यह ख़बर 11 मई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

गिरफ्तारी के बाद रिहा किए गए राहुल गांधी

खास बातें

  • भट्टा परसौल गांव में बुधवार सुबह से किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे राहुल गांधी को रात 11 बजे गिरफ्तार करने के दो घंटे बाद छोड़ दिया गया।
ग्रेटर नोएडा:

भट्टा परसौल गांव में बुधवार सुबह से किसानों के समर्थन में धरने पर बैठे राहुल गांधी को रात 11 बजे गिरफ्तार करने के दो घंटे बाद छोड़ दिया गया। जमानत पर छोड़े जाने के बाद राहुल गांधी ने अपनी गिरफ्तारी से संबंधित कागजात मांगे। राहुल कुछ देर तक थाने पर ही धरना देने लगे। करीब आधे घंटे से कुछ ज्यादा देर तक धरने के बाद राहुल गांधी थाने से बाहर निकल आए। राहुल का काफिला दिल्ली के रवाना हो चुका है। यूपी पुलिस की एक टीम दिल्ली तक राहुल के साथ रहेगी। घटना की विस्तृत जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई थी। राहुल की गिरफ्तारी से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में काफी गुस्सा होने की बात कही जा रही है। इसी के साथ तनाव पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच का माहौल बन गया। राहुल की रिहाई से पहले थाने पर एसडीएम कासना पहुंचे और उन्होंने राहुल की रिहाई के आदेश दिए। राहुल गांधी को गिरफ्तारी के बाद नोएडा के एक गेस्ट हाउस में रखा गया था। कांग्रेस पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह, प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्षा रीता बहुगुणा जोशी और सांसद राज बब्बर को भी हिरासत में लिया गया था। इसके पहले कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी बुधवार की सुबह से ही गांव में मायावती सरकार के खिलाफ किसानों के आंदोलन में शामिल होते हुए किसानों के साथ धरने पर बैठ गए थे। राहुल आज सुबह स्थानीय पुलिस को चकमा देते हुए मोटरसाइकिल पर सवार होकर आंदोलन के केंद्र बने गांव तक पहुंच गए। राहुल सुबह लगभग चार बजे भट्टा पारसौल गांव पहुंचे। राहुल ने पुलिस और किसानों के बीच हिंसक संघर्ष के बाद गोलीबारी की घटनाओं में न्यायिक जांच की भी मांग की। पिछले शनिवार को यहां हुई हिंसा में दो पुलिसकर्मियों समेत चार लोगों की मौत हो गई थी। राहुल के साथ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी पारसौल गांव की चौपाल पर धरने पर बैठे। दोनों नेताओं ने कई घंटों तक ग्रामीणों पर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा किए गए कथित अत्याचारों की घटनाएं भी सुनीं। एसडीएम विशाल सिंह ने राहुल से मुलाकात करके उनसे सुरक्षागत खतरे को देखते हुए धरना खत्म करने की अपील की। विशाल सिंह ने राहुल को सुरक्षा देने में असमर्थता भी जताई क्योंकि वह बिना इत्तला दिए आए थे। इसके बाद राहुल ने अधिकारी से कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वह गांव छोड़ कर नहीं जाएंगे। इन मांगों में हिरासत में कैद किसानों की रिहाई की मांग भी शामिल है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब तक न्यायिक जांच की रिपोर्ट नहीं जमा हो जाती, तब तक किसानों के खिलाफ दायर प्राथमिकियों के संदर्भ में कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने मांग की कि सभी गिरफ्तार किसानों को रिहा किया जाना चाहिए और जबर्दस्ती भूमि अधिग्रहण की कोई घटना नहीं होनी चाहिए। पुलिस महानिरीक्षक रजनी कांत मिश्रा, लखनऊ में प्रदेश के आला सरकारी अधिकारियों के लगातार संपर्क में रहे और उनसे इस बारे में निर्देश लेते रहे कि राहुल के धरने के कारण उपजी परिस्थितियों से कैसे निपटा जाए। समझा जा रहा है कि भट्टा पारसौल गांव में तैनात बड़ी संख्या में पुलिस के जवान अंधेरे में इस गांव में पहुंचे राहुल को नहीं देख सके। राहुल ने जब किसानों से मिलना और उनकी बात सुनना शुरू कर दिया, तब पुलिसकर्मी राहुल को पहचाने। वरिष्ठ अधिकारियों ने राहुल को बताया कि प्रदेश प्रशासन ने भी ग्रामीणों से घर लौटने की अपील की है क्योंकि निर्दोष ग्रामीणों को कोई खतरा नहीं है। पुलिस केवल उन असामाजिक तत्वों को निशाना बना रही है, जिन्होंने पुलिस दल पर गोलीबारी की। कई ग्रामीणों ने राहुल को अपनी चोटों के निशान दिखाए, जो उन्हें कथित तौर पर पुलिस की मार से आईं थीं। ग्रामीणों ने दावा किया कि सभी युवा पुरूषों को या तो पुलिस ने हिरासत में ले लिया है या उन्होंने डर के कारण गांव छोड़ दिया है।(इनपुट भाषा से भी)


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