पर एमए फाइनल की मार्कशीट में भी जालसाजी का आरोप है। बताया गया कि साहित्यिक लेखन के सिद्धांतों विषय में उन्हें 38 नंबर मिले था, लेकिन उनकी कथित नकली मार्कशीट 72 नंबर बता रही है। बीए सेकंड ईयर की मार्कशीट भी फर्जी बताई जा रही है, क्योंकि हिन्दी साहित्य में जहां उन्हें 43 नंबर मिले थे, वहीं फर्जी बताई जा रही मार्कशीट में 53 नंबर दर्ज थे। साथ ही इसी तरह अंग्रेज़ी में भी फर्जी मार्कशीट में 52 नंबर मिले दिखाए गए हैं, जबकि बताया गया कि उन्हें वास्तव में 42 नंबर मिले थे।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उन्हें यकीन है कि प्रधानमंत्री गंभीर आपराधिक आरोपों वाले किसी नेता को अपने कैबिनेट में शामिल नहीं करेंगे, लेकिन आगरा से दो बार के सांसद रामशंकर कठेरिया को मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया है। उन पर चार साल पहले भी धोखाधड़ी और बेईमानी के आरोप लगे थे।
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