नई दिल्ली:
सरकार एफडीआई समेत दूसरे मुद्दों पर संसद में विपक्ष से निपटने की तैयारी कर रही है और इसी की तैयारियों के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने घटक दलों के नेताओं को खाने पर बुलाया। रिटेल में FDI के मुद्दे पर पत्ते नहीं खोलने वाली डीएमके के नेता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के डिनर में शामिल हुए।
डिनर से पहले सोनिया गांधी, पी चिदंबरम, अहमद पटेल, एके एंटनी, सुशील कुमार शिंदे और नारायणसामी के बीच बैठक हुई। प्रधानमंत्री ने बीजेपी के नेताओं को भी डिनर पर बुलाया है।
डीएमके सहित यूपीए के घटक दलों ने कहा है कि सरकार को संसद में वोटिंग से बचना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक सरकार नियम 193 के तहत नोटिस मानने को तैयार है इसमें वोटिंग नहीं होती। सरकार इस बात को बीजेपी के साथ होने वाले डिनर के कार्यक्रम के दौरान बताएगी। उधर, विपक्ष सरकार से एफडीआई पर वोट कराना चाहता है।
गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र अगले सप्ताह से शुरू हो रहा है, जो करीब एक महीने चलेगा। प्रधानमंत्री इससे पहले इसी तरह की भोज बैठकें सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं के लिए भी कर चुके हैं।
मनमोहन सिंह ने पिछले सप्ताह सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को रात्रि भोज दिया था और इसके बाद रविवार को बसपा प्रमुख मायावती को दिन के भोजन पर आमंत्रित किया था।
संसद में एफडीआई मुद्दे पर विपक्ष की ओर से मत विभाजन के प्रावधान वाले नियमों के तहत चर्चा कराने या अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने को लेकर आशंकित प्रधानमंत्री सहयोगी दलों और सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे दलों से तालमेल बिठाने का प्रयास कर रहे हैं।
वाम दलों ने एफडीआई पर मत विभाजन के नियमों के तहत संसद में चर्चा कराने के प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इसके अलावा बीजेपी, जेडीयू और इस मुद्दे पर यूपीए से अलग हुई तृणमूल कांग्रेस ने भी ऐसे ही नोटिस दिए हैं। ऐसे नोटिस देने वालों में तृणमूल कांग्रेस की शताब्दी रॉय, बीजेपी के रमेश ब्यास, एटी नाना पाटिल, हंसराज अहिर और जेडीयू के राजीव रंजन सिंह शामिल हैं।
डिनर से पहले सोनिया गांधी, पी चिदंबरम, अहमद पटेल, एके एंटनी, सुशील कुमार शिंदे और नारायणसामी के बीच बैठक हुई। प्रधानमंत्री ने बीजेपी के नेताओं को भी डिनर पर बुलाया है।
डीएमके सहित यूपीए के घटक दलों ने कहा है कि सरकार को संसद में वोटिंग से बचना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक सरकार नियम 193 के तहत नोटिस मानने को तैयार है इसमें वोटिंग नहीं होती। सरकार इस बात को बीजेपी के साथ होने वाले डिनर के कार्यक्रम के दौरान बताएगी। उधर, विपक्ष सरकार से एफडीआई पर वोट कराना चाहता है।
गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र अगले सप्ताह से शुरू हो रहा है, जो करीब एक महीने चलेगा। प्रधानमंत्री इससे पहले इसी तरह की भोज बैठकें सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं के लिए भी कर चुके हैं।
मनमोहन सिंह ने पिछले सप्ताह सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को रात्रि भोज दिया था और इसके बाद रविवार को बसपा प्रमुख मायावती को दिन के भोजन पर आमंत्रित किया था।
संसद में एफडीआई मुद्दे पर विपक्ष की ओर से मत विभाजन के प्रावधान वाले नियमों के तहत चर्चा कराने या अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने को लेकर आशंकित प्रधानमंत्री सहयोगी दलों और सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे दलों से तालमेल बिठाने का प्रयास कर रहे हैं।
वाम दलों ने एफडीआई पर मत विभाजन के नियमों के तहत संसद में चर्चा कराने के प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इसके अलावा बीजेपी, जेडीयू और इस मुद्दे पर यूपीए से अलग हुई तृणमूल कांग्रेस ने भी ऐसे ही नोटिस दिए हैं। ऐसे नोटिस देने वालों में तृणमूल कांग्रेस की शताब्दी रॉय, बीजेपी के रमेश ब्यास, एटी नाना पाटिल, हंसराज अहिर और जेडीयू के राजीव रंजन सिंह शामिल हैं।
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