निर्भया मामला: दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की केंद्र की याचिका पर शुक्रवार को करेगा सुप्रीम कोर्ट सुनवाई

केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि निर्भया के जिन दोषियों की याचिका किसी भी फोरम में लंबित नही है उन्हें फांसी दी जाए.

निर्भया मामला: दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की केंद्र की याचिका पर शुक्रवार को करेगा सुप्रीम कोर्ट सुनवाई

प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली:

निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा. मिली जानकारी के अनुसार यह सुनवाई दोपहर 12.30 बजे करेगा. मामले की सुनवाई जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जिस्टस एएस बोपन्ना पीठ करेगी. केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि निर्भया के जिन दोषियों की याचिका किसी भी फोरम में लंबित नही है उन्हें फांसी दी जाए. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि निर्भया के चारों दोषियों को अलग अलग फांसी पर नही लटकाया जा सकता.

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बता दें कि कुछ दिन पहले हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों के लिए फिलहाल डेथ वारंट जारी करने से मना कर दिया था. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि हम इस मामले में राष्ट्रपति के पास दायर होने वाली दया याचिका के खारिज होने के बाद ही इसपर फैसला करेंगे. बता दें कि निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दोषी अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. अक्षय की मौत की सजा बरकरार रहेगी. निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दोषी अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका पर जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ में बुधवार को सुनवाई की. कोर्ट ने कहा था कि पुनर्विचार के लिए कोई आधार नहीं. साथ ही कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सही फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के बाद निर्भया की मां ने कहा है कि मैं बहुत खुश हूं. अच्छा हुआ एक कदम और आगे बढ़ गए.

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कोर्ट में क्या दी गईं दलीलें:-

अक्षय की ओर से पेश हुए वकील एपी सिंह ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में अभी तक मीडिया प्रेशर है. इसके साथ ही एपी सिंह ने जांच पर सवाल उठाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब कोर्ट का फैसला आ चुका है, तब ये नया फैक्ट कहां से लाये? कोर्ट ने कहा था कि दोनों पक्ष आधे घंटे में बहस पूरी करें. एपी सिंह ने कहा कि इस मामले में राजनीतिक और मीडिया का दबाव बेहद रहा है. एपी सिंह ने साथ ही गुरुग्राम के एक स्कूल में छात्र की हत्या का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा था कि इस मामले में बेकसूर को फंसा दिया था. अगर सीबीआई की तफ्तीश नहीं होती तो सच सामने नहीं आता. इसलिए हमनें इस केस में भी CBI जैसी एजेंसी से जांच की मांग की थी. 

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दोषी अक्षय की ओर से पेश हुए वकील एपी सिंह ने इस मामले में निर्भया के दोस्त के बयान पर सवाल उठाया. सिंह ने कहा  था कि निर्भया के दोस्त ने पैसे लेकर मीडिया चैनल में इंटरव्यू दिया था. कोर्ट ने इस पर सवाल किया था कि इन बातों का यहां क्या महत्व है. तो एपी सिंह ने कहा था कि वो लड़का इस मामले में एकमात्र चश्मदीद गवाह था. उसकी गवाही मायने रखती है. इस मामले में लड़की के दोस्त ने पैसे लेकर मीडिया को इंटरव्यू दिया, जिससे केस प्रभावित हुआ. वो इस मामले में एकमात्र चश्मदीद गवाह था. सिंह ने कहा था कि निर्भया के दोस्त के खिलाफ हमने पटियाला हाउस कोर्ट में केस किया है, जिस पर 20 दिसम्बर को कोर्ट सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा ये रेलेवेंट कैसे है? तो सिंह ने कहा था कि ये नया सबूत है. वहीं अक्षय के वकील ने मामले की जांच पर भी सवाल उठाए.

इसके अलावा तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ अफसर सुनील गुप्ता की किताब का भी जिक्र किया. किताब में राम सिंह की आत्महत्या पर सवाल उठाए थे. सिंह ने TIP यानी टेस्ट इन परेड को लेकर सवाल उठाए. जस्टिस बानुमति ने कहा कि इस तथ्य पर विचार किया जा चुका है. सिंह ने कहा कि नहीं ये नया फैक्ट है. कोर्ट ने कहा कि इसका कोई मतलब नहीं अगर किसी केस में ट्रायल पूरा होने के बाद कोई किताब लिखे.

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सिंह ने कहा कि कई फैक्ट हैं, जिन पर विचार नहीं किया गया. सुनील गुप्ता ने कहा था कि TIP के समय मैं वहां मौजूद था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि TIP मामले को कोर्ट के सामने पहले भी लाया गया था. किताब अदालत के फैसले के बाद आई. कल को कोई कुछ भी लिखेगा तो क्या कोर्ट से सबूत मान लेगा. इससे बेहद खराब ट्रेंड शुरू हो जाएगा. कोर्ट ने कहा था कि हम किसी भी लेखक के विचारों पर नहीं जा सकते. हम अब इस सब में नहीं जा सकते. यह एक खतरनाक प्रवृत्ति सेट करेगा, यदि लोग ट्रायल समाप्त होने के बाद किताबें लिखना शुरू करते हैं और ऐसी चीजों के बारे में बात करते हैं. यदि हम इन सभी दलीलों को सुनना शुरू कर देंगे तो कोई अंत नहीं होगा. उन्हें मुकदमे के समय खुद को आगे लाना चाहिए था. अब यह सब लिखने का उद्देश्य क्या हो सकता है? हम इस पर कैसे जवाब दे सकते हैं? जस्टिस भूषण ने वकील एपी सिंह की किताब वाली दलील पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि हम केवल केस के सबूतों पर बहस को सुनेंगे.

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सिंह ने वेद पुराण, त्रेता युग का जिक्र किया और कहा कि कलयुग में लोग केवल 60 साल तक जीते हैं, जबकि दूसरे युग में कहीं ज्यादा. सिंह ने दिल्ली की आबोहवा का हवाला भी दिया. सिंह ने कहा था कि मौत की सजा मानवाधिकारों के खिलाफ है और भारतीय संस्कृति के खिलाफ है. हम दिल्ली में रह रहे हैं और हवा गैस चैंबर की तरह है, मौत की सजा क्यों? मुझे इसलिए मौत की सजा दी जा रही है, क्योंकि मैं गरीब हूं. दिल्ली/NCR में हवा की गुणवत्ता और पानी की गुणवत्ता विषाक्त और जहरीली है. किसी भी औसत व्यक्ति का जीवन काल कम से कम होता जा रहा है. निर्भया के बलात्कारी के लिए वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में पूछा कि इस तरह की स्थिति में किसी पर मौत की सजा क्यों?