
फाइल फोटो
बीजेपी के साथ गठबंधन करने के साथ ही नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए कैंप में शामिल होने जा रहे हैं. इससे सबसे बड़ा फायदा बीजेपी को मिलने जा रहा है. दरअसल इस पूरे मामले में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी को बड़ा फायदा मिलने जा रहा है. यूपी और बिहार को मिलाकर 120 लोकसभा सीटें हैं. अब जदयू और बीजेपी के एक साथ आने के बाद से 2019 के लिहाज से बिहार में एनडीए की राह आसान दिख रही है. 2014 में एनडीए ने यहां की 40 सीटों में से 31 सीटें जरूर जीती थीं लेकिन 2015 में राजद-जदयू के एक साथ चुनावी मैदान में आने से बने जातीय समीकरण को धराशायी करने में बीजेपी को निराशा हाथ लगी थी. अब नीतीश के एनडीए में आने से बिहार में बनने जा रहे नए जातीय समीकरण का लाभ बीजेपी को मिलने की संभावना है. यूपी में पहले से ही बीजेपी ने अपने किले को मजबूत कर रखा है.
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विपक्षी एकता को नुकसान
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ा नुकसान विपक्षी एकता को हुआ है. कांग्रेस के अलावा, सपा, बसपा जैसे दलों की आने वाले लोकसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में एकजुट होने की संभावना को इस नए घटनाक्रम से धक्का लगा है. दरअसल यह गठबंधन उस वक्त ही कारगर हो सकता था जब नीतीश जैसा चेहरा भी उनके साथ होता लेकिन नीतीश के एनडीए कैंप में जाने के बाद से विपक्षी गठबंधन की संभावनाओं पर तुषारापात हुआ है.
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कांग्रेस को झटका
विपक्षी महागठबंधन की ताकत को दिखाने के लिए लालू प्रसाद इसी 27 अगस्त को पटना में एक रैली का आयोजन करने जा रहे हैं. इसमें कहा जा रहा था कि राजद-जदयू के अलावा अखिलेश यादव और मायावती जैसे नेताओं को भी एक मंच पर लाने की योजना थी. अब नीतीश के इस कदम के बाद इस रैली के आयोजन पर ही सवालिया निशान खड़े हो गए हैं और क्षेत्रीय क्षत्रपों को एक मंच तले लाने की कांग्रेस की कोशिशों को झटका लगा है.
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विपक्षी एकता को नुकसान
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ा नुकसान विपक्षी एकता को हुआ है. कांग्रेस के अलावा, सपा, बसपा जैसे दलों की आने वाले लोकसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में एकजुट होने की संभावना को इस नए घटनाक्रम से धक्का लगा है. दरअसल यह गठबंधन उस वक्त ही कारगर हो सकता था जब नीतीश जैसा चेहरा भी उनके साथ होता लेकिन नीतीश के एनडीए कैंप में जाने के बाद से विपक्षी गठबंधन की संभावनाओं पर तुषारापात हुआ है.
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कांग्रेस को झटका
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