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This Article is From Jun 27, 2014

महाराष्ट्र में मुस्लिम और मराठा आरक्षण का विरोध बढ़ा

मुंबई:

महाराष्ट्र में मराठा और मुसलमानों को आरक्षण देने के फैसले पर राज्य की सरकार घिरती दिख रही है। महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया था। राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण संवाददाता सम्मेलन में कह चुके हैं की वह इस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू करने जा रहे हैं।

इससे पहले राज्य सरकार ने बताया की, महाराष्ट्र में मराठा और मुसलमान अब पिछडों की श्रेणी में गिने जाएंगे। मराठों को 16 फीसद तो मुसलमानों को 5 फीसद आरक्षण होगा जो राज्य सरकार की नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में लागू होगा। राज्य सरकार के इस फैसले से महाराष्ट्र में आरक्षण का ढांचा बदल रहा है।

इससे पहले राज्य में कुल 52 फीसदी आरक्षण था। इसमें अनुसूचित जाति के लिए 16 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के लिए 7 फीसदी, तो ओबीसी के लिए 19 फीसदी, घमंतु जातियों के लिए 11 फीसदी और विशेष पिछड़ों को दो फीसदी आरक्षण लागू है। इस आरक्षण में नए आरक्षण को जोड़ने के बाद महाराष्ट्र में आरक्षण का प्रतिशत 73 फीसदी हो गया है। इससे महाराष्ट्र, तमिलनाडू के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा आरक्षण देने वाला राज्य बन गया है। लेकिन, इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है।

पत्रकार केतन तिरोड़कर ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस फैसले को रोकने की मांग की है। एनडीटीवी से बातचीत के दौरन केतन ने कहा की, 'तय मानकों से ज्यादा आरक्षण देने से महाराष्ट्र सरकार को रोका जाना चाहिए।' इसके साथ ही तिरोडकर ने सरकार द्वारा मराठा समाज को पिछडा करार देने का विरोध किया है। उनका कहना है की राज्य में 73 फीसदी संसाधन मराठों के कब्जे में है। ऐसे में उन्हें पिछड़ा करार देना सही नहीं।'

साल 2001 की जनगणना के आधार पर महाराष्ट्र में मराठों की आबादी 34 फीसदी है। इस आबादी की सामाजिक और वित्तीय स्थिति जांचने के लिए राज्य सरकार ने अपने मंत्री नारायण राणे की अध्यक्षता में समिती भी बनाई थी, जिसके आधार पर मराठा समाज को पिछड़ा मानने की बात राज्य की कांग्रेस एनसीपी सरकार ने की है।

वहीं रंगनाथ मिश्रा आयोग, राजेंद्र सच्चर आयोग और मेहमूद-उर-रहमान कमिटी की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने मुसलमानों को पांच फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया है। मुस्लिम समाज में इस पर अलग-अलग राय सामने आ रही है। इस्लामिक स्कॉलर जीनत शौकत अली ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में मुस्लिम वोटरों को आकर्षित करने का यह एक तरीका है।'

इसी के साथ महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष देवेंद्र फडणवीस ने ऐलान किया है की उनकी पार्टी राज्य में मुसलमानों को आरक्षण लागू नहीं होने देगी।

वैसे आरक्षण के इस विवाद के दौरान एक चौकानेवाला बयान एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की तरफ से आया है। पवार को जब ऐन चुनाव से पहले इस आरक्षण का ऐलान करने का मकसद पूछा गया तो वह बोल गए की, 'हम संत थोड़े ही हैं। हमने फैसले लिए हैं, तो चुनाव में इसका इस्तेमाल करेंगे।'

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