राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो).
                                                                                                                        - निर्णय बहुमत वाली पार्टी या सत्ताधारी पार्टी का नहीं बल्कि सदन का होता है
 - जो बात संसद पर लागू वह सभी 29 राज्यों की विधानसभाओं पर भी लागू
 - संसद का काम 3डी --डिबेट, डिस्सेंशन और डिसिजन पर आधारित
 
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                                                                                जयपुर: 
                                        राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को जनप्रतिनिधियों से कहा कि वह विधायिकाओं में चर्चा की गुणवत्ता में सुधार करें. उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ मतदाताओं की संख्या के आधार पर ही विश्व के लिए प्रेरणास्त्रोत नहीं बना रह सकता. पहले भैरोंसिंह शेखावत स्मृति व्याख्यान में राष्ट्रपति ने भारत में संसदीय लोकतंत्र की प्रशंसा की और कहा कि संसद का काम 3डी --डिबेट, डिस्सेंशन और डिसिजन (बहस, मतभेद और निर्णय) पर आधारित है.
राष्ट्रपति ने सांसदों और विधायकों से सदन में विचार-विमर्श, चर्चा और बहस की गुणवत्ता में सुधार का जिक्र करते हुए कहा कि लोगों ने उनमें शक्ति और विशेषाधिकार निहित किए हैं. उन्होंने कहा कि हर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और सदस्य अपनी असहमति जता सकते हैं लेकिन अंत में निर्णय सदन द्वारा लिया जाना है. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘निर्णय हो जाने पर यह बहुमत वाली पार्टी या सत्ताधारी पार्टी का निर्णय नहीं होता बल्कि यह सदन का निर्णय होता है और इसलिए यह राज्य या भारत का निर्णय होता है.’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आप सिर्फ अपने मतदाताओं की संख्या के आधार पर ही दुनिया के लिये प्रेरणास्त्रोत नहीं बने रह सकते.’’ उन्होंने कहा कि जो बात संसद पर लागू है वह सभी 29 राज्यों की विधानसभाओं पर भी लागू होती है. करीब पांच दशक का संसदीय अनुभव रखने वाले मुखर्जी ने कहा, ‘‘सांसदों और सभी 29 राज्यों के विधायकों को 80 करोड़ लोगों ने बड़ी ताकत और जिम्मेदारी सौंपी है. अगर हम इन ताकत और विशेषाधिकारों का प्रयोग नहीं करते हैं तो हमें खुद को जिम्मेदार ठहराना होगा किसी और को नहीं.’’
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 14वीं लोकसभा में बाधा, स्थगन के कारण कुल समय का 19 . 58 फीसदी समय बर्बाद हो गया, 15वीं लोकसभा में 41 . 6 फीसदी समय और 16वीं लोकसभा में (दसवें सत्र तक) 16 फीसदी समय बर्बाद हो चुका है. राष्ट्रपति ने भारतीय राजनीति के शुरुआती दिनों की प्रमुख हस्तियों को याद करते हुए सांसदों और विधायकों से कहा कि वह उनके द्वारा स्थापित परंपराओं को जारी रखें.
इससे पहले सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग को राष्ट्रपति मुखर्जी द्वारा सार्वजनिक जीवन में पहले भैरों सिंह शेखावत लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान से विभूषित किया गया. राष्ट्रपति ने इस छोटे राज्य के लिए चामलिंग के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह दूसरे राज्यों के लिए प्रेरणास्त्रोत की तरह उभर रहा है. इस मौके पर राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मौजूद थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
                                                                        
                                    
                                राष्ट्रपति ने सांसदों और विधायकों से सदन में विचार-विमर्श, चर्चा और बहस की गुणवत्ता में सुधार का जिक्र करते हुए कहा कि लोगों ने उनमें शक्ति और विशेषाधिकार निहित किए हैं. उन्होंने कहा कि हर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए और सदस्य अपनी असहमति जता सकते हैं लेकिन अंत में निर्णय सदन द्वारा लिया जाना है. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘निर्णय हो जाने पर यह बहुमत वाली पार्टी या सत्ताधारी पार्टी का निर्णय नहीं होता बल्कि यह सदन का निर्णय होता है और इसलिए यह राज्य या भारत का निर्णय होता है.’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आप सिर्फ अपने मतदाताओं की संख्या के आधार पर ही दुनिया के लिये प्रेरणास्त्रोत नहीं बने रह सकते.’’ उन्होंने कहा कि जो बात संसद पर लागू है वह सभी 29 राज्यों की विधानसभाओं पर भी लागू होती है. करीब पांच दशक का संसदीय अनुभव रखने वाले मुखर्जी ने कहा, ‘‘सांसदों और सभी 29 राज्यों के विधायकों को 80 करोड़ लोगों ने बड़ी ताकत और जिम्मेदारी सौंपी है. अगर हम इन ताकत और विशेषाधिकारों का प्रयोग नहीं करते हैं तो हमें खुद को जिम्मेदार ठहराना होगा किसी और को नहीं.’’
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 14वीं लोकसभा में बाधा, स्थगन के कारण कुल समय का 19 . 58 फीसदी समय बर्बाद हो गया, 15वीं लोकसभा में 41 . 6 फीसदी समय और 16वीं लोकसभा में (दसवें सत्र तक) 16 फीसदी समय बर्बाद हो चुका है. राष्ट्रपति ने भारतीय राजनीति के शुरुआती दिनों की प्रमुख हस्तियों को याद करते हुए सांसदों और विधायकों से कहा कि वह उनके द्वारा स्थापित परंपराओं को जारी रखें.
इससे पहले सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग को राष्ट्रपति मुखर्जी द्वारा सार्वजनिक जीवन में पहले भैरों सिंह शेखावत लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान से विभूषित किया गया. राष्ट्रपति ने इस छोटे राज्य के लिए चामलिंग के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह दूसरे राज्यों के लिए प्रेरणास्त्रोत की तरह उभर रहा है. इस मौके पर राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी मौजूद थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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