
विजय माल्या (फाइल फोटो).
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कोर्ट ने कहा, माल्या भारत लाएं जाएं तो उन्हें कोर्ट में पेश करें
सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल ने बताया कि प्रत्यर्पण की कोशिश हो रही है
अटॉर्नी जनरल ने बताया कि दिसंबर तक ये प्रक्रिया पूरी हो जाएगी
इससे पहले इसी साल 9 मई को सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना था क्योंकि उन्होंने संपत्ति का पूरा ब्योरा नहीं दिया. कोर्ट ने 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था. दरअसल 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या के खिलाफ अदालत की अवमानना और डिएगो डील से माल्या को मिले 40 मिलियन यूएस डॉलर पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था. बैंकों ने मांग की है कि 40 मिलियन यूएस डॉलर जो डिएगो डील से मिले थे उनको सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराया जाए. सुप्रीम कोर्ट का आदेश सरकार के यूके से प्रत्यर्पण में भी मदद करेगा.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माल्या से पूछा था कि आपने जो कोर्ट में अपनी सम्पतियों के बारे में जानकारी दी थी वो सही है या नहीं ? क्या आपने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन तो नहीं किया? क्योंकि कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि माल्या बिना कोर्ट के अनुमति कोई भी ट्रांजेक्शन नहीं कर सकते. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि माल्या के खिलाफ कोर्ट के आदेश को कैसे लागू किया जा सकता है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या को वापस लाने की कोशिश की जा रही है. वहीं SBI ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि माल्या के ऊपर 9200 करोड़ रुपये का बकाया है. बैकों ने कहा- माल्या की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वह बार-बार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं. विजय माल्या ने कोर्ट में कहा था कि उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वे 9200 करोड़ रुपये बैंक के कर्ज़ को अदा कर पाएं, क्योंकि उनकी सभी संपत्तियों को पहले ही जब्त कर लिया गया है.
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