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संत का दर्जा पाने के लिए दो चमत्कारों को मान्यता मिलना जरूरी होता है
पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत का दर्जा देने की घोषणा मार्च में की थी
सुषमा स्वराज, केजरीवाल और ममता बनर्जी भी कार्यक्रम में शरीक होंगे
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व में केंद्र सरकार का एक 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, दिल्ली से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में तथा पं. बंगाल से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य स्तरीय दल भी इस कार्यक्रम में शरीक होंगे.
नोबेल पुरस्कार विजेता दिवंगत मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशिनरी ऑफ चेरिटी की ननों के मुताबिक मदर टेरेसा की लोकप्रियता के कारण रोम में होने वाले इस समारोह का दुनियाभर में विशेष महत्व होगा.
मिशिनरी ऑफ चेरिटी की सुपीरियर जनरल सिस्टर मेरी प्रेमा के नेतृत्व में देश के विभिन्न हिस्सों से आई 40 से 50 ननों का समूह भी इस समारोह में मौजूद होगा.
कोलकाता के आर्कबिशप थॉमस डीसूजा के अलावा भारत भर से 45 बिशप इस समारोह के लिए वेटिकन में हैं. पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत का दर्जा देने की घोषणा मार्च में की थी. संत का दर्जा पाने के लिए दो चमत्कारों को मान्यता मिलना जरूरी होता है.
हर भारतीय गौरवान्वित होगा : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मदर टेरेसा को गरीबों का 'मसीहा' और कमजोर लोगों का मददगार बताया और कहा कि रविवार को उन्हें संत की उपाधि दिए जाने से हर भारतीय गौरवान्वित होगा.
वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस द्वारा संत की उपाधि दिए जाने के कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर मुखर्जी ने कहा कि मदर टेरेसा दया की प्रतिमूर्ति थीं. उन्होंने कहा, 'उन्हें अपना पूरा जीवन समाज के सबसे गरीब लोगों की सेवा में लगा दिया. मदर टेरेसा खुद को 'भगवान के हाथ में एक छोटे पेंसिल' की तरह देखती थीं और चुपचाप अपना काम करती रहीं.'
गरीबों की मसीहा थीं मदर टेरेसा
उन्होंने कहा, 'हमेशा साधारण उजले, नीले रंग के बॉर्डर वाली साड़ी पहनी हुईं मदर टेरेसा ने अपना काम काफी प्यार और प्रतिबद्धता के साथ किया. मदर टेरेसा ने उन लोगों को गरिमा और सम्मान दिया जो जीवन से परास्त हो गए थे. वह गरीबों की मसीहा थीं और कमजोर लोगों की मददगार थीं. उनके साधारण ढंग ने हर धर्म के लाखों लोगों का दिल जीता.' राष्ट्रपति ने कहा कि प्यार का उनका संदेश पूरी दुनिया में लाखों लोगों को प्रेरित करता है.
उन्होंने कहा, 'मानवता के लिए सेवा की खातिर मदर टेरेसा को दी जा रही संत की उपाधि से हर भारतीय नागरिक गौरवान्वित होगा. मदर टेरेसा के उदाहरण से हम सभी खुद को मानवता के कल्याण के लिए समर्पित हों.' उन्होंने कहा कि मदर टेरेसा ने 1950 में मिशनरिज ऑफ चैरिटी की स्थापना 'भूखे, नंगे और बेघर, नेत्रहीन, लंगड़े, कुष्ठरोगियों, खुद को समाज अवांछित, प्यार से वंचित समझने वाले, समाज के लिए बोझ हो गए लोगों और हर किसी द्वारा नकार दिए गए लोगों के लिए किया था.'
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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