लोकसभा स्पीकर ( Lok Sabha Speaker Om Birla) और उप राष्ट्रपति (Vice President) ने संसदीय समितियों की ऑनलाइन बैठक आयोजित करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. विपक्षी दलों ने इस कदम का विरोध किया है. उनका कहना है कि कैबिनेट और न्यायपालिका जब वर्चुअल तरीके (virtual Meeting) से काम कर सकती है तो संसदीय समितियों को ऐसा करने की मंजूरी क्यों नहीं मिल रही है.
कई विपक्षी दलों के अलावा एनडीए में शामिल कई पार्टियों ने भी इसके लिए वकालत की थी. हालांकि महामारी के इस दौर में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू (Vice President Venkaiah Naidu) और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) ने संसदीय समितियों को ऑनलाइन बैठकें करने की इजाजत नहीं दी है. कोरोना के कारण विधायी प्रक्रिया वैसे ही ठप सी पड़ी है. तकनीकी और गोपनीयता के प्रावधानों का हवाला देते हुए संसद के दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया है.
राज्यसभा सचिवालय (Rajya Sabha secretariat) ने एक बयान में कहा, जब हालात सामान्य होंगे तो सदस्य संसद में इन बैठकों में हिस्सा ले सकते हैं. अन्यथा इसके लिए नियमों में बदलाव करा पड़ेगा. विपक्षी दलों का तर्क है कि कैसे सरकार नई संसद की इमारत के निर्माण को आवश्यक सेवा मानते हुए कार्य जारी रहने की इजाजत दे सकती है, लेकिन उसने विधायी कार्य की निगरानी करने वाली संसदीय समितियों की बैठकों को आयोजित करने को महत्वपूर्ण नहीं मानती.
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश (Congress MP Jairam Ramesh) ने कहा, मैं आश्चर्यचकित नहीं हूं. एक साल से लगातार अनुरोध के बावजूद संसद की स्थायी समितियों की वर्चुअल बैठकों को कार्य करने की इजाजत नहीं दी जा रही है. पीएम मोदी सारी बैठकें ऑनलाइन कर सकते हैं, लेकिन 30 सांसद ऐसी बैठकें नहीं कर सकते. भारत के जैसे दुनिया में कोई भी देश संसदीय कार्यों से इस तरह भाग नहीं रहा.
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