नई दिल्ली:
पुराने नोटों के बदले नए नोट हासिल करने वालों की अंगुलियों पर न मिटने वाली स्याही से निशान लगाने का सरकार का फैसला बैंकों में लगी लंबी-लंबी कतारें खत्म करने में बहुत मदद करेगा. यह कहना है कि देश के सबसे बड़े ऋणदाता, यानी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य का.
अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि इस समय प्रमुख समस्या यह है कि या तो एटीएम बिल्कुल काम नहीं कर रहा है, या वह बहुत जल्दी खाली हो जाता है. बहरहाल, एटीएम मशीनों को 'युद्धस्तर पर री-कैलिब्रेट किया जा रहा है,' ताकि वे नए नोट निकालने में सक्षम हो सकें, क्योंकि पुराने नोटों की तुलना में नए नोटों के लिए मशीनों में अलग आकार की ट्रे लगाई जानी हैं.
पिछले सप्ताह, मंगलवार रात को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चोरी, भ्रष्टाचार तथा फर्ज़ीवाड़े से लड़ने के लिए 500 तथा 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी. इस कदम की विशेषज्ञों तथा उद्योगपतियों ने सराहना भी की थी, लेकिन चूंकि सरकार ने पुराने नोट बंद होने से पहले लोगों को कुछ ही घंटों की मोहलत दी थी, इसलिए लाखों लोग परेशानी में पड़ गए, खासतौर से वे गरीब लोग, जिनका जीवनयापन ही नकदी से चलता है.
बैंकों के बाहर लगातार छठे दिन लंबी-लंबी और रेंगती लाइनों के बीच सरकार ने मंगलवार को कहा कि चुनावों के लिए होने वाले मतदान की तरह न मिटने वाली स्याही उन लोगों की अंगुलियों पर लगाई जाएगी, जो पुराने नोटों को नए नोटों से बदलवा रहे हैं. इस कदम से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कोई भी व्यक्ति अपनी 4,500 रुपये के नोट बदलने की सीमा न लांघ सके.
NDTV से बातचीत में एसबीआई प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा, "न मिटने वाली स्याही के इस्तेमाल से (नियम का) दुरुपयोग रुकेगा..." उन्होंने यह भी कहा, "और यह अफरातफरी भी खत्म हो जाएगी, जब एटीएम खाली होना बंद हो जाएंगे..." उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि रोज़मर्रा के लेनदेन में बेहद महत्वपूर्ण साबित होने वाले 500 रुपये के नए नोटों की किल्लत मौजूदा समस्या की जड़ है. अरुंधति भट्टाचार्य के अनुसार, "500 रुपये के नोट बस अभी एटीएम में आने शुरू हुए हैं... एक बार जब इनकी सप्लाई ठीक ढंग से होने लगेगी, प्रति कार्ड प्रतिदिन की सीमा को बढ़ाया जा सकता है..."
एसबीआई प्रमुख के मुताबिक, इस समय 'पांच दिन तक सब्र' रखने की ज़रूरत है, और कुछ छोटे शहरों में लाइनें छोटी होनी शुरू हो भी गई हैं, हालांकि बड़े शहरों में, जहां बाहर से आने वाले लोगों की तादाद ज़्यादा होती है, इन लाइनों को छोटा होने या हालात को बेहतर होने में कुछ वक्त लग सकता है.
अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि इस समय प्रमुख समस्या यह है कि या तो एटीएम बिल्कुल काम नहीं कर रहा है, या वह बहुत जल्दी खाली हो जाता है. बहरहाल, एटीएम मशीनों को 'युद्धस्तर पर री-कैलिब्रेट किया जा रहा है,' ताकि वे नए नोट निकालने में सक्षम हो सकें, क्योंकि पुराने नोटों की तुलना में नए नोटों के लिए मशीनों में अलग आकार की ट्रे लगाई जानी हैं.
पिछले सप्ताह, मंगलवार रात को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चोरी, भ्रष्टाचार तथा फर्ज़ीवाड़े से लड़ने के लिए 500 तथा 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी. इस कदम की विशेषज्ञों तथा उद्योगपतियों ने सराहना भी की थी, लेकिन चूंकि सरकार ने पुराने नोट बंद होने से पहले लोगों को कुछ ही घंटों की मोहलत दी थी, इसलिए लाखों लोग परेशानी में पड़ गए, खासतौर से वे गरीब लोग, जिनका जीवनयापन ही नकदी से चलता है.
बैंकों के बाहर लगातार छठे दिन लंबी-लंबी और रेंगती लाइनों के बीच सरकार ने मंगलवार को कहा कि चुनावों के लिए होने वाले मतदान की तरह न मिटने वाली स्याही उन लोगों की अंगुलियों पर लगाई जाएगी, जो पुराने नोटों को नए नोटों से बदलवा रहे हैं. इस कदम से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कोई भी व्यक्ति अपनी 4,500 रुपये के नोट बदलने की सीमा न लांघ सके.
NDTV से बातचीत में एसबीआई प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा, "न मिटने वाली स्याही के इस्तेमाल से (नियम का) दुरुपयोग रुकेगा..." उन्होंने यह भी कहा, "और यह अफरातफरी भी खत्म हो जाएगी, जब एटीएम खाली होना बंद हो जाएंगे..." उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि रोज़मर्रा के लेनदेन में बेहद महत्वपूर्ण साबित होने वाले 500 रुपये के नए नोटों की किल्लत मौजूदा समस्या की जड़ है. अरुंधति भट्टाचार्य के अनुसार, "500 रुपये के नोट बस अभी एटीएम में आने शुरू हुए हैं... एक बार जब इनकी सप्लाई ठीक ढंग से होने लगेगी, प्रति कार्ड प्रतिदिन की सीमा को बढ़ाया जा सकता है..."
एसबीआई प्रमुख के मुताबिक, इस समय 'पांच दिन तक सब्र' रखने की ज़रूरत है, और कुछ छोटे शहरों में लाइनें छोटी होनी शुरू हो भी गई हैं, हालांकि बड़े शहरों में, जहां बाहर से आने वाले लोगों की तादाद ज़्यादा होती है, इन लाइनों को छोटा होने या हालात को बेहतर होने में कुछ वक्त लग सकता है.
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