टाट्रा ट्रकों की खरीद में रिश्वत की पेशकश करने के मामले में दिल्ली की एक अदालत के आदेश पर सोमवार को लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाशप्राप्त) तेजिंदर सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। अदालत ने इससे पहले उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
उन पर 1,676 टाट्रा ट्रकों की खरीद संबंधी फाइल को मंजूर करने के लिए तत्कालीन सेनाप्रमुख जनरल वीके सिंह को कथित तौर पर 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश करने का आरोप है।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश मधु जैन ने तेजिंदर सिंह की जमानत याचिका को खारिज कर दिया और उन्हें 20 अक्तूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में दे दिया।
न्यायाधीश ने कहा, 'इन्हें हिरासत में लीजिए। दस्तावेजों की जांच तथा मामले की सुनवाई 20 अक्तूबर को होगी।'
इस बीच, सीबीआई ने तेजिंदर सिंह को आरोप-पत्र तथा अन्य कागजात की प्रतिलिपि सौंपी। सिंह अदालत का सम्मन मिलने पर पेश हुए थे।
इससे पहले उन्होंने अपनी जमानत के लिए याचिका दायर की जिसका सीबीआई ने विरोध किया और जिसे बाद में अदालत ने खारिज कर दिया।
अदालत ने गत 28 अगस्त को इस आरोप पत्र का संज्ञान लिया था और इससे पहले सीबीआई द्वारा जांच के दौरान रिकॉर्ड किए गए तत्कालीन रक्षामंत्री एके एंटनी, वीके सिंह और अन्य गवाहों के बयानों को सुना। सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया कि अगस्त-सितंबर 2010 में 1,676 टाट्रा ट्रकों की खरीद संबंधी फाइल वीके सिंह के पास लंबित थी। तत्कालीन सेना प्रमुख वाहनों की कुल दर्शाई गई आवश्यकता संख्या से सहमत नहीं थे और उन्हें ऐसा महसूस हुआ था कि इस आवश्यकता को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया है। इसलिए उन्होंने विभिन्न विभागों से इसके बारे में ताजा राय मांगी थी।
सीबीआई के आरोप-पत्र में कहा गया है कि तेजिंदर सिंह ने वीके सिंह से उनके साउथ ब्लॉक स्थित कार्यालय में 22 सितंबर 2010 को मुलाकात की और मुलाकात के दौरान उन्होंने टाट्रा ट्रकों की खरीद संबंधी इस फाइल को अक्तूबर के पहले सप्ताह तक मंजूरी देने के लिए वीके सिंह को कथित तौर पर 14 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की।
सीबीआई के अनुसार, इस पर वीके सिंह भड़क गए और तेजिंदर सिंह से तत्काल अपने कार्यालय से चले जाने को कहा। इसके बाद उन्होंने इस बारे में एके एंटनी को जानकारी दी।
सीबीआई के आरोपपत्र में दावा किया गया है कि एंटनी ने इस बात की पुष्टि की है कि वीके सिंह ने उन्हें तेजिंदर सिंह की ओर से हुई इस पेशकश की जानकारी दी थी। सीबीआई ने अभियोजन के 20 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं जिनमें एंटनी, प्रधानमंत्री के तत्कालीन सलाहकार टीकेए नायर और वीके सिंह शामिल हैं और आरोप-पत्र के साथ 18 दस्तावेज दायर किए हैं।
जांच एजेंसी ने कहा है कि जांच के दौरान पूर्व सेना प्रमुख ने दावा किया था कि उन्होंने 22 सितंबर 2010 को अपनी और तेजिंदर सिंह के बीच हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया था, लेकिन उन्होंने (वीके सिंह ने) कई प्रयासों के बावजूद उसे यह रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं कराई। उसका यह भी दावा है कि कथित रिश्वत की पेशकश से पहले तेजिंदर सिंह और वीके सिंह के बीच 'बहुत अच्छे कामकाजी रिश्ते' थे।
उसने कहा कि यहां तक कि वीके सिंह ने तेजिंदर का नाम नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑरगेनाइजेशन के प्रमुख के पद के लिए प्रस्तावित करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एसएस मेनन को एक पत्र भी लिखा था। उसने कहा ,लेकिन रिश्वत की पेशकश की घटना के बाद से उन दोनों में संपर्क नहीं हुआ।
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