प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session) शुरू होने से पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक (All Party Meeting) की अदय्क्षता करेंगे. सूत्रों ने ये जानकारी दी है. संसद सत्र 29 नवंबर से शुरू हो रहा है. संसद के शीतकालीन सत्र के पहले केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान करबड़ा कदम उठाया है. हालांकि किसान अभी भी तीनों कृषि कानूनों की वापसी के अलावा फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी (MSP Guarantee) समेत कई मांगों पर अभी भी अड़े हुए हैं. सूत्रों ने कहा कि संसद सत्र शुरू होने के एक दिन पहले 28 नवंबर को 11 बजे ये बैठक आयोजित की जाएगी.
उसी दिन शाम को बीजेपी की संसदीय कार्यकारिणी की बैठक भी होगी. एनडीए के फ्लोर लीडर भी उसी दिन शाम दिन बजे बैठक करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में भी पीएम मोदी भी शामिल हो सकते हैं. कृषि कानूनों की वापसी से जुड़े बिल को बुधवार कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है. पीएम मोदी ने पिछले हफ्ते गुरु पर्व के मौके पर कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा की थी. लखनऊ में किसानों की आज महापंचायत भी हो रही है.
संसद के शीतकालीन सत्र में तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) त्रिपुरा में हुई हिंसा का मुद्दा भी उठा सकती है. टीएमसी के सांसद सोमवार को नार्थ ब्लॉक में गृह मंत्रालय के बाहर धरने पर भी बैठे. खबरों के मुताबिक, एक दर्जन से ज्यादा टीएमसी सांसद गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे हैं, वे टीएमसी नेताओं के साथ त्रिपुरा में हुई मारपीट का विरोध कर रहे हैं.
टीएमसी सांसदों ने कहा कि उन्हें अभी तक गृह मंत्री से मिलने की इजाजत क्यों नहीं दी गई है. क्या उन्हें देश की सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं है. हमें गृह मंत्री से जवाब चाहिए. हम त्रिपुरा के हालात को लेकर उन्हें अवगत कराना चाहते हैं. माना जा रहा है कि सर्वदलीय बैठक के दौरान टीएमसी और कांग्रेस केंद्रीय जांच एजेंसियों के प्रमुखों के कार्यकाल को बढ़ाने से जुड़ा मुद्दा उठा सते हैं. दोनों पार्टियों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख भी किया है.
टीएमसी ने जांच एजेंसियों के प्रमुखों का कार्यकाल बढ़ाने वाले अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. कांग्रेस (Congress) का कहना है कि ऐसी एजेंसियों के प्रमुखों का कार्यकाल बढ़ाने की परंपरा सी बन गई है. यह सरकार के केंद्रीय एजेंसियों पर नियंत्रण को दिखाता है. यह ऐसी एजेंसियों की निष्पक्ष ढंग से कामकाज करने की प्रणाली के खिलाफ है.
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