मौसम विभाग ने इस साल अल नीनो के प्रभाव के साथ ही सामान्य मॉनसून की भविष्यवाणी की है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:
भारतीय मौसम विभाग ने केरल में मॉनसून के इस साल 30 मई को दस्तक देने का पूर्वानुमान जताया है, लेकिन मौसमी बारिश एक दिन पहले ही शुरू हो सकती है.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने कहा कि तय समय से पहले मॉनसून के आने के लिए स्थिति अनुकूल दिख रही है.
राजीवन ने बताया, 'मॉनसून की शुरुआत की तारीख 30 मई को घोषित की गई है, लेकिन ऐसी संभावना है कि एक दिन पहले ही केरल में दस्तक दे सकता है'. आमतौर पर केरल में मौसमी बारिश की शुरुआत एक जून से होती है, जिसे देश में मानसून के आगमन का प्रतीक माना जाता है.
मौसम विभाग ने इस साल अल नीनो के प्रभाव के साथ ही सामान्य मॉनसून की भविष्यवाणी की है. राजीवन ने कहा कि मंत्रालय 'क्लाउड सीडिंग' की व्यवहार्यता पर अध्ययन करने के लिए मॉनसून के दौरान एक कार्यक्रम भी शुरू करेगा.
2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से लेकर अब तक इस मंत्रालय की उपलब्धियों का लेखा-जोखा प्रदर्शित करने हेतु आयोजित एक कार्यक्रम में वह बोल रहे थे. पृथ्वी विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन और उनके डिप्टी वाईएस चौधरी भी इस कार्यक्रम में भाग लिया.
इस शोध में दो विमानों को लगाया जाएगा. उनमें से एक विमान क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया करेगा, वहीं दूसरा विमान उसकी व्यवहार्यता का अध्ययन करने हेतु नमूने लेगा.
(इनपुट भाषा से)
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने कहा कि तय समय से पहले मॉनसून के आने के लिए स्थिति अनुकूल दिख रही है.
राजीवन ने बताया, 'मॉनसून की शुरुआत की तारीख 30 मई को घोषित की गई है, लेकिन ऐसी संभावना है कि एक दिन पहले ही केरल में दस्तक दे सकता है'. आमतौर पर केरल में मौसमी बारिश की शुरुआत एक जून से होती है, जिसे देश में मानसून के आगमन का प्रतीक माना जाता है.
मौसम विभाग ने इस साल अल नीनो के प्रभाव के साथ ही सामान्य मॉनसून की भविष्यवाणी की है. राजीवन ने कहा कि मंत्रालय 'क्लाउड सीडिंग' की व्यवहार्यता पर अध्ययन करने के लिए मॉनसून के दौरान एक कार्यक्रम भी शुरू करेगा.
2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से लेकर अब तक इस मंत्रालय की उपलब्धियों का लेखा-जोखा प्रदर्शित करने हेतु आयोजित एक कार्यक्रम में वह बोल रहे थे. पृथ्वी विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन और उनके डिप्टी वाईएस चौधरी भी इस कार्यक्रम में भाग लिया.
इस शोध में दो विमानों को लगाया जाएगा. उनमें से एक विमान क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया करेगा, वहीं दूसरा विमान उसकी व्यवहार्यता का अध्ययन करने हेतु नमूने लेगा.
(इनपुट भाषा से)
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