Lockdown: औरया हादसे के बाद प्रशासन जाग गया है. ट्रकों के ऊपर बैठने वाले श्रमिकों को उतारा जा रहा है. लेकिन श्रमिकों की मुश्किलें अभी भी खत्म नहीं हुईं. श्रमिकों के लिए इंतजाम नाकाफी हैं. कई श्रमिकों का आरोप है कि जिन प्राइवेट बसों में बैठाया जा रहा है, उनमें पैसा वसूला जा रहा है.
तेज गर्मी में श्रमिकों के लिए न रुकने की जगह है और न ही खाने का बंदोबस्त. महानगरों से घर लौट श्रमिकों की सड़क दुर्घटनाओं में आए दिन मौत हो रही है. औरया में हुए भीषण हादसे में 24 श्रमिकों की मौत हो गई, 38 घायल हो गए. जबकि बीते 12 घंटे में यूपी, एमपी में हुए सड़क हादसों में 31 श्रमिकों की मौत हो चुकी है.
एनएच 19 पर दो दर्जन से ज्यादा मजदूरों की शनिवार तड़के तीन बजे जान चली गई. यहां एक ढाबे पर खड़े एक ट्रक को फरीदाबाद से आ रहे ट्रक ने टक्कर मार दी. टक्कर मारने वाले ट्रक पर लदे मार्बल पाउडर की बोरियों पर बैठकर 60 से ज्यादा श्रमिक झारखंड जा रहे थे. हादसे में ज्यादातर मजदूरों की मौत दबने से हो गई. हादसा इतना भीषण था कि दर्जन भर से ज्यादा की हालत गंभीर बनी हुई है. औरया जिला अस्पताल में घायल शंभू महतो के भाई की जान इस हादसे में चली गई. शंभू महतो ने बताया कि राजस्थान से हम लोग आ रहे थे. कुछ दूर बस से आए फिर पुलिस वालों ने हमें ट्रक पर बैठा दिया.
हादसे के बाद प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ने अफसोस भी जाहिर किया लेकिन हादसों का सिलसिला है कि रुकने का नाम नहीं ले रहा है...मध्यप्रदेश के सागर के पास मजदूरों से भरा ट्रक पलटा जिससे 5 की मौत हो गई. वहीं लखनऊ एक्सप्रेसवे पर ऑटो से दरभंगा जा रहे एक परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई है. गैरसरकारी आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान हुई दुर्घटनाओं में अब तक 376 लोगों की मौत हो चुकी है.
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