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This Article is From Jan 16, 2017

कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्‍का साबित होंगे नवजोत सिंह सिद्धू!

कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्‍का साबित होंगे नवजोत सिंह सिद्धू!
नवजोत सिंह सिद्धू के अमृतसर ईस्‍ट से चुनाव लड़ने की उम्‍मीद है.
नई दिल्‍ली: नवजोत सिंह सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही माना जा रहा है कि उनके आने से पंजाब में पार्टी को लाभ मिलेगा. बीजेपी छोड़ने के बाद जिस तरह आप और कांग्रेस ने उनको अपने पाले में लाने की कीशिशें की, उससे पंजाब की राजनीति में उनके सियासी कद का आकलन किया जा सकता है. इन परिस्थितियों में उनके कांग्रेस में जाने से पार्टी को जो सियासी लाभ हो सकता है, उस पर एक नजर:

सिख-जाट चेहरा  
2011 की जनगणना के मुताबिक पंजाब में तकरीबन 58 फीसद सिख आबादी है. उनमें से तकरीबन 41 प्रतिशत अगड़ी जाति में से 21 फीसद सिख-जाट हैं. सिद्धू भी इसी समुदाय से ताल्‍लुक रखते हैं. ऐसे में सिद्धू के रूप में सिख-जाट चेहरा कांग्रेस के चुनाव अभियान पर सकारात्‍मक असर डाल सकता है. दूसरी बड़ी वजह सिद्धू की क्‍लीन इमेज है. वह तीन बार अमृतसर से सांसद रहे. वह ऐसे दौर में भी बीजेपी से जीतते रहे जब पार्टी सत्‍ता में नहीं थी. उनकी मिलनसार और बेदाग सियासी छवि उनकी सफलता की मुख्‍य वजह मानी जाती है इन्‍हीं वजहों से आम आदमी पार्टी ने भी सिद्धू को अपने पाले में लाने की कोशिशें कीं. अरविंद केजरीवाल ने सत्‍ता में आने की स्थिति में उनको डिप्‍टी सीएम पद का ऑफर भी दिया लेकिन उनकी बात नहीं बन सकी.
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अकालियों से अनबन
यह जगजाहिर है कि सिद्धू की सत्‍तारूढ़ अकाली दल और इसके मुखिया बादल परिवार से नहीं बनती. सिद्धू का मानना है कि अकालियों के विरोध की वजह से ही उनकी पार्टी बीजेपी ने उनको पंजाब बीजेपी इकाई का अध्‍यक्ष नहीं बनाया. अमृतसर सीट उनसे छीनकर अरुण जेटली को लड़ने के पीछे भी अकाली सियासत को ही जिम्‍मेदार माना जाता है. कहीं न कहीं सिद्धू को लगने लगा था कि अकाली दल के साथ जब तक बीजेपी का गठबंधन रहेगा तब तक पंजाब की सियासत में वह बड़ी भूमिका में नहीं आ पाएंगे. उनके बीजेपी छोड़ने की इसे प्रमुख वजहों में माना जाता है. अब माना जा रहा है कि कांग्रेस उनके जरिये अकाली दल-बीजेपी गठबंधन के खिलाफ सत्‍ता विरोधी लहर को भरपूर रूप से भुनाने की कोशिश करेगी.  

जनता से कनेक्‍ट
सिद्धू का जनता से कनेक्‍शन जबर्दस्‍त है. अपनी खास स्‍टाइल और बातचीत के अंदाज के चलते वह लोगों से सहजता से जुड़ जाते हैं. वह कठिन बातों को सरल अंदाज में पेश करने की कला में माहिर हैं. दूसरी तरफ पंजाब में कांग्रेस के प्रमुख चेहरे कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की आलोचना महाराजा छवि की वजह से होती है. ऐसे में वह सिद्धू जनता से उनका जुड़ाव बढ़ाने की अहम भूमिका निभाने में कारगर हो सकते हैं. इस लिहाज से सिद्धू के रूप में कांग्रेस को स्‍टार प्रचारक मिल गया है.

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