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This Article is From Feb 21, 2013

शिवसेना की कार्यशैली में बदलाव की कोई जरूरत नहीं : उद्धव ठाकरे

मुंबई: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एनडीटीवी के साथ खास बातचीत में अपनी पार्टी के भविष्य और राष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तार से बात की।

उद्धव ने कहा कि जब उनके पिता बाला साहेब ठाकरे ने कार्टूनिस्ट के रूप में करियर की शुरुआत की थी और वह (उद्धव) भी एक कलाकार हैं। उनके पिता ने लोगों की मदद करनी चाही और उन्होंने जो भी किया, उसे वह राजनीति नहीं समझते।

उद्धव ने कहा कि आम आदमी को कोई यह कहने वाला होना चाहिए कि डरो मत, हम तुम्हारे साथ हैं। लोगों के वास्ते काम करने के लिए ताकत की जरूरत होती है और ताकत सिर्फ कुर्सी के लिए नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर पार्टी की अपनी छवि होती है, इसलिए शिवसेना की कार्यशैली में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है।

राज ठाकरे के साथ रिश्तों के बारे में उद्धव ने कहा कि मीडिया रिपोर्टों पर बहुत ज्यादा विश्वास मत करें, मुझसे और राज से एकसाथ पूछें (कि क्या कोई गठबंधन हो सकता है)। क्या मैं निराश दिख रहा हूं। हमारा मुख्य चुनावी मुद्दा विकास का होगा। हमने बीएमसी चुनावों में जीत हासिल की, क्योंकि लोगों को हमारा काम दिखा। आजादी के बाद अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले लोगों को अलग राज्य मिला और हर राज्य को अपने लोगों की देखभाल करने की जरूरत है। आप उन राज्यों को कोई नहीं दोष देते, जो अपने लोगों के लिए कुछ नहीं करते। अब नीतीश कुमार बिहार में अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन इससे पहले वहां कुछ नहीं हुआ।

उद्धव ने कहा, बाहर से लोग आएं, यह ठीक है, लेकिन वे जो भी करें, क्या हमें वह सब बर्दाश्त करना चाहिए? यहां लोग सौ साल से रह रहे हैं, इनमें से कितने लोगों को पीटा गया? अगर आप गरीब हैं, तो यह आपकी सरकार का काम है कि वह आपको रोजगार दे, आपकी देखभाल करे। क्या आप बांग्लादेशियों को अपना मानेंगे? अगर हम उत्तर भारतीयों के विरोधी होते, तो बॉलीवुड सितारों को यहां नहीं रहने देते। मैं एक मराठी या हिन्दू होने के नाते क्यों गर्व महसूस न करूं? क्या नीतीश कुमार को बिहारी होने का गर्व नहीं है।

(पुलिसकर्मी की विवादास्पद कविता पर)

सुजाता पाटिल ने जैसा देखा, उसी आधार पर लिखा। कानून कहां है? कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया? हमारी सरकार बहुत कमजोर है। क्या आपको कहीं सरकार दिख रही है? मैं विवाद से भागने वाला आदमी नहीं हूं। मुझे जो उचित लगेगा, वह बोलूंगा।

(फेसबुक कमेंट विवाद पर)

पालघर की लड़कियों के कमेंट पर हिंसा भड़क सकती थी।

(एनसीपी के साथ गठबंधन के बारे में)

क्या एनसीपी हमारी पार्टी के रुख को स्वीकार कर सकती है? जब इतने सालों तक गठबंधन नहीं हो सका, तो फिर ऐसा कैसे संभव हो सकता है।

(प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी पर)
हम सबको साथ बैठकर एक नाम तय करना होगा। बाला साहेब ने उस वक्त सुषमा को आशीर्वाद दिया था, जब कोई नाम चर्चा में नहीं था। इस पर सार्वजनिक बहस नहीं हो सकती। हमें बंद कमरे में बैठकर सबकी बात सुननी होगी। बीजेपी के साथ हमारे समीकरण अच्छे हैं। हमारा विलय नहीं हुआ, लेकिन 20 सालों से गठबंधन कायम है। कांग्रेस ने देश को बर्बादी की राह पर ढकेल दिया है।

(बेटे आदित्य ठाकरे के बारे में)

मैं नहीं समझता कि आदित्य ने अभी राजनीति में प्रवेश किया है, वह सिर्फ यूथ विंग को संभाल रहे हैं। वह कुछ खास मुद्दों पर काम कर रहे हैं। अगर वह चुनावी राजनीति में आएंगे, तो यह उनकी इच्छा होगी। लोग स्वीकार करे या नकार दे, लेकिन अगर वह अच्छा काम कर सकते हैं तो उन्हें राजनीति में क्यों नहीं आना चाहिए?

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