यह ख़बर 15 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

पीएम के भाषण में जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर का जिक्र नहीं

खास बातें

  • आठवीं बार लाल किले की प्राचीर से आज देश को संबोधित करने वाले मनमोहन सिंह के भाषण में पहली बार जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर क्षेत्र का जिक्र नहीं था।
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री के तौर पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लगातार आठवीं बार लाल किले की प्राचीर से आज देश को संबोधित करने वाले मनमोहन सिंह के भाषण में पहली बार जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर क्षेत्र का जिक्र नहीं था। मनमोहन सिंह ने आज के अपने भाषण में पाकिस्तान का उल्लेख भी नहीं किया। प्रधानमंत्री ने हालांकि 2007 और 2009 के अपने संबोधन में भी पाकिस्तान का सीधा उल्लेख नहीं किया था। 2010 में स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा था पूर्वोत्तर के राज्यों के प्रति सरकार की विशेष जिम्मेदारी बनती है । उन्होंने कहा था कि पूर्वोत्तर के सभी राजनैतिक दलों और गुटों को बातचीत के जरिये समस्याओं को सुलझाना चाहिए। उसी संबोधन में जम्मू कश्मीर का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में हम हर उस व्यक्ति या गुट से बातचीत करने को तैयार है जो हिंसा का रास्ता छोड़ दे। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उसी संबोधन में पाकिस्तान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा था, हम पड़ोसी देश में अमनचैन और खुशहाली चाहते हैं। जहां तक पाकिस्तान का सवाल है, हम उम्मीद करते हैं कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ दहशतगर्दी के लिए नहीं करेगा। साल 2008 में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा था कि पूर्वोत्तर के राज्यों के प्रति उनकी सरकार की विशेष जिम्मेदारी है। हम इस दिशा में पूरा प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में शांति और विकास के लिए भी उनकी सरकार विशेष उपाय कर रही है। प्रधानमंत्री ने काबुल में हुए विस्फोट का जिक्र करते हुए कहा था कि उन्होंने इस विषय को व्यक्तिगत रूप से पाकिस्तान की सरकार के समक्ष उठाया था। साल 2007 में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा था, हम पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर जैसे देश के कम विकसित क्षेत्रों की समृद्धि चाहते हैं जो नये निवेश के अवसरों, मेलमिलाप के माहौल और विकास कार्यो के जरिये होगा। उन्होंने कहा था, हम शांति और समृद्धि के माहौल में अपने पड़ोसियों के साथ रहना चाहते हैं और इसकी कामना करते हैं, क्योंकि यह सुरक्षा और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। साल 2006 और 2005 में राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर के विकास एवं वहां शांति की स्थापना के लिए विशेष जरूरत और सरकार की ओर से उठाये जाने वाले कदमों के बारे में बताया था। उन्होंने कहा था कि भारत अपने पडोसियों के साथ शांति का पक्षधर है। हम अपने पडोसियों के साथ शांति चाहते हैं और इस दिशा में मिलकर काम करने को तैयार हैं। साल 2004 में मनमोहन सिंह ने कहा था, पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और इस दिशा में रोजगार के नये अवसर सृजित किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा था, हम अपने पडोस में शांति चाहते हैं। हम अपने पड़ोसियों के साथ सभी लंबित मुद्दों का द्विपक्षीय बातचीत के साथ समधान निकालना चाहते हैं।


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