विज्ञापन
This Article is From Aug 06, 2013

गरीबी सिर्फ एक मानसिक अवस्था है : राहुल गांधी

गरीबी सिर्फ एक मानसिक अवस्था है : राहुल गांधी
इलाहाबाद: योजना आयोग द्वारा तय किए गए गरीबी रेखा के नए विवादास्पद पैमाने पर नेताओं की बयानबाजी फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रही है। राज बब्बर समेत कई कांग्रेसी नेताओं के बयानों पर मची हायतौबा अभी खत्म भी नहीं हुई कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गरीबी की अजीबो- गरीब परिभाषा तय करके एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।

इलाहाबाद के गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान का दावा है कि राहुल गांधी ने उनके कार्यक्रम में यह बयान दिया है कि गरीबी सिर्फ एक मानसिक स्थिति यानी दिमागी हालत है और इसका खाना खाने, रुपये और भौतिक चीजों से कोई वास्ता नहीं है। राहुल गांधी के मुताबिक़, जब तक कोई शख्स खुद में आत्मविश्वास नहीं लाएगा, तब तक वह गरीबी के मकड़जाल से बाहर नहीं निकल पाएगा।

राहुल गांधी के इस बयान का मतलब निकाला जाए तो यह साफ है कि अगर आपके पास पैसे नहीं हैं, ठीक से पेट भरने के लिए खाना नहीं है और आप भौतिक सुख- सुविधाओं से भी दूर हैं तो भी आप खुद के गरीब न होने की गलतफहमी पालते हुए अपने को इससे अलग रख सकते हैं।

गोविन्द बल्लभ पंत संस्थान ने सोमवार की रात को एक प्रेस रिलीज जारी कर राहुल गांधी द्वारा इस तरह का विवादित बयान दिए जाने का दावा किया है। संस्थान ने दलित समुदाय की बेहद पिछड़ी हुई सात जातियों के प्रतिनिधियों से राहुल गांधी व दूसरे कांग्रेस नेताओं के बीच बातचीत और बहस का कार्यक्रम सोमवार की शाम को आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में राहुल गांधी के साथ कांग्रेस महासचिव मधुसूदन मिस्त्री और यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष निर्मल खत्री भी मौजूद थे। सोमवार को ही इलाहाबाद के एक अन्य कार्यक्रम में राहुल गांधी ने बीमारी को गरीबी की सबसे बड़ी वजह बताया था।

इस कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि उनकी सरकार गरीबों के लिए तमाम योजनाएं चला रही है। गरीबी को खत्म करने के भी इंतजाम किए जा रहे हैं, लेकिन गरीबी को तब तक खत्म नहीं किया जा सकता, जब तक कि गरीब अपने आत्मविश्वास और आत्मबल के जरिये इससे बाहर नहीं निकलना चाहेगा। सिर्फ खाना और पैसा मुहैया हो जाने से लोग गरीबी से नहीं उबर सकते हैं। राहुल गांधी के मुताबिक, किसी को कुछ देकर गरीबी नहीं दूर की जा सकती और न ही उसका सोशल स्टेटस बदला जा सकता है।

राहुल गांधी ने यह बातें इलाहाबाद के झूंसी इलाके के गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के दलित रिसोर्स सेंटर द्वारा "संस्कृति- जनतंत्र का प्रसार और अति उपेक्षित समूह" विषयक पर आयोजित कराई गई गोष्ठी में कही। राहुल गांधी इस गोष्ठी में चीफ गेस्ट थे। गोष्ठी में दलित समुदाय की बेहद पिछड़ी हुई जातियों नट -  मुसहर, कंजर धरिकार, सपेरा, चमरमंगता और बांसफोर वगैरह के यूपी के अलग- अलग हिस्सों से आए सैकड़ों प्रतिनिधि भी शामिल थे। इन जातियों के प्रतिनिधियों ने अपनी गरीबी और सामाजिक हालात को बयान करते हुए राहुल गांधी से अपने लिए कुछ किए जाने की मांग की तो बदले में कांग्रेस के युवराज ने उन्हें मेंटल कॉन्फिडेंस के जरिये गरीबी दूर करने की नसीहत दे डाली, हालांकि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राहुल गांधी ने इन जातियों को सियासत में सक्रिय होने और अपने नुमाइंदे तैयार करने की हिदायत दी।

उन्होंने कहा कि मौजूद सियासी हालात में कम तादाद वाली जातियों के लोग एमएलए जैसे बड़े पदों पर नहीं जीत सकते, लेकिन पंचायत चुनावों में वह अपना प्रधान जरूर चुन सकते हैं। उन्होंने इन प्रतिनिधियों से इस नए बने रिश्ते को दूर तक निभाने का भरोसा दिलाया। इस गोष्टी में दूसरी पार्टियों का कोई भी नेता शामिल नहीं था।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
राहुल गांधी, इलाहाबाद में राहुल गांधी, गरीबी पर राहुल गांधी, Rahul Gandhi, Rahul Gandhi On Poverty
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com