यह ख़बर 21 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

कांग्रेस, राजद बिहार के पुराने काले दिन को फिर वापस लाने की कोशिश में लगे हैं : नीतीश

मुजफ्फरपुर:

अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और राजद के बीच गठबंधन होने के संकेत पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इन दोनों दलों का रिश्ता पुराना है तथा वे इस राज्य में कुशासन और खराब विधि व्यवस्था के उसी काले दिनों को फिर वापस लाने की कोशिश में लगे हैं।

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने को जदयू द्वारा शनिवार को यहां आयोजित संकल्प रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस और राजद के बीच गठबंधन होने के संकेत पर नीतीश ने कहा कि इन दोनों दलों का रिश्ता पुराना है तथा वे इस राज्य में कुशासन और खराब विधि व्यवस्था के उसी काले दिनों को फिर वापस लाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि इन दोनों दलों के बीच गठजोड़ पुराना है और उनकी सरकार के सत्ता में आने के पूर्व बिहार की जो बदहाली हुई उस समय इन दोनों दलों की मिली-जुली सरकार में हुई थी।

चारा घोटाला के एक मामले उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने में ढाई महीने से अधिक समय से रांची जेल में बंद रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की रिहाई की चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा कि वे ऐसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे स्वतंत्रता की लड़ाई लड़कर अंदर (जेल) गए थे।

राजद द्वारा लालू के जेल जाने के लिए नीतीश को जिम्मेवार ठहराए जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि दिल्ली में कांग्रेस नीत संप्रग की सरकार है और जिस सीबीआई ने उन्हें जेल भेजा वह केंद्र सरकार के अधीन काम करती है।

नीतीश ने लालू पर ऐसा लोगों की सहानुभूति हासिल करने के लिए ऐसा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे जेल गए अपनी 'करनी के कारण' गए।

उन्होंने कहा कि लालू का जेल जाना कोई कोई राजनीतिक घटना नहीं है बल्कि न्यायिक फैसला था। उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में सजा हुई थी, पर जेल से बाहर आने के बाद लालू जिस प्रकार से अपने पेश कर रहे उसे बढ़कर कोई और हो ही नहीं सकता।

नीतीश ने कहा कि न तो वे लालू के जेल जाने और न ही उनके जेल से बाहर आने पर कोई प्रतिक्रिया दी, पर बिहार की जनता यह समझती है कि लालू किस कारण से जेल गए। अदालत से सजा मिलने पर जेल गए और उसी से जमानत मिलने पर बाहर आए।

नीतीश ने कहा कि पिछले राजद शासनकाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि बिहार की गाड़ी जो पटरी से उतर गई थी उसे पिछले आठ साल के अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने उसे सही रास्ते पर लाने के लिए रात-दिन मेहनत की है।

राजद शासनकाल के दौरान बिगड़ गई विधि व्यवस्था की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय लोग शाम होने से पहले अपने घर लौट जाना चाहते थे। घर के लोगों को चिंता होती थी। आज वातावरण बदला है बिहार में शहर हो या गांव कानून का राज कायम हुआ है।

नीतीश ने लोगों को आगाह किया कि राजद शासनकाल के दौरान बिहार में जो माहौल था उसे याद करें और फिर उस माहौल को कायम करने की कोशिश होगी।

उन्होंने कहा कि कौन कहता है कि राजद शासनकाल के दौरान बिहार में पैसा नहीं था क्योंकि अगर राज्य के खजाने में राशि नहीं थी तो चारा घोटाले के जरिये खजाना को कैसे लूटा गया।

नीतीश ने कहा कि प्रदेश के पिछले राजद शासनकाल और उनके शासनकाल में यही अंतर है, कल राज्य के खजाने को लूटा जाता था, आज उसे प्रदेश के विकास कार्यों में लगाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ हमारा गठबंधन कार्यक्रमों के आधार पर आधारित था जिसमें न तो विवादित मुद्दों को उभारा जाएगा और न ही विवादित व्यक्तियों (नरेंद्र मोदी) को सामने लाया जाएगा।

नीतीश ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में वह चला पर बाद में विवादित मुद्दों को उभारने की कोशिश होने लगी।

नीतीश ने दावा किया कि भाजपा के साथ गठबंधन के समय यह तय हुआ था कि जम्मू-कश्मीर से जुड़ी धारा 370 को अक्षुण्ण रखा जाएगा, समान आचार संहिता थोपने की बात नहीं होगी तथा अयोध्या मसले का समाधान आपसी बातचीत या अदालत के फैसले से होगा।

उन्होंने कहा कि हम लोगों ने देखा कि विवादित मुद्दों और लोगों को सामने लाने की कोशिश हो रही है। ऐसे में हम लोगों को लगा कि अब एक साथ आगे चलना संभव नहीं है, इसलिए सिद्धांत की खातिर इस गठबंधन से अलग होने का निर्णय लिया।

नीतीश ने कहा कि हम जानते थे कि बिहार में जो सरकार थी उसे जदयू और भाजपा के विधायकों की संख्या को मिलाकर प्रचंड ताकत थी पर सरकार रहे या जाए हमें यह मंजूर नहीं था। वह अपने बुनियादी सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि इस देश में सभी मजहब के लोगों को समान रूप से जीने और आगे बढ़ने का अधिकार है और किसी के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।

नीतीश ने भाजपा पर बिहार में वातावरण को बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए जनता से अपील की कि वे गोलबंद होकर संप्रदायिक ताकतों को परास्त करें।

उन्होंने कहा कि ऐसे में हम सभी को यह संकल्प लेना होगा कि किसी भी हालत में राज्य में सदभाव को बिगड़ने नहीं देंगे।

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नीतीश ने कहा कि केंद्र बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे दे और नहीं दिया तो इसे अगले चुनाव में इसको मुद्दा बनाएंगे। इस संकल्प रैली के माध्यम से यह हम घोषणा करते हुए यह अगले लोकसभा चुनाव का मुद्दा होगा। हम लोगों को इतनी ताकत चाहिए कि जिससे केंद्र अनदेखी नहीं कर सके और बिहार जैसे गरीब और पिछड़े प्रदेश को विशेष राज्य पाने का उसका हक मिले।