मानेसर:
हरियाणा में 86 घंटों की कोशिशों के बाद रविवार दोपहर 70 फुट गहरे बोरवेल से निकाली गई चार साल की माही को मृत घोषित कर दिया गया। चिकित्सकों ने कहा कि माही की मौत जिस दिन बोरवेल में गिरी उसी दिन या फिर अगले दिन ही हो गई थी क्योंकि उसका शव नष्ट हो रहा था।
बचावकर्मी बोरवेल के समानांतर खोदी गई सुरंग के रास्ते बच्ची तक पहुंचे थे।
गुड़गांव के अधिकारियों ने बताया कि बच्ची को बचाने के प्रयासों में दिन-रात जुटे रहे सेना के जवानों के पहुंचने से पहले ही वह दम तोड़ चुकी थी।
माही बुधवार रात को बोरवेल में गिर गई थी। उसे बचाने के लिए बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया गया था।
चिकित्सकों ने माही का पोस्टमार्टम करने के बाद कहा कि उसका शव नष्ट हो रहा था।
पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों दीपक माथुर एवं बीबी अग्रवाल ने कहा, "वह उसी दिन या फिर अगले दिन ही मृत हो गई थी।" यद्यपि परीक्षण रिपोर्ट तैयार नहीं हुई है। माही का शव उसके अभिभावकों को सौंप दिया गया।
माही की मौत की पुष्टि सबसे पहले सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रवीण गर्ग ने की थी।
कुछ देर बाद गुड़गांव के उपायुक्त पीसी मीणा ने बच्ची की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि माही की मौत बोरवेल से निकाले जाने और मानेसर के ईएसआई अस्पताल ले जाए जाने से पहले ही हो चुकी थी।
इस खबर ने माही की सलामती की दुआएं करते हजारों लोगों को सकते में डाल दिया। हजारों की तादाद में लोग अस्पताल के बाहर और बोरवेल के पास मौजूद थे। बच्ची की मौत की खबर सुनते ही मां के धीरज का बांध टूट गया।
गुड़गांव पुलिस के अनुसार 26 फरवरी 2004 को इसी तरह चार साल का एक बच्चा बोरवेल में गिर गया था लेकिन उसे बचा लिया गया था।
बचावकर्मी बोरवेल के समानांतर खोदी गई सुरंग के रास्ते बच्ची तक पहुंचे थे।
गुड़गांव के अधिकारियों ने बताया कि बच्ची को बचाने के प्रयासों में दिन-रात जुटे रहे सेना के जवानों के पहुंचने से पहले ही वह दम तोड़ चुकी थी।
माही बुधवार रात को बोरवेल में गिर गई थी। उसे बचाने के लिए बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चलाया गया था।
चिकित्सकों ने माही का पोस्टमार्टम करने के बाद कहा कि उसका शव नष्ट हो रहा था।
पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों दीपक माथुर एवं बीबी अग्रवाल ने कहा, "वह उसी दिन या फिर अगले दिन ही मृत हो गई थी।" यद्यपि परीक्षण रिपोर्ट तैयार नहीं हुई है। माही का शव उसके अभिभावकों को सौंप दिया गया।
माही की मौत की पुष्टि सबसे पहले सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रवीण गर्ग ने की थी।
कुछ देर बाद गुड़गांव के उपायुक्त पीसी मीणा ने बच्ची की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि माही की मौत बोरवेल से निकाले जाने और मानेसर के ईएसआई अस्पताल ले जाए जाने से पहले ही हो चुकी थी।
इस खबर ने माही की सलामती की दुआएं करते हजारों लोगों को सकते में डाल दिया। हजारों की तादाद में लोग अस्पताल के बाहर और बोरवेल के पास मौजूद थे। बच्ची की मौत की खबर सुनते ही मां के धीरज का बांध टूट गया।
गुड़गांव पुलिस के अनुसार 26 फरवरी 2004 को इसी तरह चार साल का एक बच्चा बोरवेल में गिर गया था लेकिन उसे बचा लिया गया था।