न्यायालय ने कहा है कि बलात्कार के मामलों में स्थिति बदतर हो रही है।
नई दिल्ली:
मंबई में फोटो पत्रकार से सामूहिक बलात्कार और देश में इस तरह की घटनाओं में हो रही वृद्धि से चिंतित उच्चतम न्यायालय ने कहा कि स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की खंडपीठ ने कहा, ‘व्यवस्था में क्या गड़बड है? बलात्कार के 90 फीसदी मामलों में आरोपी क्यों बरी हो रहे हैं? स्थिति तो बद से बदतर होती जा रही है।’ न्यायाधीशों ने सवाल किया, ‘क्यों बलात्कार बार-बार हो रहे हैं? और वह भी महानगरों में?’ न्यायालय ने इसके साथ ही केन्द्र और राज्य सरकारों को ऐसी घटनाओं की पीड़ितों के लिए राहत और पुनर्वास की योजना तत्काल तैयार करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने कहा कि ऐसी योजना में स्कूल जाने वाली लड़कियों की शिक्षा, उनके रहने की व्यवस्था, मुआवजा और पीड़िता तथा गवाहों की सुरक्षा का प्रावधान होना चाहिए।
न्यायालय ने 2012 में हरियाणा में तीन व्यक्तियों द्वारा 15 साल की लड़की से सामूहिक बलात्कार करने और इसकी शिकायत वापस नहीं लेने पर उसकी मां की हत्या के मामले में पीड़ित के पिता की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां कीं।
पीड़ित के पिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कालिन गोन्साल्विज ने कहा कि अनुसूचित जाति के परिवार की परेशानियां यहीं पर खत्म नहीं हुयी। उन्होंने कहा कि स्कूल के प्रिसिंपल ने लड़की को स्कूल में पढ़ाई जारी नहीं रखने दी।
न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा और न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर की खंडपीठ ने कहा, ‘व्यवस्था में क्या गड़बड है? बलात्कार के 90 फीसदी मामलों में आरोपी क्यों बरी हो रहे हैं? स्थिति तो बद से बदतर होती जा रही है।’ न्यायाधीशों ने सवाल किया, ‘क्यों बलात्कार बार-बार हो रहे हैं? और वह भी महानगरों में?’ न्यायालय ने इसके साथ ही केन्द्र और राज्य सरकारों को ऐसी घटनाओं की पीड़ितों के लिए राहत और पुनर्वास की योजना तत्काल तैयार करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने कहा कि ऐसी योजना में स्कूल जाने वाली लड़कियों की शिक्षा, उनके रहने की व्यवस्था, मुआवजा और पीड़िता तथा गवाहों की सुरक्षा का प्रावधान होना चाहिए।
न्यायालय ने 2012 में हरियाणा में तीन व्यक्तियों द्वारा 15 साल की लड़की से सामूहिक बलात्कार करने और इसकी शिकायत वापस नहीं लेने पर उसकी मां की हत्या के मामले में पीड़ित के पिता की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां कीं।
पीड़ित के पिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कालिन गोन्साल्विज ने कहा कि अनुसूचित जाति के परिवार की परेशानियां यहीं पर खत्म नहीं हुयी। उन्होंने कहा कि स्कूल के प्रिसिंपल ने लड़की को स्कूल में पढ़ाई जारी नहीं रखने दी।
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