मध्य प्रदेश : किसान आंदोलन में सियासत हावी, BKS ने ख़त्म किया आंदोलन; बाकी संगठन डटे

मध्य प्रदेश में किसानों की हड़ताल में सियासत हावी हो गई है. भारतीय किसान संघ ने मुख्यमंत्री के साथ वार्ता के बाद आंदोलन ख़त्म करने का फैसला किया है, लेकिन अन्य संगठनों ने आंदोलन नहीं छोड़ने का ऐलान किया है.

मध्य प्रदेश : किसान आंदोलन में सियासत हावी, BKS ने ख़त्म किया आंदोलन; बाकी संगठन डटे

अपनी कई मांगों को लेकर मध्य प्रदेश के किसान पहली जूुन से आंदोलन पर हैं

खास बातें

  • मध्य प्रदेश के कई किसान संगठन 10 दिन की हड़ताल पर हैं
  • मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारी किसानों की ज्यादातर मांगें मान ली हैं
  • भारतीय किसान संघ ने आंदोलन वापस लेने का ऐलान किया है
भोपाल :

मध्य प्रदेश में 1 से 10 जून तक आहुत किसानों की हड़ताल में सियासत हावी हो गई है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ वार्ता के बाद आंदोलन ख़त्म करने का फैसला किया है, लेकिन आंदोलन में अगुआ भारतीय किसान यूनियन और राष्ट्रीय किसान मज़दूर संघ ने संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ने का ऐलान किया है.

उज्जैन में बैठक के बाद तय हुआ कि किसान कृषि उपज मंडी में जो उत्पाद बेचते हैं, उनका 50 फीसदी उन्हें नकद मिलेगा जबकि 50 फीसदी आरटीजीएस के ज़रिए यानी सीधा उनके बैंक खाते में आएगा. ये भी तय हुआ कि मूंग की फसल को सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदेगी. 

किसानों का प्याज 8 रुपए प्रति किलोग्रा की सरकारी दर से अगले तीन-चार दिनों में खरीदा जाएगा. सब्जी मंडियों में किसानों को ज्यादा आढ़त देनी पड़ती है, इसे रोकने के लिए सब्जी मंडियों को मंडी अधिनियम के दायरे में लाया जाएगा. फसल बीमा योजना को ऐच्छिक बनाने और किसानों के खिलाफ आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों को भी वापस लेने का भी फैसला हुआ. 

बैठक के बाद भारतीय किसान संघ के शिवकांत दीक्षित ने घोषणा की कि चूंकि सरकार ने उनकी सारी बातें मान ली हैं इसलिए आंदोलन को स्थगित किया जाता है.

वहीं राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ ने इस समझौते की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि सरकार इस आंदोलन से घबराकर ऐसे हथकंडे अपना रही है, वहीं भारतीय किसान यूनियन ने कहा कि हड़ताल उनके संगठन ने शुरू की थी और खत्म भी वही करेंगे.


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