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प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में महिलाओं को अश्लील ढंग से पेश करने से रोकने वाले कानून में संशोधन का प्रस्ताव मंजूर किया गया है।
इसमें प्रस्ताव है कि ऐसी हरकतों में लिप्त लोगों को दोषी पाए जाने पर सात साल तक की कैद के साथ उन पर भारी जुर्माना लगाया जाए। सरकारी बयान के मुताबिक ऑडियो-वीडियो मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक जरिये से भेजी जाने वाली सामग्री को कवर करने के लिए कानून के दायरे को व्यापक बनाने के उद्देश्य से संशोधन किए गए हैं।
ये संशोधन इसलिए भी आवश्यक थे, क्योंकि मौजूदा कानून केवल प्रिंट मीडिया को ही कवर करता है। संशोधन के तहत महिलाओं को अश्लील ढंग से पेश करने या उन्हें अश्लील मल्टीमीडिया मैसेज या ई-मेल भेजने की हरकतों में लिप्त पाए जाने वाले व्यक्ति के पहली दफा दोषी पाए जाने पर जुर्माने की राशि 2,000 रुपये से बढ़ाकर कम से कम 50 हजार रुपये की गई है, जबकि यह राशि अधिकतम एक लाख रुपये होगी। साथ ही तीन साल की सजा का प्रावधान होगा।
यदि कोई व्यक्ति दूसरी बार यही हरकत करता पाया जाता है, तो उसे सात साल की कैद और एक लाख रुपये से पांच लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है। बयान में कहा गया कि इंस्पेक्टर रैंक से नीचे के अधिकारी को तलाशी एवं जब्ती का अधिकार नहीं होगा।
इन संशोधनों के जरिये यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा कि महिलाओं को अश्लील ढंग से नहीं पेश किया जाए और इंटरनेट, मल्टीमीडिया मैसेज जैसे संचार के नए तौर-तरीकों को भी कानून के दायरे में लाया जाए, जो ऑडियो-वीडियो मीडिया के दायरे से कहीं आगे की चीजें हैं।
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