Lockdown: अर्थव्यवस्था को संकट से उबरने में जुटी सरकार, उद्योग जगत ने नया रोडमैप पेश किया

Lockdown: कई अहम सेक्टर आर्थिक समस्या से घिरे, पहले से संकट झेल रहीं बड़ी ऑटो कंपनियों ने अप्रैल में जीरो सेल्स रिकॉर्ड किया

Lockdown: अर्थव्यवस्था को संकट से उबरने में जुटी सरकार, उद्योग जगत ने नया रोडमैप पेश किया

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

Lockdown: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लॉकडाउन से धीर-धीरे दी जा रही छूट के बाद अर्थव्यवस्था को संकट से उबरने के लिए नई रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. पिछले 24 घंटों में पीएम ने चार अहम बैठकें की हैं. उधर आर्थिक संकट का साया अहम सेक्टरों पर गहराता जा रहा है. पहले से संकट झेल रहीं बड़ी ऑटो कंपनियों ने अप्रैल के लिए जीरो सेल्स रिकॉर्ड की हैं. अब उद्योग जगत ने सरकार के सामने एक नया रोडमैप पेश किया है. 

आर्थिक गतिविधियों को लॉकडाउन के दौरान आगे बढ़ाने की रणनीति में जुटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 24 घंटों में चार अहम बैठकें की हैं. सरकार फास्ट-ट्रैक मोड से अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करने के साथ-साथ घरेलू निवेश बढ़ाने की रणनीति बना रही है, ऐसे वक्त पर जब कोरोना की वजह से आर्थिक गतिविधियां कमज़ोर होती जा रही हैं.  

शुक्रवार को ऑटो कम्पनियों की तरफ से जारी आकंड़ों के मुताबिक भारत की सबसे बड़ी कार बनाने वाली कंपनी मारुति लॉकडाउन की वजह से एक भी कार नहीं बेच पाई. महेंद्रा एंड महेंद्रा कंपनी ने भी भारत में अप्रैल में जीरो सेल रिपोर्ट की है. पहले से गंभीर संकट झेल रहे ऑटो सेक्टर की मुश्किलें और बढ़ गई हैं.

इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर भी खतरा मंडरा रहा है. मार्च 2020 में सीमेंट सेक्टर में सबसे ज्यादा 24.7 % गिरावट आई है, जबकि नेचुरल गैस का प्रोडक्शन 15.2 % तक गिर गया है. गिरावट आठ कोर इंडस्ट्रियल सेक्टरों में से 7 में दर्ज़ की गई है.

देश में लॉकडाउन 24 मार्च को लगाया गया. आठ अहम कोर उद्योगों में जो गिरावट दर्ज़ हुई है वह लॉकडाउन के असर को पूरी तरह से सरकारी आकड़ों में रिफलेक्ट नहीं कर रही है. अप्रैल के जब आकड़े आएंगे तो यह गिरावट और बड़ी होगी.  

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अब उद्योग संघ फिक्की ने कोर इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को संकट से उबारने के लिए सरकार के सामने एक नया रोडमैप पेश किया है. सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर में नया निवेश फैक्ट-ट्रैक करे. लोन और ब्याज के रीपेमेंट पर मोरेटोरियम 3 महीने और बढ़ाया जाए. स्टील प्रोडक्ट के घरेलू उत्पादन को प्राथमिकता दी जाए. स्टील सेक्टर को इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का दर्ज़ा दिया जाए. 6 महीने के लिए रॉयल्टी टाली जाए. कच्चे माल के आयत पर ड्यूटी ख़त्म हो. अब देखना होगा कि सरकार इन मांगों से आने वाले दिनों में कैसे निपटती है.