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This Article is From Aug 07, 2011

ताजा पीएसी रिपोर्ट पर संसद में हो सकता है हंगामा!

नई दिल्ली: संसद में इस सप्ताह फिर माहौल गरमाने की सम्भावना है, क्योंकि 2जी घोटाले पर लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी की ताजा रिपोर्ट को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) ने खारिज करने का संकेत दिया है। इसमें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में प्रधानमंत्री की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं। इस बीच योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने इस मुद्दे पर मनमोहन सिंह का बचाव करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री कैबिनेट का इतना सूक्ष्म प्रबंधन नहीं कर सकते। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता, जोशी ने पीएसी सदस्यों को शनिवार को ही दोबारा तैयार की गई रिपोर्ट वितरित कर दी थी। समझा जाता है कि इस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम की भूमिका पर सवाल उठाया गया है। समझा जाता है कि यह रपट आक्रामक विपक्ष को और बल प्रदान करेगी, जो भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए कमर कसे हुए है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में पीएसी सदस्यों को वितरित की गई है, जब एक दिन पहले ही नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने प्रधानमंत्री कार्यालय और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की सरकार को क्रमश: सुरेश कलमाड़ी की खेलों की आयोजन समिति का अध्यक्ष नियुक्त करने और आयोजन में अनियमितता के लिए जिम्मेदार ठहराया है। पीएसी में शामिल संप्रग सदस्यों ने रविवार को रपट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इसे खारिज करने के अपने इरादे का संकेत दिया। सदस्यों ने जोशी को पीएसी अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की और उन पर राजनीति में लिप्त होने का आरोप लगाया। कांग्रेस सांसद और पीएसी सदस्य, संजय निरूपम ने रिपोर्ट को बकवास बताया और कहा कि यह रद्दी की टोकरी में फेंकने लायक है। निरूपम ने सवाल किया कि संवैधानिक विशेषज्ञों की राय रिपोर्ट में क्यों नहीं शामिल की गई। जोशी ने पीएसी सदस्यों को भेजे एक पत्र के जरिए नया विवाद पैदा कर दिया। पत्र में उन्होंने कहा है कि वह संवैधानिक विशेषज्ञों से मशविरा करने के बाद सदस्यों को दोबारा मसौदा रिपोर्ट भेज रहे हैं। जोशी ने 28 जून को नई पीएसी के समक्ष रिपोर्ट रखने की कोशिश की थी, लेकिन समिति में शामिल संप्रग सदस्यों के तीव्र विरोध के कारण वह सफल नहीं हो पाए थे। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने इस आधार पर रिपोर्ट लौटा दी थी, कि पीएसी के सभी सदस्य इसका समर्थन नहीं करते हैं। जोशी मई में पीएसी के दोबारा अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे। उनका पहला कार्यकाल 30 अप्रैल को समाप्त हो गया था। इस रिपोर्ट से संसद में हंगामा खड़ा होने की सम्भावना है और पहले से भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही सरकार के लिए यह रपट शर्मसार करने वाली साबित हो सकती है। इस बीच एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में अहलूवालिया ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बचाव किया। अहलूवालिया ने कहा, "प्रधानमंत्री, हरेक निर्णय को इतनी बारीकी से नहीं देखते हैं। इसलिए जब मुझे लगता है कि 2जी स्पष्ट रूप से एक समस्या बन गया है, तो मुझे ऐसा नहीं लगता कि इसकी वजह प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इसे ठीक से नहीं सम्भाल पाना है।" अहलूवालिया ने यहां तक कहा कि पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा का यह कहना कि स्पेक्ट्रम की निगरानी के लिए मंत्री समूह गठित न कर प्रधानमंत्री ने गलती की थी, निराधार है। अहलूवालिया से खासतौर से जब इस मुद्दे पर पूछा गया कि लोगों में इस तरह की भावना बलवती हो रही है कि इस मुद्दे से निपटने में प्रधानमंत्री ने उतनी सतर्कता नहीं बरती, तो उन्होंने कहा, "नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। मैं समझता हूं कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं, उन्हें किसी कैबिनेट सरकार की कार्यप्रणाली के बारे में ठीक से जानकारी नहीं है।" अहलूवालिया ने कहा, "अब आप उस मुद्दे की देखरेख के लिए कोई मंत्री समूह तो नहीं गठित कर सकते, जिसके बारे में कैबिनेट स्तर पर निर्णय लिया जा चुका हो। मेरा मानना है कि यदि किसी व्यक्ति को लगा कि कैबिनेट के पूर्व के निर्णयों को बदले जाने की जरूरत है तो उसे उस मुद्दे को कैबिनेट में उठाना चाहिए था।"

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