
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में नागरिकता (संशोधन)विधेयक के पारित होने पर सोमवार रात को प्रसन्न्ता जतायी और कहा कि प्रस्तावित कानून भारत की समावेश करने, मानवीय मूल्यों में भरोसे की सदियों पुरानी प्रकृति के अनुरूप है. उन्होंने इसे लेकर एक ट्वीट भी किया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि प्रसन्नता है कि लोकसभा ने एक समृद्ध और व्यापक चर्चा के बाद नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित कर दिया है. मैं विधेयक को समर्थन देने वाले विभिन्न सांसदों और दलों को धन्यवाद देता हूं. यह विधेयक भारत की समावेश करने, मानवीय मूल्यों में भरोसे की सदियों पुरानी प्रकृति के अनुरूप है. पीएम मोदी ने कहा कि वह इसके सभी पहलुओं को स्पष्ट रूप से समझाने के लिए गृह मंत्री अमित शाह की विशेष तौर पर सराहना करते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने (शाह) लोकसभा में चर्चा के दौरान विभिन्न सांसदों द्वारा उठाये गए बिंदुओं के विस्तृत जवाब दिये. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विधेयक के पारित होने के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे.
I would like to specially applaud Home Minister @AmitShah Ji for lucidly explaining all aspects of the Citizenship (Amendment) Bill, 2019. He also gave elaborate answers to the various points raised by respective MPs during the discussion in the Lok Sabha.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 9, 2019
बता दें कि इससे पहले सोमवार को दिन भर चली बहस के बाद देर रात नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) लोकसभा (Lok Sabha) से पास हो गया. बिल के पक्ष में 311, जबकि विरोध में 80 वोट पड़े. शिवसेना ने बिल के पक्ष में मतदान किया. इससे पहले बिल को लेकर सदन में दिन भर चली चर्चा के बाद गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सभी सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि ये बिल लाखों- करोड़ों शरणार्थियों को यातनापूर्ण जीवन से मुक्ति दिलाने का जरिया बनने जा रहा है. इस बिल के माध्यम से उन शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम होगा. उन्होंने कहा कि सदस्यों ने आर्टिकल-14 का हवाला देते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया. मैं कहना चाहता हूं कि किसी भी तरह से ये बिल गैर संवैधानिक नहीं है न ही ये आर्टिकल-14 का उल्लंघन करता है. अमित शाह ने कहा कि इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर न होता तो मुझे बिल लाने की जरूरत ही नहीं होती, सदन को ये स्वीकार करना होगा कि धर्म के आधार पर विभाजन हुआ है. जिस हिस्से में ज्यादा मुस्लिम रहते थे वो पाकिस्तान बना और दूसरा हिस्सा भारत बना.
दिन भर चली बहस के बाद देर रात लोकसभा से पास हुआ नागरिकता संशोधन बिल, पक्ष में पड़े 311 वोट
गृह मंत्री ने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौते में भारत और पाकिस्तान ने अपने अल्पसंख्यकों का ध्यान रखने का करार किया, लेकिन पाकिस्तान ने इस करार का पूरा पालन नहीं किया. उन्होंने कहा कि 3 देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान में इस्लाम को राज्य धर्म बताया है. वहां अल्पसंख्यकों को न्याय मिलने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है. 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23% थी. 2011 में ये 3.7% पर आ गई. बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22% थी जो 2011 में 7.8 % हो गई. आखिर कहां गए ये लोग?
उन्होंने कहा कि जो लोग विरोध करते हैं उन्हें मैं पूछना चाहता हूं कि अल्पसंख्यकों का क्या दोष है कि वो इस तरह क्षीण किए गये? 1951 में भारत में मुस्लिम 9.8 प्रतिशत थे. आज 14.23 प्रतिशत हैं, हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया. आगे भी किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा. ये कानून किसी एक धर्म के लोगों के लिए नहीं लाया गया है. ये सभी प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए है. इसलिए इसमें आर्टिकल-14 का उल्लंघन नहीं होता.
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बिल के पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं: शाह
इससे पहले बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है. किसी के साथ अन्याय का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है. अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का बिल है. इस बिल ने किसी मुस्लिम के अधिकार नहीं लिए हैं. हमारे एक्ट के अनुसार कोई भी आवेदन कर सकता है. नियमों के अनुसार आवेदन करने वालों को नागरिकता दी जाएगी.'
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