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This Article is From May 13, 2018

NDTV का असर : रवीश कुमार ने उठाया ट्रेनों की लेट-लतीफी का मुद्दा, रेलवे विभाग आया हरकत में

एनडीटीवी इंडिया के रवीश कुमार द्वारा 'प्राइम टाइम' में ट्रेनों की लेट-लतीफी का मुद्दा उठाने और इस पर सीरीज शुरू करने के बाद रेलवे हरकत में आया है.

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NDTV का असर : रवीश कुमार ने उठाया ट्रेनों की लेट-लतीफी का मुद्दा, रेलवे विभाग आया हरकत में
चेयरमैन ने उन आधा दर्जन से ज्यादा ट्रेनों के समय की निगरानी का भी निर्देश दिया है जो पिछले कुछ दिनों से बहुत ज्यादा लेट-लतीफी का शिकार हैं
नई दिल्ली: एनडीटीवी इंडिया के रवीश कुमार द्वारा 'प्राइम टाइम' में ट्रेनों की लेट-लतीफी का मुद्दा उठाने और इस पर सीरीज शुरू करने के बाद रेलवे हरकत में आया है. समस्या को दुरुस्त करने की कवायद शुरू हो गई है. शनिवार को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने ट्रेनों की लेट-लतीफी के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जोन की समीक्षा बैठक ली और ट्रेनों की गति सीमा की भी स्क्रूटनी की. दूसरी तरफ, 70 फीसद से कम पाबंदी वाले 8 जोन के प्रबंधकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की गई और ट्रेनों के लेट-लतीफी पर चर्चा हुई. 

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आपको बता दें कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में 30 फीसद ट्रेनें लेट-लतीफी का शिकार थीं. जानकारी के मुताबिक समयबद्धता के मामले में यह पिछले 3 वर्षों में रेलवे का सबसे खराब प्रदर्शन था. सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले 8 जोन में ईस्ट कोस्ट रेलवे, ईस्ट सेंट्रल रेलवे, ईस्टर्न रेलवे, नार्दर्न रेलवे, नॉर्थ सेंट्रल रेलवे और साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे शामिल हैं. बैठक में इन सभी जोन में वर्तमान वित्तीय वर्ष में ट्रेनों की समयबद्धता को लेकर विस्तार से चर्चा हुई. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने कहा कि समय-सारिणी का बेहतर इस्तेमाल होना चाहिए. ये जरूरी काम है, लेकिन जोनल रेलवे को आउटपुट बढ़ाने पर जोर देना चाहिए. बैठक में जोनल रेलवे की तरफ से समय-सारिणी को सुधारने और कोचिंग स्टॉक का मुद्दा भी उठाया गया.

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अधिकारियों ने कहा कि, 'चेयरमैन ने उन आधा दर्जन से ज्यादा ट्रेनों के समय की निगरानी का भी निर्देश दिया है जो पिछले कुछ दिनों से बहुत  ज्यादा लेट-लतीफी का शिकार हैं'. गौरतलब है कि, अप्रैल 2017 से मार्च 2018 के दौरान मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की समयबद्धता 71.39 प्रतिशत थी. 2016-17 के मुकाबले इसमें 5.3 फीसद की गिरावट आई थी. 

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VIDEO:प्राइम टाइम : भारतीय रेल लेटलतीफी की शिकार क्यों?

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