पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
ईद के मुबारक मौके पर भी पाकिस्तान भारत के खिलाफ ज़हर उगलने से बाज नहीं आया. यूं तो कोई भी त्योहार शांति और भाईचारे का संदेश देता है और अपेक्षा की जाती है कि ऐसे अवसरों पर लोग अपने आपसी मनमुटाव और लड़ाई झगड़े भूल कर ईश्वर का शुक्रिया अदा करें.
लेकिन यह बात शायद आतंक को अपनी संस्कृति बना लेने वाले पाकिस्तान पर लागू नहीं होती. ईद-उल-अज़हा के मौके पर लश्कर-ए-तैय्यबा के मुखिया हाफिज़ मोहम्मद सईद ने तो भारत के खिलाफ ज़हर उगला ही, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ और राष्ट्रपति ममून हुसैन भी इसमें पीछे नहीं रहे. सभी ने मुंगेरीलाल की तरह कश्मीर की आज़ादी के सपने देखे.
अपने संदेश में नवाज शरीफ ने कहा कि हम इस ईद को कश्मीरियों के 'सर्वोच्च बलिदान' के प्रति समर्पित करते हैं और पाकिस्तान ऐसा तब तक जारी रखेगा जब तक कश्मीर मुद्दा कश्मीरियों के मुताबिक सुलझ नहीं जाता. उन्होंने कहा कि कश्मीरियों को अपने बलिदानों का फल मिलेगा. शरीफ ने अपने परिवार के साथ रावलपिंडी में मस्जिद में नमाज़ पढ़ी और कहा कि भारत से आजादी पाने के संघर्ष में कश्मीरियों ने अपनी तीसरी पीढ़ी का बलिदान दे दिया है. उनकी आवाज को ताकत से नहीं दबाया जा सकता.
वहीं पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममून हुसैन ने ईद के मुबारक मौके पर अपने संदेश में कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद से प्रभावित अपने कश्मीरी भाइयों और बहनों को हमेशा याद रखेगा. इस समय कश्मीर के लोगों को हमारे सपोर्ट की जरुरत है. उन्होंने कहा कि जल्द ही कश्मीर के लोग त्योहारों को आजाद सरजमीं पर मनाएंगे.
उधर लश्कर के चीफ और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद ने भारतीय फौजों के खिलाफ कश्मीरियों की जंग के सफल होने की दुआ की. उसने पाकिस्तान सरकार से कश्मीर पर कड़ा रुख अपनाने और आजादी में कश्मीरियों की मदद करने का आग्रह किया है. ख़ास बात यह है कि हाफिज़ सईद ने हुर्रियत के नेतृत्व को बधाई देते हुए कहा कि वो कश्मीर की जनता को एक मंच पर लाने के लिये सम्मान के हक़दार हैं. सईद ने आगे कहा कि कश्मीर के लोगों ने पहले ही आज़ादी हासिल कर ली है. गुलाम तो वो हैं जो अल्लाह में यक़ीन नहीं करते और महज़ रिवाज के तौर पर ईद मनाते हैं. वह दिन दूर नहीं है जब कश्मीरी आज़ाद हो जाएंगे और जो गुलाम हैं उनके लिये मिसाल पेश करेंगे. उन सब लोगों को ईद की मुबारकबाद जिनका खून कश्मीर के लिये खौलता है.
अब तो यही लगता है कि पाकिस्तान में आधिकारिक तौर पर चुने गए प्रतिनिधि और आतंकवादी दोनों की बातों में भारत को लेकर फर्क़ बेहद कम होता जा रहा है जो भारत के लिये ही नहीं पूरी दुनिया के लिए चिंता की बात है.
लेकिन यह बात शायद आतंक को अपनी संस्कृति बना लेने वाले पाकिस्तान पर लागू नहीं होती. ईद-उल-अज़हा के मौके पर लश्कर-ए-तैय्यबा के मुखिया हाफिज़ मोहम्मद सईद ने तो भारत के खिलाफ ज़हर उगला ही, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ और राष्ट्रपति ममून हुसैन भी इसमें पीछे नहीं रहे. सभी ने मुंगेरीलाल की तरह कश्मीर की आज़ादी के सपने देखे.
अपने संदेश में नवाज शरीफ ने कहा कि हम इस ईद को कश्मीरियों के 'सर्वोच्च बलिदान' के प्रति समर्पित करते हैं और पाकिस्तान ऐसा तब तक जारी रखेगा जब तक कश्मीर मुद्दा कश्मीरियों के मुताबिक सुलझ नहीं जाता. उन्होंने कहा कि कश्मीरियों को अपने बलिदानों का फल मिलेगा. शरीफ ने अपने परिवार के साथ रावलपिंडी में मस्जिद में नमाज़ पढ़ी और कहा कि भारत से आजादी पाने के संघर्ष में कश्मीरियों ने अपनी तीसरी पीढ़ी का बलिदान दे दिया है. उनकी आवाज को ताकत से नहीं दबाया जा सकता.
वहीं पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममून हुसैन ने ईद के मुबारक मौके पर अपने संदेश में कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद से प्रभावित अपने कश्मीरी भाइयों और बहनों को हमेशा याद रखेगा. इस समय कश्मीर के लोगों को हमारे सपोर्ट की जरुरत है. उन्होंने कहा कि जल्द ही कश्मीर के लोग त्योहारों को आजाद सरजमीं पर मनाएंगे.
उधर लश्कर के चीफ और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद ने भारतीय फौजों के खिलाफ कश्मीरियों की जंग के सफल होने की दुआ की. उसने पाकिस्तान सरकार से कश्मीर पर कड़ा रुख अपनाने और आजादी में कश्मीरियों की मदद करने का आग्रह किया है. ख़ास बात यह है कि हाफिज़ सईद ने हुर्रियत के नेतृत्व को बधाई देते हुए कहा कि वो कश्मीर की जनता को एक मंच पर लाने के लिये सम्मान के हक़दार हैं. सईद ने आगे कहा कि कश्मीर के लोगों ने पहले ही आज़ादी हासिल कर ली है. गुलाम तो वो हैं जो अल्लाह में यक़ीन नहीं करते और महज़ रिवाज के तौर पर ईद मनाते हैं. वह दिन दूर नहीं है जब कश्मीरी आज़ाद हो जाएंगे और जो गुलाम हैं उनके लिये मिसाल पेश करेंगे. उन सब लोगों को ईद की मुबारकबाद जिनका खून कश्मीर के लिये खौलता है.
अब तो यही लगता है कि पाकिस्तान में आधिकारिक तौर पर चुने गए प्रतिनिधि और आतंकवादी दोनों की बातों में भारत को लेकर फर्क़ बेहद कम होता जा रहा है जो भारत के लिये ही नहीं पूरी दुनिया के लिए चिंता की बात है.
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