बनारस की संकरी गलियों में आग से निपटने के लिए मोटरसाइकिल दस्ता

वाराणसी:

वाराणसी की संकरी और तंग गलियों में अगर आग लग जाए तो क्या होगा ये सवाल आप सब के दिमाग में आ सकता है। लेकिन अब इससे निपटने के लिए वाराणसी का फायर ब्रिगेड तैयार है, क्योंकि उसके दस्ते में इन संकरी गलियों में जाने के लिए मोटर साइकिल फायर ब्रिगेड दस्ता जो शामिल हो गया है। सिर्फ यही नहीं बड़ी गाड़ियों की जगह जीप में भी फायर दस्ता तैयार है, जो थोड़ी संकरी सड़कों में आग पर काबू पाने का काम करेगा।  
 
सायरन बजाती मोटर साइकिल फायर ब्रिगेड का दस्ता बनारस की संकरी गलियों में आग लग जाने की सूचना आते ही फौरन उसे काबू पाने के लिए निकल पड़ता है। बनारस में ट्रैफिक जैम भी एक बड़ी समस्या है, लेकिन इस जाम से वे लोगों नहीं फंसते जो साइकिल या मोटर साइकिल से हों और उन्हें बनारस की गलियों का ज्ञान हो। ये फायर ब्रिगेड दस्ता मोटर साइकिल पर हैं और इन्हें एक दूसरे से जुड़ी गलियों का ज्ञान भी है, लिहाजा ये लोग चंद मिनटों में ही इन संकरी गलियों में पहुंच जाते हैं और अपने पीछे लगे पानी और केमिकल से भरे कंटेनर को लेकर मकान के जिस भी हिस्से आग में लगी होती है उस पर फ़ौरन काबू पा लेते हैं।

यह देखने में एक दम आम मोटर साइकिल जैसी ही है। इसमें खास बात है, इसमें लगे हुए दो सिलेंडर, हूटर सायरन, लाइट और आग पर काबू पाने के लिए 9 लीटर पानी के साथ फोम केमिकल। आग अगर छोटी होती है, तो इतने से ही काबू में आ जाती है अगर नहीं आ पाती तो इसमें वहीं से पानी भर कर इस्तेमाल करते हैं। यह दस्ता इसके अलावा अपने साथ अलग से केमिकल लिए रहते हैं। पिछले कुछ महीनों में तक़रीबन 15 बार सिलेंडर और दूसरी छोटी आग को बड़ा बनने से पहले बुझा चुके हैं।  
 
गौरतलब है कि बनारस संकरी गलियों का शहर है, जहां एक बड़ी आबादी बसती है। इन संकरी गलियों को जोड़ने के लिए जो सड़के हैं, वह भी इतनी चौड़ी नहीं कि उसमे फायर ब्रिगेड की बड़ी गाड़ी जा सके, लिहाजा उसके लिए एक वाटर मिस्ट है और साथ ही प्रेसर जीप भी है। इसमें 200 लीटर पानी के टैंक के साथ 50 लीटर केमिकल फोम का टैंक हैं और इसमे 30 मीटर लंबा पाईप है, जिसे जोड़ कर 90 मीटर किया जा सकता है। वह इन मोटर साइकिल दस्ते के पीछे के बैकअप का काम करता है।

इतना ही नहीं बनारस अब प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र भी है। यहां का फायर ब्रिगेड आग से लड़ने की पूरी तैयारी किए हुए है। इटली से तक़रीबन साढ़े चार करोड़ की लागत वाले 42 मीटर लंबे हाइड्रोलिंक प्लेटफार्म वाले फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी आई है, जो अभी पूरे प्रदेश में बनारस के बाद सिर्फ लखनऊ में ही है। इस ब्रिगेड से बनारस की बदलती तस्वीर की बड़ी बिल्डिंग में लगी आग, लोगों को रेस्क्यू करने जैसी मुसीबतों में काम आएगी ।  
 
हालांकि आग से निपटने की चुनौती हर वक्त बड़ी रही है और यही वजह है कि नई नई तकनीक इजाद होती जा रही है। गलियों के शहर बनारस में यह चुनौती और बड़ी होती जाती है, लेकिन इस फायर ब्रिगेड के दस्ते के आने से इससे कुछ राहत ज़रूर मिल रही है। बस ज़रुरत है और मोटर साइकिल दस्ते की जिससे बनारस की गलियों में आग से निपटने की मुक्कम्मल व्यवस्था हो सके।


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