
कार्ति चिदंबरम (फाइल फोटो)
नई दिल्ली :
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया से घूस लेने के सीबीआई के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. हालांकि इस पूरे मामले की तहकीकात के दौरान एनडीटीवी को कई नए तथ्य मिले हैं जो कार्ति चिदंबरम के दावों पर कई सवाल खड़े करते हैं. हालांकि सवाल सीबीआई जांच को लेकर भी उठ रहे हैं.
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एडवान्टेज नाम की जिस कंपनी के अकाउंट में आईएनएक्स मीडिया ने कथित तौर पर जो पैसे घूस के तौर पर ट्रांसफर किये उसके साथ पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम का कोई संबंध नहीं है. कार्ति के वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दावा किया है. अभिषेक मनु सिंघवी ने एनडीटीवी से कहा, कार्ति चिदंबरम कभी भी एडवान्टेज कंपनी के शेयरहोल्डर या डायरेक्टर नहीं रहे.
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हालांकि मार्च 2016 में कार्ति चिंदबरम ने एनडीटीवी को दिए एक फोन-इंटरव्यू में खुद माना था कि एडवान्टेज कंपनी में 11 महीने के लिए वो शेयरहोल्डर थे. कार्ति चिंदबरम ने कहा था, 'मैं सिर्फ करीब 11 महीने के लिए एडवान्टेज कंपनी में शेयरहोल्डर था. न मैं कंपनी के गठन के समय शेयरहोल्डर था न ही आज शेयरहोल्डर हूं.' हालांकि एनडीटीवी ने इस मामले की तहकीकात में पाया है कि कार्ति चिदंबरम के पास एडवान्टेज कंपनी में अप्रत्यक्ष रूप से मालिकाना हक था.
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कार्ति के पास Ausbridge Holdings नाम की कंपनी में मेजोरिटी स्टेक था और इस कंपनी ने एडवान्टेज कंपनी में 2010 में मेजोरिटी स्टेक खरीदा था. हालांकि 2012 में कार्ति ने Ausbridge से अपना स्टेक हटा लिया था. इस बीच एनडीटीवी की जांच में कार्ति चिदंबरम और नॉर्थस्टार कंपनी के बीच संबधों की बात भी सामने आई है. सीबीआई का आरोप है कि INX ने नॉर्थस्टार कंपनी के ज़रिये भी कार्ति चिंदबरम को पैसे दिये. इस पूरे मामले में नॉर्थ स्टार कंपनी के डायरेक्टर सीबीएन रेड्डी का नाम सामने आया है.
सीबीएन रेड्डी एडवान्टेज कंपनी में डायरेक्टर और शेयरहोल्डर थे जिस पर 2010 से 2012 के बीच में कार्ति का अप्रत्यक्ष रूप से मालिकाना हक था. कार्ति की पत्नी और बेटी ने Kriya FMCG के मेजोरिटी शेयर सीबीएन रेड्डी को ट्रांसफर किए. 2 हफ्ते बाद रेड्डी और Kriya FMCG ने एडवान्टेज कंपनी में मेजोरिटी स्टेक खरीदा. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पहले ही साफ कर चुके हैं कि सरकार का इस जांच से कोई लेना-देना नहीं है और इस बारे में कोई भी स्पष्टीकरण सिर्फ सीबीआई ही दे सकती है.
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हालांकि वरिष्ठ वकील कामिनी जायसवाल ने सीबीआई की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इंद्राणी मुखर्जी का बयान इतनी देर से क्यों लिया गया. साफ है, सवाल कार्ति चिदंबरम के वकील के दावों को लेकर भी उठ रहे हैं और सीबीआई की जांच पर भी. अब देखना होगा कि इस मामले में दोनों पक्ष किस हद तक अपने-अपने दावों को कोर्ट में साबित करने में कामयाब हो पाते हैं.
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एडवान्टेज नाम की जिस कंपनी के अकाउंट में आईएनएक्स मीडिया ने कथित तौर पर जो पैसे घूस के तौर पर ट्रांसफर किये उसके साथ पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम का कोई संबंध नहीं है. कार्ति के वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दावा किया है. अभिषेक मनु सिंघवी ने एनडीटीवी से कहा, कार्ति चिदंबरम कभी भी एडवान्टेज कंपनी के शेयरहोल्डर या डायरेक्टर नहीं रहे.
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हालांकि मार्च 2016 में कार्ति चिंदबरम ने एनडीटीवी को दिए एक फोन-इंटरव्यू में खुद माना था कि एडवान्टेज कंपनी में 11 महीने के लिए वो शेयरहोल्डर थे. कार्ति चिंदबरम ने कहा था, 'मैं सिर्फ करीब 11 महीने के लिए एडवान्टेज कंपनी में शेयरहोल्डर था. न मैं कंपनी के गठन के समय शेयरहोल्डर था न ही आज शेयरहोल्डर हूं.' हालांकि एनडीटीवी ने इस मामले की तहकीकात में पाया है कि कार्ति चिदंबरम के पास एडवान्टेज कंपनी में अप्रत्यक्ष रूप से मालिकाना हक था.
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कार्ति के पास Ausbridge Holdings नाम की कंपनी में मेजोरिटी स्टेक था और इस कंपनी ने एडवान्टेज कंपनी में 2010 में मेजोरिटी स्टेक खरीदा था. हालांकि 2012 में कार्ति ने Ausbridge से अपना स्टेक हटा लिया था. इस बीच एनडीटीवी की जांच में कार्ति चिदंबरम और नॉर्थस्टार कंपनी के बीच संबधों की बात भी सामने आई है. सीबीआई का आरोप है कि INX ने नॉर्थस्टार कंपनी के ज़रिये भी कार्ति चिंदबरम को पैसे दिये. इस पूरे मामले में नॉर्थ स्टार कंपनी के डायरेक्टर सीबीएन रेड्डी का नाम सामने आया है.
सीबीएन रेड्डी एडवान्टेज कंपनी में डायरेक्टर और शेयरहोल्डर थे जिस पर 2010 से 2012 के बीच में कार्ति का अप्रत्यक्ष रूप से मालिकाना हक था. कार्ति की पत्नी और बेटी ने Kriya FMCG के मेजोरिटी शेयर सीबीएन रेड्डी को ट्रांसफर किए. 2 हफ्ते बाद रेड्डी और Kriya FMCG ने एडवान्टेज कंपनी में मेजोरिटी स्टेक खरीदा. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पहले ही साफ कर चुके हैं कि सरकार का इस जांच से कोई लेना-देना नहीं है और इस बारे में कोई भी स्पष्टीकरण सिर्फ सीबीआई ही दे सकती है.
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हालांकि वरिष्ठ वकील कामिनी जायसवाल ने सीबीआई की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इंद्राणी मुखर्जी का बयान इतनी देर से क्यों लिया गया. साफ है, सवाल कार्ति चिदंबरम के वकील के दावों को लेकर भी उठ रहे हैं और सीबीआई की जांच पर भी. अब देखना होगा कि इस मामले में दोनों पक्ष किस हद तक अपने-अपने दावों को कोर्ट में साबित करने में कामयाब हो पाते हैं.
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