Koo App ने पहली बार उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव संबंधी जानकारियां जारी की हैं. यह आंकड़े उन भारतीयों की भावना को दर्शाते हैं, जिन्हें पहली बार कम्युनिटीज बनाने और माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर अपनी मातृभाषा का इस्तेमाल करने का मौका मिला था. चूंकि इस बार वर्चुअल रैलियों और ई-प्रचार के जरिये प्रमुख रूप से डिजिटल चुनाव प्रचार देखने को मिला, जिसके चलते 10 मूल भाषाओं में ऑनलाइन अभिव्यक्ति को सक्षम बनाने वाले Kooऐप से प्रत्याशियों के जुड़ने का सिलसिला तेज होता दिखा. इसके साथ ही प्रत्याशियों ने क्षेत्रों में और स्थानीय भाषाओं में अपने मतदाताओं तक पहुंचने के लिए इसका जमकर फायदा उठाया.
आंकड़ों से पता चलता है कि पांच राज्यों के 690 नवनिर्वाचित विधायकों में से लगभग 28.4 प्रतिशत यानी 196 उम्मीदवार चुनावी मौसम के दौरान इस मंच पर मौजूद थे और इन्होंने वोटरों के साथ रीयल टाइम में ई-कनेक्ट करने, अपडेट देने और प्रतिक्रिया जानने के लिए कू ऐप की बहुभाषी विशेषताओं का जमकर इस्तेमाल किया. भारतीयों को अपनी पसंद की भाषा में खुद की अभिव्यक्ति का अधिकार देकर सभी को एक साथ जोड़ने के Koo App के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए मंच पर इस दौरान कई फीचर्स पेश किए गए, इनमें चुनाव अपडेट, चैट रूम और लाइव फीचर जैसे विशेष टैब शामिल रहे, जो वोटरों के बीच उमीदवारों को अपनी बात ऑनलाइन रखने और सार्वजनिक चर्चा में जुड़ने में मदद करते हैं.
Koo पर अकाउंट वाले राज्यवार विजयी उम्मीदवारों की बात करें तो 403 सीटों वाले यूपी में यह संख्या 154 (38.2%), 117 सीटों वाले पंजाब में 23 (19.7%), 40 सीटों वाले राज्य गोवा में 11 (27.5%), 70 सीटों वाले राज्य उत्तराखंड में 7 (10%) और 60 सीटों वाले राज्य मणिपुर में 1 (1.7%) है.यह डेटा विशेष रूप से यूपी और पंजाब जैसे दो महत्वपूर्ण राज्यों पर केंद्रित है, जिसमें बीजेपी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और अन्य राजनीतिक दलों के जीतने वाले उम्मीदवारों की संख्या दिखाई गई है, जिन्होंने चुनाव से पहले वोटरों के जोश को बढ़ाने के लिए मंच और इसके फीचर्स का इस्तेमाल किया.उत्तर प्रदेश के लिए Koo खाते वाले पार्टीवार विजयी उम्मीदवारों में बीजेपी के 137 , सपा के 13, रालोद के 2 तथा अपना दल और कांग्रेस का एक-एक उम्मीदवार शामिल है. पंजाब के लिए Koo पर पार्टीवार विजयी उम्मीदवारों में आम आदमी पार्टी के 15, कांग्रेस के 6 और शिरोमणि अकाली दल का एक उम्मीदवार शामिल हैं.
यह आंकड़े बहुभाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग के विकास पर प्रकाश डालते हैं और बताते हैं कि कैसे मूल भाषा में अभिव्यक्ति के लिए सबसे बड़े मंच के रूप में Koo ऐप ने चुनाव के दौरान तेजी हासिल की. हिंदी और पंजाबी में मतदाताओं के साथ चर्चा के अलावा उम्मीदवारों ने जमकर इस बेहतरीन बहुभाषी कू (MLK or Multi-Lingual Koo) फीचर का इस्तेमाल किया. एमएलके फीचर मंच पर मौजूद विभिन्न भाषाओं में एक संदेश को रीयल टाइम में अनुवाद करने में सक्षम बनाता है. इस फीचर में पिछले दो महीनों की तुलना में 10 जनवरी से 10 मार्च 2022 की अवधि के दौरान इस्तेमाल में 442%की वृद्धि देखी गई, जिसमें उम्मीदवारों ने एमएलके का इस्तेमाल इलाके में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए किया.इस संबंध में कू ऐप के एक प्रवक्ता ने कहा, "कू ने सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को भारतीय भाषाओं की ताकत का इस्तेमाल करने में सक्षम बनाया है और पांच राज्यों के नवनिर्वाचित विधायकों में से एक चौथाई से अधिक ने अपने मतदाताओं तक पहुंचने के लिए हमारे मंच का लाभ उठाया है. ”चुनावों के दौरान मुख्य रूप से यूपी और पंजाब से, कू ऐप पर चर्चा ने मतदाताओं की संवेदनशीलता को प्रतिबिंबित किया जबकि यूपी के मतदाता बड़े पैमाने पर योगी आदित्यनाथ की वर्तमान भाजपा सरकार को फिर से चुनने के लिए बातचीत में लगे हुए थे; चर्चाओं में योगी आदित्यनाथ, अखिलेश यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य, राहुल गांधी और अपर्णा यादव जैसे प्रमुख नेताओं का भी नाम जमकर सामने आया. इस बीच, पंजाब के कू यूजर्स के बीच, सत्ता-विरोधी लहर में काफी तेजी देकने को मिली, जिसमें यूजर्स सरकार में बदलाव के बारे में बातचीत कर रहे थे. पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भगवंत मान, पूर्व सीएम चरण सिंह चन्नी, अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी और नवजोत सिंह सिद्धू जैसे नेताओं के बारे में राज्य के कू यूजर्स द्वारा व्यापक रूप से चर्चा की गई.
बता दें, Koo App की लॉन्चिंग मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं के एक बहुभाषी, माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के रूप में की गई थी ताकि भारतीयों को अपनी मातृभाषा में अभिव्यक्ति करने में सक्षम किया जा सके. भारतीय भाषाओं में अभिव्यक्ति के लिए एक अनोखे मंच के रूप में Koo App भारतीयों को हिंदी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, असमिया, बंगाली और अंग्रेजी समेत 10 भाषाओं में खुद को ऑनलाइन मुखर बनाने में सक्षम बनाता है. भारत में, जहां 10% से अधिक लोग अंग्रेजी में बातचीत नहीं करते हैं, Koo App भारतीयों को अपनी पसंद की भाषा में विचारों को साझा करने और स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्ति के लिए सशक्त बनाकर उनकी आवाज को लोकतांत्रिक बनाता है. मंच की एक अद्भुत विशेषता अनुवाद की है जो मूल टेक्स्ट से जुड़े संदर्भ और भाव को बनाए रखते हुए यूजर्स को रीयल टाइम में कई भाषाओं में अनुवाद कर अपना संदेश भेजने में सक्षम बनाती है, जो यूजर्स की पहुंच को बढ़ाता है और प्लेटफ़ॉर्म पर सक्रियता तेज़ करता है. प्लेटफॉर्म 2 करोड़ डाउनलोड का मील का पत्थर छू चुका है.
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