विज्ञापन
This Article is From Mar 14, 2017

मनोहर पर्रिकर: सादगीपूर्ण जीवन और ईमानदारी ही है इस आईआईटियन की 'पूंजी'

मनोहर पर्रिकर: सादगीपूर्ण जीवन और ईमानदारी ही है इस आईआईटियन की 'पूंजी'
मनोहर पर्रिकर ने चौैथी बार गोवा के मुख्‍यमंत्री का पद संभाला है (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
एमजीपी-गोवा फारवर्ड पार्टी ने रखी थी पर्रिकर को CM बनाने की शर्त
राज्‍य में चौथी बार मनोहर पर्रिकर ने संभाली है गोवा की कमान
अपनी बेदाग छवि के बाद विपक्षी दलों के बीच भी हैं लोकप्रिय
गोवा में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद वहां का सियासी घटनाक्रम 'सरपट' दौड़ रहा है. राज्‍य में बेशक कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी लेकिन किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. इस स्थिति में वहां जोड़-तोड़ से सरकार बनाना हर किसी की मजबूरी है और इस दौड़ में बीजेपी ने प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस को पीछे छोड़ा है. महाराष्‍ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) और गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने साफ लहजे में कहा था कि वह बीजेपी के नेतृत्‍व में बनने वाली सरकार को तभी समर्थन देंगे जब मनोहर पर्रिकर को सीएम बनाया जाए. चूंकि मोदी सरकार बनने के बाद पर्रिकर गोवा छोड़कर केंद्र में रक्षा मंत्री का पद संभाल रहे थे, ऐसे में आननफानन इस्‍तीफा दिलाकर उन्‍हें गोवा रवाना किया गया ताकि राज्‍य में फिर बीजेपी सरकार के गठन की रास्‍ता साफ हो सके. दूसरे शब्‍दों में कहें तो गोवा में फिर से बीजेपी की सरकार के गठन में मनोहर पर्रिकर अपरिहार्य साबित हुए. अपनी साफसुथरी छवि के कारण यह आईआईटियन विपक्षी दलों के बीच भी लोकप्रिय है.

मंगलवार को मुख्‍यमंत्री पद की शपथ लेने वाले पर्रिकर ने चौथी बार गोवा की कमान संभाली है. सु्प्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार उन्‍हें 16 मार्च को बहुमत साबित करना है. 13 दिसंबर 1955 को जन्‍मे मनोहर पर्रिकर ने आईआईटी मुंबई से स्‍नातक डिग्री हासिल की. देश के किसी राज्‍य का सीएम पद संभालने वाले वे पहले आईआईटियन थे, उनके बाद अरविंद केजरीवाल ने भी इस क्रम को दोहराया. गोवा में 'कमल' खिलाने का श्रेय पर्रिकर की हो जाता है. 62 साल के पर्रिकर सबसे पहले 24 अक्‍टूबर 2000 को गोवा के सीएम बने, लेकिन उनकी सरकार फ़रवरी 2002 तक ही चल पाई. बाद में वे जून 2002 में फिर राज्‍य के सीएम बने. वर्ष 2012 में पर्रिकर ने तीसरी बार गोवा के मुख्‍यमंत्री की शपथ ली. सीएम के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान सादगीपूर्ण जीवन के कारण उन्‍होंने लोगों के दिलों में खास छाप छोड़ी. पर्रिकर काम के धुनी हैं. कोई काम अंजाम तक पहुंचाने से पहले चैन से बैठना उन्‍हें पसंद नहीं है.  यही नहीं, सरकारी कामकाज के लिए वे चार्टर्ड फ्लाइट की बजाय नियमित फ्लाइट से ही जाना पसंद करते हैं. गोवा का मुख्‍यमंत्री रहते हुए उन्‍होंने आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं प्रारंभ कीं. प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए उन्‍होंने अपने कार्यकाल में काफी प्रयास किए. बीजेपी से राज्‍यसभा सांसद भी वे रहे हैं.

वर्ष 2012 में तीसरी बार गोवा के सीएम का पद संभालने वाले पर्रिकर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्‍ता में आने के बाद उन्‍हें केंद्र की सियासत में बुलाकर रक्षा मंत्री पद सौंपा गया जबकि उनके स्‍थान पर लक्ष्‍मीकांत पारसेकर ने राज्‍य की कमान संभाली. हालांकि पारसेकर सीएम के तौर पर गोवा की जनता की आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाए. न सिर्फ पारसेकर को 2017 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा बल्कि राज्‍य में कांग्रेस से पिछड़कर बीजेपी दूसरे नंबर पर आ गई.  देश का रक्षा मंत्री रहते हुए पर्रिकर को वन रैंक, वन पेंशन (OROP) को अमलीजामा पहनाने का श्रेय भी जाता है. उम्‍मीद की जानी चाहिए कि स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं होने के बावजूद पर्रिकर गोवा के सीएम के रूप में इस बार भी खास असर छोड़ने में सफल रहेंगे...

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
गोवा, मुख्‍यमंत्री, शपथ ग्रहण, मनोहर पर्रिकर, Goa, CM, Oath Ceremony, Manohar Parrikar