ट्विटर ने अपनी वेबसाइट से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख (Twitter Jammu Kashmir Ladakh wrong Map) को अलग देश दिखाने वाले भारत के एक गलत नक्शे को हटा दिया है. नक्शे को लेकर हुए विवाद के बाद इस सोशल मीडिया प्लेफॉर्म के खिलाफ कार्रवाई की मांग हो रही थी. बता दें कि ट्विटर ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत के नक्शे (Map Od India) से बाहर दिखाया था, जिसे लेकर सरकार द्वारा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती थी. ट्विटर के इस कदम को लेकर उसे सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना का सामना करना पड़ा रहा है औऱ उस पर कार्रवाई की मांग की जा रही है.
ट्विटर ने जो नक्शा दिखाया था उसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग देश के तौर पर दिखाया गया था. यह नक्शा ट्विटर के "Tweep Life" सेक्शन के अंतर्गत सामने आया था, इसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत के बाहर दिखाया गया था. विकृत नक्शे की ओर एक ट्विटर यूजर ने ध्यान दिलाया और इस मामले में लोगों की तल्ख रिएक्शन सामने आए.
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सूत्रों ने बताया था कि इस मामले में सरकार बेहद सख्त कार्रवाई कर सकती है. केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच चल रहे टकराव के अंतर्गत यह ताजा कड़ी है. नए आईटी नियमों को लेकर इससे पहले भी सरकार और ट्विटर के बीच तीखी तकरार हो चुकी है.
Twitter is confirming by its actions the apprehensions expressed widely in last few months about its bias towards Indian interests & sensitivities.
— P Muralidhar Rao (@PMuralidharRao) June 28, 2021
Twitter's mischeavious representation of Indian Map is strongly condemned. @Twitter has to follow law of land..!
गौरतलब है कि पिछले एक माह में ट्टिवटर और सरकार के बीच टकराहट के कई मामले सामने आए हैं. दो दिन पहले ही ट्विटर ने आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद और संसदीय समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस नेता शशि थरूर के अकाउंट को एक घंटे के लिए ब्लॉक कर दिया था. वहीं कुछ दिनों पहले गाजियाबाद में एक मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई के मामले में भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में ट्विटर इंडिया के प्रमुख को एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया.
वहीं ट्विटर द्वारा आरएसएस के कुछ नेताओं के वेरिफाइड अकाउंट से ब्लू टिक हटाने का मामला भी काफी गरमाया था. सरकार ने 26 मई की समयसीमा के भीतर डिजिटल कंपनियों के लिए लागू नए आईटी नियमों को न लागू करने को लेकर ट्विटर को कानूनी कार्रवाई से दी गई छूट वापस ले ली है. ऐसे में उसके प्लेटफॉर्म पर किसी भी आपत्तिजनक सामग्री को लेकर उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल ही में सोशल मीडिया मंचों से कहा था कि वे “बोलने की आजादी” और “लोकतंत्र” पर भारत को भाषण न दें और दोहराया कि अगर “लाभ कमाने वाली ये कंपनियां” भारत में कमाई करना चाहती हैं तो उन्हें “भारत के संविधान और भारतीय कानूनों” का पालन करना होगा.
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एक कार्यक्रम में व्याख्यान देते हुए प्रसाद ने कहा था कि नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) दिशानिर्देश सोशल मीडिया के इस्तेमाल से संबंधित नहीं हैं लेकिन सोशल मीडिया मंचों के “दुष्प्रयोग” और “गलत इस्तेमाल” से निपटते हैं. उन्होंने कहा था कि इन कानूनों का उद्देश्य सोशल मीडिया फर्मों पर सामग्री को विनियमित करना और फेसबुक, व्हाट्सऐप तथा ट्विटर जैसों को पोस्ट को शीघ्रता से हटाने के लिये किये गए कानूनी अनुरोधों तथा संदेशों के प्रवर्तकों का विवरण साझा करने के अनुरोधों के प्रति और जवाबदेह बनाना है.
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