मिलिए सेना के ऐसे जवान से जो अफसर बना, बैच में किया टॉप

प्रवीण ने न केवल एसएसबी की परीक्षा में टॉप किया बल्कि यही सफलता उसने अफसर ट्रेनिंग अकादमी, गया में भी दोहराई.

मिलिए सेना के ऐसे जवान से जो अफसर बना, बैच में किया टॉप

बेस्ट जीसी का सम्मान पाते लेफ्टिनेंट प्रवीण.

खास बातें

  • महार रेजिमेंट के जवान प्रवीण कुमार अब लेफ्टिनेंट प्रवीण कुमार बन गया है
  • प्रवीण ने तीन बार अफसर बनने के लिए परीक्षा दी
  • प्रवीण ने एसएसबी की परीक्षा में टॉप किया
नई दिल्ली:

महार रेजिमेंट के जवान प्रवीण कुमार अब लेफ्टिनेंट प्रवीण कुमार बन गया है. यह बात कहने में जितनी सरल लग रही है उतनी आसान नहीं है. प्रवीण ने तीन बार अफसर बनने के लिए परीक्षा दी लेकिन पास नहीं कर पाए. इसके बावजूद हार नहीं मानी और फिर जब एक बार कदम बढ़े तो वो फिर कैसे रुकते. प्रवीण ने न केवल एसएसबी की परीक्षा में टॉप किया बल्कि यही सफलता उसने अफसर ट्रेनिंग अकादमी, गया में भी दोहराई. उसने अपने बैच मे टॉप किया है. लेफ्टिनेंट प्रवीण को सिल्वर मेडल से पश्चिमी कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सुरेंद्र सिंह ने सम्मानित किया है.
 

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(अपने पिता के साथ लेफ्टिनेंट प्रवीण)

हरियाणा के भिवानी जिले के रहने वाले प्रवीण अपने परिवार के चौथे पीढ़ी के सदस्य हैं जो सेना में है. प्रवीण के परदादा अलवाद सिंह तब के ब्रिटिश आर्मी में थे, दादा हरलाल सिंह ब्रिटिश आर्मी में भर्ती हुए और भारतीय सेना से रिटायर हुए. इसी तरह प्रवीण के पिता सेना के महार रेजिमेंट में सूबेदार मेजर के पद से रिटायर हुए. अब जब उनका बेटा अफसर बन गया है तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया है. वो कहते हैं कि हमें बहुत ही अच्छा लग रहा है. हमारा परिवार देश सेवा के लिए पैदा हुआ है और अगली पीढ़ी भी फौज़ में ही जाएगी.

प्रवीण 20 फरवरी 2002 को 18 साल की उम्र में सेना मे भर्ती हुए. उस वक़्त वो 12वीं पास थे लेकिन इच्छा थी आगे बढ़ने की. अफसर बनने की..  लिहाजा डिस्टेंस एजुकेशन से बीए की परीक्षा पास की. जब पलटन के अफसरों ने उसके अंदर कुछ करने का जज़्बा देखा. मसलन हर जिम्मेदारी को ढंग से निभाना औरों से अलग हटकर काबिलियत दिखी तो यूनिट के अफसरों ने उसे प्रोत्साहित किया. फिर कमीशन के लिए 2012 में अप्लाई किया लेकिन असफलता हाथ लगी. फिर 2014 में कोशिश की लेकिन एक बार फिर निराशा मिली. आखिरकार 2016 में उनकी मेहनत रंग लाई और न केवल पास हुआ बल्कि पांच दिनों में होने वाली एसएसबी परीक्षा में टॉप किया.

अब अफसर ट्रेनिंग अकादमी में स्पेशल कमीशंड ऑफिसर के तौर पर एक साल चली ट्रेनिंग में करीब 30 साथियों को पछाड़कर नंबर वन का तमगा हासिल किया है. स्पेशल कमीशन ऑफिसर कोर्स में ओवर ऑल बेस्ट कैडेट के तौर पर सिल्वर मेडल हासिल किया.  2011 से ये कोर्स ओटीए गया में शुरू हुआ है और तब से लेकर अब तक करीब 300 जवान यहां अफसर बन चुके हैं. इससे पहले ये कोर्स इंडियन मिलेट्री अकादमी, देहरादून में होता था. सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जो जवान से अफसर बनते हैं वो सेना में बेहतरीन अफसर साबित होते हैं. न केवल अनुशासन में बल्कि उनके अंदर लीडरशीप क्वालिटी भरी होती हो जो सेना जैसे संगठन के लिए काफी फायदेमंद होती है.

सेना के लेफ्टिनेंट प्रवीण की शादी 2005 में ही हो गई थी और अब उनके दो बच्चे हैं. अमूनन साढ़े 22 साल की उम्र में सेना में 12वीं पास करने के बाद सीधे पहले एनडीए और फिर आईएमए देहरादून या फिर ओटीए गया या चेन्नई में कोर्स करने के बाद अफसर बन जाते हैं. पर प्रवीण ने सेना में जवान के तौर पर 15 साल काम करने के बाद सेना में अफसर बनने का अवसर पाया. उसने कश्मीर, बंगाल, आंध्रप्रदेश और लखनऊ जैसे जगहों पर अपनी पलटन के साथ काम किया है. ऐसा भी नहीं है कि प्रवीण को अफसर बनने की तैयारी के लिए कोई छूट मिली हो बल्कि उसने सारी जिम्मेदारी निभाते हुए जो वक़्त मिला उस दौरान उसने मेहनत की और नतीजा सबके सामने है. अब जबकि प्रवीण 33 साल में लेफ्टिनेंट बना है फिर भी वो कम से कम कर्नल के रैंक तक जा ही सकता है. 

सेना में अफसर बनने के लिए सभी को एसएसबी पास करना होता है और जो जवान अफसर बनते हैं उन्हें एसएसबी की परीक्षा में कोई छूट नहीं दी जाती है. इलाहाबाद में सेना के प्रवक्ता ग्रुप कैप्टन बसंत पांडे कहते हैं कि ज्यादातर जवान ज़िन्दगीभर की मेहनत के बाद सूबेदार मेजर के पद से रिटायर होते हैं लेकिन इनमें से जो बीए पास होते हैं और जोश और जुनूनी होते हैं वो अफसर बन जाते हैं. सेना ऐसे होनहार लोगों को मौका देती है अगर आपमें दम है तो आगे बढ़ें. आप ज़िन्दगीभर सिपाही नहीं बने रह सकते हैं. खासकर जबसे सेना में अफसर की कमी हुई है तब से ऐसी कोशिश हुई अगर कोई जवान है जिसने ग्रेजुएशन कर रखा है और अगर काबिल है तो क्यों ना उसे अफसर बनाया जाए. सेना के सामने चुनौती लगातार बढ़ रही है बावजूद अभी भी भारतीय सेना में करीब दस हजार अफसरों की कमी है.

एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए लेफ्टिनेंट प्रवीण ने कहा कि आज उसे अपने आप पर बहुत गर्व है. सेना से उसे कोई भी जिम्मेदारी मिलेगी उसे करने को वह पुरी तरह तैयार है. प्रवीण ने कहा कि पूरे तन मन से देश की सेवा करेंगे.

जब हमने ये जानना चाहा कि अब तो आप अफसर बन गए हैं और पहले जवान थे क्या फर्क महसूस करते हैं, तो प्रवीण कहते हैं कि हमारी फौज़ में कंधे से कंधे मिलाकर चलने की परंपरा है और हम उसी को मानते हैं. मैंने देश के लिए कसम खाई है जो आदेश मिलेगा उसे पूरा करूँगा. 

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