राज्यसभा में हंगामा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
अरुणाचल प्रदेश में पैदा संवैधानिक संकट अदालत के दखल के बाद टला है। इससे कांग्रेस को राहत मिली है, जो कि यह दावा कर रही है कि राज्यपाल बीजेपी के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं। लगातार पांचवे दिन इस मुद्दे पर कांग्रेस ने राज्यसभा नहीं चलने दी।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री आमने-सामने
शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने आरोप लगाया कि गवर्नर राजखोवा निष्पक्ष नहीं हैं। तुकी ने एक न्यूज एजेंसी से कहा, "गवर्नर एक राजनीतिक दल के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने राजभवन को बीजेपी का मुख्यालय बना दिया है।" जाहिर है, अरुणाचल में जारी राजनीतिक संकट के बाद अब प्रदेश में मुख्यमंत्री और गवर्नर आमने-सामने हैं और राज्य में तनाव बढ़ता जा रहा है।
हाईकोर्ट की रोक से कांग्रेस के हौसले बुलंद
उधर कांग्रेस के बागी विधायकों को आधिकारिक तौर पर अलग करने के लिए राज्यपाल ने समय से पहले जो शीतसत्र बुलाया था, उस पर गुवाहाटी हाइकोर्ट ने रोक लगा दी है। अदालत से मिली इस राहत ने कांग्रेस के हौसले जैसे और बुलंद कर दिए। संसद में उसने जमकर हंगामा किया। सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी।
केंद्र सरकार की भूमिका से इनकार
सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कोर्ट ने गवर्नर के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है और अब गवर्नर को तत्काल रिकॉल किया जाना चाहिए। जवाब में संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह संकट स्थानीय वजहों से खड़ा है और इसमें केन्द्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
मायावती ने कहा इस मसले पर विचार करें राष्ट्रपति
दरअसल इस विवाद ने गवर्नर की नियुक्ति और भूमिका पर फिर राजनीतिक बहस छेड़ दी है। राज्य सभा में जारी गतिरोध पर बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा, "गवर्नर पद का दुरुपयोग कांग्रेस और बीजेपी दोनों करते रहे हैं। इस मसले पर संसद को अब सख्ती से पहल करनी चाहिए। राष्ट्रपति को भी इस पर सोचना चाहिए।
गतिरोध जल्द खत्म होने के आसार नहीं
अरुणाचल प्रदेश में जारी राजनीतिक संकट की वजह से इस पूरे हफ्ते राज्यसभा में कामकाज नहीं हो सका। जिस तरह से इस मसले पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं उसे देखते हुए यह विवाद जल्दी खत्म होने के आसार फिलहाल दिखाई नहीं देते।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री आमने-सामने
शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने आरोप लगाया कि गवर्नर राजखोवा निष्पक्ष नहीं हैं। तुकी ने एक न्यूज एजेंसी से कहा, "गवर्नर एक राजनीतिक दल के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने राजभवन को बीजेपी का मुख्यालय बना दिया है।" जाहिर है, अरुणाचल में जारी राजनीतिक संकट के बाद अब प्रदेश में मुख्यमंत्री और गवर्नर आमने-सामने हैं और राज्य में तनाव बढ़ता जा रहा है।
हाईकोर्ट की रोक से कांग्रेस के हौसले बुलंद
उधर कांग्रेस के बागी विधायकों को आधिकारिक तौर पर अलग करने के लिए राज्यपाल ने समय से पहले जो शीतसत्र बुलाया था, उस पर गुवाहाटी हाइकोर्ट ने रोक लगा दी है। अदालत से मिली इस राहत ने कांग्रेस के हौसले जैसे और बुलंद कर दिए। संसद में उसने जमकर हंगामा किया। सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी।
केंद्र सरकार की भूमिका से इनकार
सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कोर्ट ने गवर्नर के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है और अब गवर्नर को तत्काल रिकॉल किया जाना चाहिए। जवाब में संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह संकट स्थानीय वजहों से खड़ा है और इसमें केन्द्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है।
मायावती ने कहा इस मसले पर विचार करें राष्ट्रपति
दरअसल इस विवाद ने गवर्नर की नियुक्ति और भूमिका पर फिर राजनीतिक बहस छेड़ दी है। राज्य सभा में जारी गतिरोध पर बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा, "गवर्नर पद का दुरुपयोग कांग्रेस और बीजेपी दोनों करते रहे हैं। इस मसले पर संसद को अब सख्ती से पहल करनी चाहिए। राष्ट्रपति को भी इस पर सोचना चाहिए।
गतिरोध जल्द खत्म होने के आसार नहीं
अरुणाचल प्रदेश में जारी राजनीतिक संकट की वजह से इस पूरे हफ्ते राज्यसभा में कामकाज नहीं हो सका। जिस तरह से इस मसले पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं उसे देखते हुए यह विवाद जल्दी खत्म होने के आसार फिलहाल दिखाई नहीं देते।
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