इस मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय में कई दौर की चर्चा पहले ही हो चुकी है।
बनाए जाएंगे मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट...
सूत्रों का कहना है कि ये लड़ाकू विमान मीडियम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) की श्रेणी के होंगे, जबकि 'तेजस' एक हल्का, यानी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) है। इस तरह के विमानों को बनाने का फैसला इसलिए किया जाएगा, क्योंकि इससे न सिर्फ भारतीय वायुसेना की ज़रूरतें पूरी हो जाएंगी, बल्कि इन्हें निर्यात भी किया जा सकेगा।
किसी भारतीय कंपनी से होगी साझीदारी...
दुनियाभर में लड़ाकू विमान बनाने वाले लगभग आधा दर्जन ही निर्माता हैं, और जिसे भी चुना जाएगा, उसके 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत किसी भारतीय कंपनी से साझीदारी करने की संभावना है, और वह भारतीय कंपनी लड़ाकू विमान प्रोजेक्ट के लिए सरकार की रणनीतिक साझीदार होगी।
भारत को 20 साल में 250-300 लड़ाकू विमानों की ज़रूरत होगी...
अगले 20 सालों में भारतीय वायुसेना को 'तेजस' के अलावा भी कम से कम 250-300 लड़ाकू विमानों की ज़रूरत पड़ेगी, क्योंकि उसके पुराने विमान धीरे-धीरे डी-कमीशन होते चले जाएंगे। इसी साल जुलाई में वायुसेना एकल-इंजन वाले 120 'तेजस' विमानों को शामिल करेगी, और इसके अलावा भारत फ्रांस से भी 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीद रहा है।
"लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने की ज़रूरत..."
रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने NDTV को बताया कि मौजूदा विमानों की संख्या को बरकरार रखने के अलावा "हमें लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने की भी ज़रूरत है..."
ज़रूरी 42 के बदले सिर्फ 33 स्क्वाड्रन हैं आईएएफ के पास...
भारतीय वायुसेना को इस समय लड़ाकू विमानों के 42 स्क्वाड्रनों की ज़रूरत है, लेकिन फिलहाल उसके पास 33 स्क्वाड्रन हैं, और यह संख्या अगले कुछ सालों में काफी कम होने जाएगी, जब रूस-निर्मित मिग-21 (MiG-21) तथा मिग-27 (MiG-27) सेवानिवृत्त होंगे। इसके बाद अगले दशक के अंत तक फ्रांस-निर्मित मिराज 2000 (Mirage 2000) और ब्रिटेन-निर्मित जगुआर (Jaguar) विमान भी रिटायरमेंट की कगार पर होंगे।
अमेरिका के रक्षामंत्री एश्टन कार्टर की हालिया भारत यात्रा के दौरान भारतीय रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर ने पूछा भी था कि अमेरिकी कंपनियां किस तरह की तकनीक को भारत के साथ बांट सकती हैं।
बोइंग और लॉकहीड मार्टिन भी मिल चुकी हैं रक्षा मंत्रालय से...
वैसे, एश्टन कार्टर की यात्रा से पहले अमेरिका की बड़ी निर्माण कंपनियों बोइंग (Boeing) और एफ-16 (F-16) लड़ाकू विमान बनाने वाली लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) ने भारतीय रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की थी, और एफ-16 'सुपर वाइपर' (F-16 'Super Viper') तथा एफ/ए-18 सुपर हॉरनेट (F/A-18 Super Hornet) विमान बनाने का प्रस्ताव दिया था।
NDTV से बातचीत में रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, "इस (प्रस्ताव) पर भी विचार किया जा सकता है, लेकिन उससे पहले अमेरिका को स्पष्ट करना होगा कि उनकी कंपनियां किस तरह की तकनीक भारत को देंगी..."