निर्भया केस : दया अर्जी खारिज होने के खिलाफ दोषी मुकेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल सुना सकता है फैसला

निर्भया केस मामले में दोषी मुकेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 29 जनवरी को फैसला सुना सकता है. जस्टिस भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने आज दोनों पक्षों की दलीलें सुनी हैं. 

निर्भया केस : दया अर्जी खारिज होने के खिलाफ दोषी मुकेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल सुना सकता है फैसला

सुप्रीम कोर्ट में दोषी मुकेश की याचिका पर सुनवाई

नई दिल्ली:

निर्भया केस मामले में दोषी मुकेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 29 जनवरी को फैसला सुना सकता है. जस्टिस भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने आज दोनों पक्षों की दलीलें सुनी हैं. मुकेश ने राष्ट्रपति के 17 जनवरी को दया याचिका खारिज करने के फैसले को चुनौती दी थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को 32 वर्षीय मुकेश सिंह की दया याचिका अस्वीकार कर दी थी. प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआरगवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए पहले दिन कहा  था कि यदि किसी व्यक्ति को फांसी पर लटकाया जाना है तो इससे ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं हो सकता और उसकी याचिका पर सुनवाई करना प्राथमिकता है.

सुप्रीम कोर्ट में किसने क्या कहा, Highlights

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  •  सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश की वकील से पूछा कि आपको बहस करने के लिए कितना समय चाहिए. इस पर जवाब मिला की एक घंटा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐतराज जताया तो वकील ने कहा कि आधे घंटे में बहस पूरी कर लेंगे. 
  • मुकेश की वकील ने कहा, 'संविधान के मुताबिक जीने का अधिकार और आजादी सबसे महत्वपूर्ण है. संविधान के मुताबिक जीने का अधिकार और आजादी सबसे महत्वपूर्ण है. राष्ट्रपति के फैसले की भी न्यायिक समीक्षा हो सकती है'.  
  • मुकेश की वकील ने कुछ पुराने फैसले पढ़े.
  • मुकेश की वकील ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मुताबिक राष्ट्रपति को किसी दया याचिका पर विचार करते समय आपराधिक मामले के सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि ऐसे मामलों में सावधानी पूर्वक फैसला लेना चाहिए. 
  • मुकेश की वकील,  'सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि राष्ट्रपति के फैसले को मेरिट पर चुनौती नहीं दी जा सकती. लेकिन कोर्ट ने चार बिंदुओं पर ही सीमित किया है जिनके आधार पर चुनौती दी जा सकती है.
  • मुकेश की वकील ने हवाला देते हुए कहा,  ईपुरु सुधाकर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह अच्छी तरह से तय है कि राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा क्षमा शक्ति का अभ्यास या गैर अभ्यास, जैसा भी मामला हो, न्यायिक समीक्षा से बाहर नहीं है.
  • मुकेश की वकील ने कहा, अदालत ने माना था कि अनुच्छेद 72 या अनुच्छेद 161 के तहत राष्ट्रपति या राज्यपाल के आदेश की न्यायिक समीक्षा, जैसा भी मामला हो, उपलब्ध है और उनके आदेश पर इन आधारों पर चुनौती दी जा सकती: (ए) यह आदेश विवेक के इस्तेमाल के बिना पारित किया गया है, (बी) यह आदेश दुर्भावनापूर्ण  है, (ग) यह आदेश बिना प्रासंगिक विचारों पर पारित किया गया है, (घ) प्रासंगिक सामग्री को विचार से बाहर रखा गया है.
  • मुकेश की वकील : राष्ट्रपति का फैसला बिना विवेक के इस्तेमाल के लिया गया. ये मनमाना और दुर्भावनापूर्ण है. 
  • मुकेश की वकील ने कहा, कुछ तथ्यों पर विचार नहीं किया गया कई तथ्यों को राष्ट्रपति के सामने नहीं रखा गया . ये प्रक्रियागत खामी है.  यहां तक कि दया याचिका खारिज होने से पहले ही काल कोठरी (अकेले जेल में ) रख दिया गया. ये जेल मैन्युअल के खिलाफ है. 
  • मुकेश की वकील ने कहा, इस केस में MHA ने भी सारे तथ्य राष्ट्रपति के सामने नहीं रखे. प्रक्रियाओं में गंभीर खामी रही. काल कोठरी में रखना असंवैधानिक है. 
  • मुकेश की वकील को सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कोर्ट सारी मेरिट पर विचार कर चुका है. हम सिर्फ दया याचिका खारिज करने में विवेक के इस्तेमाल ना करने की बात पर ही विचार कर सकते हैं. अब 2 बजे से सुनवाई जारी रहेगी. 
  • मुकेश की वकील ने कहा- मुकेश के साथ "यौन उत्पीड़न" हुआ.  उस समय जेल ऑफिसर वहाँ थे लेकिन उन्होंने मदद नही की.  मुझे हॉस्पिटल उस समय नही ले जाया गया. बाद में मुझे दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल में ले जाया गया.  
  • मुकेश की वकील ने कहा वो मेडिकल रिपोर्ट कहाँ है? उसके भाई "राम सिंह" को मार दिया गया. जेल अफसर कह रहे है कि उसने फांसी लगाई गई, जबकि उसका एक हाथ खराब था. मुकेश ने कहा कि मैं इस बाबत FIR दर्ज कराना चाहता था. 
  • मुकेश की वकील का तिहाड़ जेल प्रशासन पर बड़ा आरोप कहा कि मुकेश को क्यूरेटिव याचिका खारिज होने से पहले ही 'एकांत कारावास' में रखा गया था.  सेल में उसे अकेला रखा जाता था. ये सुप्रीम कोर्ट के सुनील बत्रा केस में फैसले के खिलाफ है. 
  • सरकारी वकील तुषार मेहता ने मुकेश की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने के बाद गृह मंत्रालय के सारे जजमेंट उनके सामने रखने होते हैं इस केस में भी यही हुआ है. 
  • एसजी तुषार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही कहा है कि दया याचिका के निपटारे में देरी अमानवीय है. इसे तुरंत होना चाहिए.
  • जो भी दस्तावेज नियमों के तहत जरूरी होते हैं वो राष्ट्रपति के सामने रखे गए. जेल में उत्पीड़न का कोई आधार नहीं है कि अपराधी के प्रति दया दिखाई जाए. 
  • एसजी तुषार ने कहा कि कुछ सीमित समय के लिए उसे सुरक्षा कारणों से सिंगल सेल मे रखा गया था. वो ऊपर से खुला था.  वो भी अन्य कैदियों की तरह बाहर आता था. दया याचिका पर जल्द फैसला जीने के अधिकार के जनादेश के तहत. देरी को आप चुनौती दे सकते हैं लेकिन जल्द फैसला करने को आप कैसे चुनौती दे सकते हैं. 
  • सरकारी की ओर से पेश वकील तुषार मेहता ने कहा कि हम दया याचिका के निपटारे में देरी करते तो ये अमानवीय प्रभाव वाला होता. सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति के लिए दया याचिका के निपटारे के लिए गाइडलाइन बनाने की मांग की गई थी.  लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो ये तय नहीं कर सकता कि राष्ट्रपति कैसे अपने इस संवैधानिक शक्ति का इस्तेमाल करें. 
  • तुषार मेहता ने कहा- राष्ट्रपति के फैसले की न्यायिक समीक्षा नही कर सकता कोर्ट. ये जेलर तय नही कर सकते कि दोषी दया के योग्य है या नहीं. निर्भया के चारों दोषी मेडिकल रूप से पूरी तरह ठीक हैं. मेडिकल रिपोर्ट पर ट्रायल कोर्ट विचार कर चुका है. 
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