पी चिदंबरम (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
सेना के ठिकानों में लगातार हो रहे हमलों को लेकर संसदीय पैनल ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से बुधवार शाम पूछताछ की. पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी ने यह जानना चाहा कि ऐसे हमलों को रोकने के लिए केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने क्या कदम उठाए हैं.
पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी के प्रमुख पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी के राजेन्द्र और केंद्रीय गृह मंत्रालय में कश्मीर डेस्क संभालने वाले ज्ञानेश कुमार से यह समझना चाहा कि आखिर बार-बार सेना के ठिकानों पर इस तरह के हमले क्यों हो रहे हैं और क्यों सेना इन्हें रोक नहीं पा रही है.
पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नगरोटा आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा है कि भले ही सर्जिकल स्ट्राइक हो गया हो लेकिन इसके बाद भी सीमा पार से आतंकवाद का खात्मा नहीं हो सका है. इसका उदाहरण नगरोटा के रूप में एक बार फिर सामने आया है. पूर्व गृह मंत्री ने नगरोटा के आतंकी हमले को मुंबई हमले के समान करार दिया और कहा कि यह आतंकी हमला शर्मनाक है. उन्होंने मोदी सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि मोदी यह भले ही कहते हों कि सर्जिकल स्ट्राइक से सीमा पार से आतंकवाद को खत्म कर दिया जाएगा परंतु ऐसा नहीं हुआ है.
संसदीय कमेटी में हर राजनीतिक दल के सदस्य हैं. सबने घाटी में चल रहीं आतंकवादी गतिविधियों को लेकर चिंता व्यक्त की. सदस्यों ने पूछा कि आखिर पठानकोठ और उड़ी के बाद भी सेना ने अपनी खुद की सुरक्षा को लेकर कोई बदलाव क्यों नहीं किए. अगर बदलाव किए होते तो नगरोटा अटैक नहीं होता. इस अटैक में आर्मी के सात जवान जिनमें दो मेजर रैंक के भी अफसर थे, मारे गए.
केंद्रीय गृह सचिव ने भरोसा दिलाया कि सेना अपने ठिकानों की सुरक्षा का ऑडिट कर रही है और जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. जहां तक नगरोटा कैम्प पर हुए हमले का सवाल है वह पाकिस्तानी फिदायीन दस्ते ने किया था. गृह मंत्रालय के मुताबिक अब मामले की जाँच एनआईए को सौंप दी गई है. एनआईए की टीम जल्द ही जम्मू जाएगी. दिलचस्प बात यह है कि एनआईए का गठन 2008 में चिदंबरम के कार्यकाल में हुआ था. तब वे गृह मंत्री थे.
पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी के प्रमुख पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी के राजेन्द्र और केंद्रीय गृह मंत्रालय में कश्मीर डेस्क संभालने वाले ज्ञानेश कुमार से यह समझना चाहा कि आखिर बार-बार सेना के ठिकानों पर इस तरह के हमले क्यों हो रहे हैं और क्यों सेना इन्हें रोक नहीं पा रही है.
पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नगरोटा आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा है कि भले ही सर्जिकल स्ट्राइक हो गया हो लेकिन इसके बाद भी सीमा पार से आतंकवाद का खात्मा नहीं हो सका है. इसका उदाहरण नगरोटा के रूप में एक बार फिर सामने आया है. पूर्व गृह मंत्री ने नगरोटा के आतंकी हमले को मुंबई हमले के समान करार दिया और कहा कि यह आतंकी हमला शर्मनाक है. उन्होंने मोदी सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि मोदी यह भले ही कहते हों कि सर्जिकल स्ट्राइक से सीमा पार से आतंकवाद को खत्म कर दिया जाएगा परंतु ऐसा नहीं हुआ है.
संसदीय कमेटी में हर राजनीतिक दल के सदस्य हैं. सबने घाटी में चल रहीं आतंकवादी गतिविधियों को लेकर चिंता व्यक्त की. सदस्यों ने पूछा कि आखिर पठानकोठ और उड़ी के बाद भी सेना ने अपनी खुद की सुरक्षा को लेकर कोई बदलाव क्यों नहीं किए. अगर बदलाव किए होते तो नगरोटा अटैक नहीं होता. इस अटैक में आर्मी के सात जवान जिनमें दो मेजर रैंक के भी अफसर थे, मारे गए.
केंद्रीय गृह सचिव ने भरोसा दिलाया कि सेना अपने ठिकानों की सुरक्षा का ऑडिट कर रही है और जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. जहां तक नगरोटा कैम्प पर हुए हमले का सवाल है वह पाकिस्तानी फिदायीन दस्ते ने किया था. गृह मंत्रालय के मुताबिक अब मामले की जाँच एनआईए को सौंप दी गई है. एनआईए की टीम जल्द ही जम्मू जाएगी. दिलचस्प बात यह है कि एनआईए का गठन 2008 में चिदंबरम के कार्यकाल में हुआ था. तब वे गृह मंत्री थे.
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