कोरोना नियमों की वजह से मुंबई की लोकल ट्रेन में उन लोगों को यात्रा नहीं करने दी जा रही, जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई. इसके साथ ही मास्क ने पहनने पर भी जुर्माना वसूला जा रहा है. मीठी बोरवाला की जनहित याचिका के मुताबिक लोकल ट्रेन में नही चलने देना उनके मूलभूत अधिकार का हनन है इसलिए उनको हुए नुकसान की भरपाई के लिए पांच करोड़ रुपये मुआवजा दिया जाए. मीठी बोरवाला के वकील नीलेश ओझा के मुताबिक बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनकी याचिका पर राज्य के मुख्यमंत्री सहित 22 लोगों को नोटिस जारी किया है, जिस पर 21 मार्च को सुनवाई है.
मीठी बोरवाला के वकील ने कहा कि सरकार ने लिखकर दिया है कि हमारे पास कोई सबूत नहीं है कि मास्क की वजह से कोरोना का प्रसार रुकता है. उन्होंने कहा कि मास्क सेहत के लिहाज से नहीं है. मीठी बोरवाला के वकील ने कहा कि मास्क लगाने की वजह से इंसान का लंग पर असर पडता है. इसके साथ ही हैडेक भी होता है. साथ ही बॉडी का ऑक्सीजन लेवल भी कम होता है. ऐसे में देखा जाए तो इससे इंसान की इम्यूनिटी कमजोर होती है. जिससे इंसान की कोरोना से लडने की क्षमता भी कम होती है.
मीठी बोरवाला रे वकील ने अपनी बात में कहा कि बॉम्बे हाइकोर्ट को सरकार की तरफ से जो जवाब मिला उसमें उनके पास कोई पुख्ता सबूत नहीं थे. इसलिए उनकी मांग है ऐसे आदेश को असंवैधानिक मानकर खारिज किया जाए. जो कि वैक्सीन की वजह से लोगों में असमानता पैदा कर रहा हो. इसके साथ ही जो फाइन वसूला गया वो वापस लौटा जाए. जबकि लॉकडाउन की वजह से मेहनतकश लोगों को जो नुकसान हुए, सरकार उसकी भरपाई करें.
कोरोना पाबंदियों को हवाला देते हुए कहा कि नाइट कर्फ्यू का कोई फायदा नहीं है. फिर इसको लगाने का मतलब ही क्या बनता है. यहां तक की WHO ने भी कहा कि नाइट कर्फ्यू का कोई आधार नहीं है. क्योंकि सरकार ने पूरे इंडिया में लॉकडाउन लगाया, इसलिए दिक्कतों से जूझने वाले लोगों की मदद की जाए. कोर्ट में जो याचिक दायर की गई है, उसमें सीएम उद्धव ठाकरे समेत कई बडे अधिकारियों से जवाब मांगा गया है. जिसमे शुक्रवार से पहले जवाब दाखिल करने को कहा गया.
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