नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को एस-बैंड (उच्च स्तरीय और विरल रेडियो तरंग) का इस्तेमाल करने वाले अंतरिक्ष स्पेक्ट्रम के आवंटन से राजस्व को किसी तरह का नुकसान होने की बात से इनकार किया। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि सरकार ने एस-बैंड स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करने वाले अंतरिक्ष खंड के आवंटन का कभी कोई फैसला नहीं लिया है, जिसके भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वाणिज्यिक विभाग द्वारा बेंगलुरू की एक निजी कम्पनी को दिए जाने का आरोप लगाया जा रहा है। बयान में यह स्पष्ट किया गया कि सरकार ने 'अंतरिक्ष' या देवास नामक कम्पनी को एस-बैंड का इस्तेमाल करने वाले अंतरिक्ष खंड का आवंटन करने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया है। ऐसे में राजस्व के नुकसान का सवाल ही नहीं पैदा होता है। बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने इन खबरों को देखा है, जिसमें इसरो के अनुषांगिक संगठन 'अंतरिक्ष' और कम्पनी देवास मल्टीमीडिया प्रा. लिमिटेड के बीच अंतरिक्ष खंड क्षमता के आवंटन का जिक्र किया गया है। अंतरिक्ष विभाग को सीधे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देखते हैं। मीडिया में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा गया था कि अंतरिक्ष और देवास के बीच इससे सम्बंधित सौदे में सरकार को करीब दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। पीएमओ ने कहा कि यह खबर निराधार है। बयान में कहा गया है कि सीएजी कार्यालय और अंतरिक्ष विभाग द्वारा बयान जारी कर इस विषय पर वस्तुस्थिति स्पष्ट कर दी गई है। राजस्व का कोई नुकसान नहीं हुआ है और यह खबर बेबुनियाद है। सीएजी ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा था कि उसे इस तरह की खबरों के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। सोमवार को भारतीय जनता पाटी और वाम दलों ने एस-बैंड स्पेक्ट्रम के आवंटन के मामले में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले की जांच करने की मांग की थी। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को घेरे में लेने वाले इस मुद्दे पर हमलावर रुख अपना लिया है। भाजपा के प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि स्पेक्ट्रम एक राष्ट्रीय सम्पदा है। इसे जब इसरो या किसी निकाय को दिया जाता है, तो वे इसके ट्रस्टी होते हैं, वे इसे पट्टे या किसी और तरीके से किसी और को नहीं दे सकते हैं। इस तथाकथित सौदे में देवास को 20 वर्ष के लिए एस-बैंड स्पेक्ट्रम के 70 मेगाहट्र्ज फ्रिक्वेंसी का निर्बाध उपयोग करने का अधिकार दिया गया है। एक समय दूरदर्शन इस स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करता था। अभी इसे उच्च गति वाले मोबाइल संचार के लिए बहुत अधिक महत्व का माना जाता है।
This Article is From Feb 08, 2011