सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों की मांग को लेकर मेधा पाटकर पिछले 16 दिनों से अनशन पर हैं (फाइल फोटो)
भोपाल:
मध्य प्रदेश में नर्मदा घाटी से विस्थापित किए जाने वाले 40 हजार परिवारों के हक के लिए लड़ रहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर शुक्रवार को भी धार जेल में हैं. उनका अनशन 16वें दिन भी जारी रहा. जेल से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में उनकी पेशी नाकाम रही. सुनवाई अब शनिवार को होगी. वहीं आंदोलनकारियों ने मेधा की जान को खतरा बताया है.
मेधा की 9 अगस्त को गिरफ्तारी होने के बाद सरकार दूसरे दिन भी उन्हें अदालत में पेश नहीं कर पाई. जेल से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कुक्षी एसडीएम अदालत से संपर्क साधने की कोशिश की गई, जो कारगर नहीं हो पाई. तीसरे दिन शनिवार को सुनवाई जारी रहेगी.
यह भी पढ़ें: सरदार सरोवर बांध: मेधा पाटकर को अस्पताल से मिली छुट्टी, लेकिन भेजी गईं जेल
मेधा पाटकर नर्मदा घाटी के प्रभावितों, जल, जंगल, लाखों पेड़, स्कूल, कई गांव और पूरी नर्मदा घाटी को सरकार द्वारा गैर कानूनी तरीके से डुबाए जाने और हजारों लोगों को जबरन बेदखल किए जाने के खिलाफ 27 जुलाई से ही अनशन कर रही हैं. अनशन के 12वें दिन उन्हें जबरन एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. 14वें दिन अस्पताल से छोड़े जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल ले जाया गया. शुक्रवार उनके अनशन का 16वां दिन था.
यह भी पढ़ें: अनशन पर बैठीं मेधा पाटकर को जबरन उठा ले गई पुलिस, आंदोलकारियों से हुई झड़प
दूसरी ओर, धार जिला अस्पताल में रखे गए मेधा के साथी नौ अनशनकारियों को चिखल्दा पहुंचा दिया गया. ये सभी वहां पहुंचते ही अन्य साथियों द्वारा किए जा रहे अनशन में फिर शामिल हो गए. उनके जज्बे के स्वागत में कई गीत गाए गए.
आंदोलन के कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने कहा कि मेधा को धार जिला जेल से कुक्षी एसडीएम की अदालत तक लाने के लिए पुलिस बल नहीं था. वहीं नर्मदा घाटी में भारी पुलिस बल की तैनाती कर दमनचक्र चलाया जा रहा है. जेल में भी मेधा सुरक्षित नहीं हैं, उनकी जान को खतरा है. निधि ने बताया कि सरकार मेधा से एक साल का बांड भरवाना चाह रही है कि इस अवधि में वह डूब प्रभावित क्षेत्र में नहीं जाएंगी.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज ने एक बयान जारी कर कहा, "मेधा पाटकर के साथ मध्यप्रदेश सरकार का व्यवहार असभ्य से क्रूर और निर्मम होते हुए अब बर्बरता की हद तक पहुंच गया है."
उन्होंने कहा कि 14 दिन की भूख हड़ताल के बाद अस्पताल से अपने कार्यक्षेत्र के कार्यकर्ताओं से मिलने जाते समय उन्हें गिरफ्तार कर धार की जेल में बंद कर दिया जाना जहां मानवीय संवेदनाओं और सारे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन था, वहीं अब एक वर्ष तक उनके नर्मदा घाटी के डूब प्रभावित इलाके में प्रवेश को प्रतिबंधित करके असंवेदनशील मुख्यमंत्री ने सारी सीमाएं तोड़ दी हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मेधा की 9 अगस्त को गिरफ्तारी होने के बाद सरकार दूसरे दिन भी उन्हें अदालत में पेश नहीं कर पाई. जेल से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कुक्षी एसडीएम अदालत से संपर्क साधने की कोशिश की गई, जो कारगर नहीं हो पाई. तीसरे दिन शनिवार को सुनवाई जारी रहेगी.
यह भी पढ़ें: सरदार सरोवर बांध: मेधा पाटकर को अस्पताल से मिली छुट्टी, लेकिन भेजी गईं जेल
मेधा पाटकर नर्मदा घाटी के प्रभावितों, जल, जंगल, लाखों पेड़, स्कूल, कई गांव और पूरी नर्मदा घाटी को सरकार द्वारा गैर कानूनी तरीके से डुबाए जाने और हजारों लोगों को जबरन बेदखल किए जाने के खिलाफ 27 जुलाई से ही अनशन कर रही हैं. अनशन के 12वें दिन उन्हें जबरन एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. 14वें दिन अस्पताल से छोड़े जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल ले जाया गया. शुक्रवार उनके अनशन का 16वां दिन था.
यह भी पढ़ें: अनशन पर बैठीं मेधा पाटकर को जबरन उठा ले गई पुलिस, आंदोलकारियों से हुई झड़प
दूसरी ओर, धार जिला अस्पताल में रखे गए मेधा के साथी नौ अनशनकारियों को चिखल्दा पहुंचा दिया गया. ये सभी वहां पहुंचते ही अन्य साथियों द्वारा किए जा रहे अनशन में फिर शामिल हो गए. उनके जज्बे के स्वागत में कई गीत गाए गए.
आंदोलन के कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने कहा कि मेधा को धार जिला जेल से कुक्षी एसडीएम की अदालत तक लाने के लिए पुलिस बल नहीं था. वहीं नर्मदा घाटी में भारी पुलिस बल की तैनाती कर दमनचक्र चलाया जा रहा है. जेल में भी मेधा सुरक्षित नहीं हैं, उनकी जान को खतरा है. निधि ने बताया कि सरकार मेधा से एक साल का बांड भरवाना चाह रही है कि इस अवधि में वह डूब प्रभावित क्षेत्र में नहीं जाएंगी.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज ने एक बयान जारी कर कहा, "मेधा पाटकर के साथ मध्यप्रदेश सरकार का व्यवहार असभ्य से क्रूर और निर्मम होते हुए अब बर्बरता की हद तक पहुंच गया है."
उन्होंने कहा कि 14 दिन की भूख हड़ताल के बाद अस्पताल से अपने कार्यक्षेत्र के कार्यकर्ताओं से मिलने जाते समय उन्हें गिरफ्तार कर धार की जेल में बंद कर दिया जाना जहां मानवीय संवेदनाओं और सारे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन था, वहीं अब एक वर्ष तक उनके नर्मदा घाटी के डूब प्रभावित इलाके में प्रवेश को प्रतिबंधित करके असंवेदनशील मुख्यमंत्री ने सारी सीमाएं तोड़ दी हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं