प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
एनआईए को लेकर देश भर में चर्चा हो रही है कि यह जांच एजेंसी भगवा विचारधारा वाले आतंकवादी गुटों के खिलाफ नरमी दिखा रही है, लेकिन जांच एजेंसी इस आरोप को खारिज कर रही है। एनआईए उलटा कह रही है कि जांच करते समय उसे कई अड़चनों का सामना करना पड़ता है। उसे जांच करने के लिए और अधिकार दिए जाने चाहिए।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक एनआईए अधिकार चाहती है कि वह विदेश जाकर भी मामलों में जांच कर सके। पठानकोट में एनआईए की टीम पाकिस्तान जाना चाहती है लेकिन उसकी अर्ज़ी अभी भी विदेश मंत्रालय में पड़ी है। अगर इस संशोधन को मंजूरी मिल गई तो एनआईए जायज तरीके से जा सकेगी।
एनआईए के नोट को आधार बनाकर गृह मंत्रालय ने एक कैबिनेट नोट भी तैयार किया है। इसमें सबसे ज्यादा विवाद एनआईए अफसरों के कोवर्ट ऑपरेशंस को कानूनी अधिकार देने की बात को लेकर हो रहा है। यही नहीं plea bargain के मामलों में अगर किसी शख्स को फांसी की सजा होती है और वह जांच एजेंसी की मदद के लिए तैयार हो जाता है तो उसकी सजा घटाकर उम्र कैद कर दी जाएगी।
गृह मंत्रालय तर्क दे रहा है कि मौजूदा स्थिति में एनआईए को जांच में प्रशासनिक और ऑपरेशनल दिक्कतें आती हैं, इसीलिए उसको और ताकत देने की जरूरत है इसीलिए यह संशोधन जरूरी है।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक एनआईए अधिकार चाहती है कि वह विदेश जाकर भी मामलों में जांच कर सके। पठानकोट में एनआईए की टीम पाकिस्तान जाना चाहती है लेकिन उसकी अर्ज़ी अभी भी विदेश मंत्रालय में पड़ी है। अगर इस संशोधन को मंजूरी मिल गई तो एनआईए जायज तरीके से जा सकेगी।
एनआईए के नोट को आधार बनाकर गृह मंत्रालय ने एक कैबिनेट नोट भी तैयार किया है। इसमें सबसे ज्यादा विवाद एनआईए अफसरों के कोवर्ट ऑपरेशंस को कानूनी अधिकार देने की बात को लेकर हो रहा है। यही नहीं plea bargain के मामलों में अगर किसी शख्स को फांसी की सजा होती है और वह जांच एजेंसी की मदद के लिए तैयार हो जाता है तो उसकी सजा घटाकर उम्र कैद कर दी जाएगी।
गृह मंत्रालय तर्क दे रहा है कि मौजूदा स्थिति में एनआईए को जांच में प्रशासनिक और ऑपरेशनल दिक्कतें आती हैं, इसीलिए उसको और ताकत देने की जरूरत है इसीलिए यह संशोधन जरूरी है।
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