Farmers' Protests : दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन की गूंज अंतरराष्ट्रीय हलकों में सुनाई देने लगी है. दो महीनों से ज्यादा वक्त से चल रहा कृषि कानूनों के खिलाफ यह आंदोलन कई रंग ले चुका है. गणतंत्र दिवस के दिन निकाली गई ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा ने आंदोलनकारियों के लिए हालात मुश्किल कर दिए हैं, लेकिन किसान संगठन अभी भी अपनी मांग को लेकर दृढ़ हैं. बुधवार को भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने हरियाणा के जींद में हजारों किसानों के साथ महापंचायत की है, जिसमें उन्होंने आंदोलन के जरिए सरकार पर और दबाव बनाने की बात कही है.
क्या हैं ताजा अपडेट?
मंगलवार को इंटरनेशनल पॉप स्टार रिहाना ने किसानों पर एक आटिकल शेयर कर ट्वीट किया था, जिसके बाद से हलचल मच गई थी. रिहाना के अलावा और भी कई अंतरराष्ट्रीय शख्सियतों ने इस मुद्दे पर ट्वीट कर ध्यान खींचा तो विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर दिया, जिसमें कहा गया कि इस आंदोलन को भारत के लोकतांत्रिक अधिकारों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए और यह भी देखा जाना चाहिए कि सरकार समाधान करने के लिए लगातार संबंधित संगठनों के संपर्क में है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि 'यह आंदोलन देश के एक छोटे हिस्से के किसान कर रहे हैं.'
बहुत सी भारतीय शख्सियतों ने किया है बचाव में ट्वीट
विदेश से किसान आंदोलन पर टिप्पणियां आने के बाद अजय देवगन, लता मंगेशकर, अक्षय कुमार, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली सहित कई बड़े नामों ने इस संदर्भ में ट्वीट किया है कि किसी भी भारतीय मुद्दे पर विचार-विमर्श और फैसला करने के लिए भारत स्वयं में काफी है.
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किसान क्या कह रहे हैं?
किसान नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में बुधवार को हरियाणा के जींद में हजारों किसानों की मौजूदगी में महा-पंचायत हुई है, जहां पर टिकैत और दूसरे किसान नेताओं ने आंदोलन को ज्यादा जोश के साथ जारी रखने की हुंकार भरी है. टिकैत ने यहां किसानों के बीच सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि 'अगर कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो उसके लिए सत्ता में बने रहना मुश्किल हो जाएगा.'
उन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शनस्थलों को दिल्ली पुलिस की ओर से बैरिकेडिंग कर घेरे जाने पर भी आक्रोश जताया. उन्होंने कहा कि 'सरकार ने कीलें ठुकवाईं, तार लगवाए, लेकिन ये चीजें किसानों को नहीं रोक पाएंगी. राजा जब डरता है तो किलेबंदी करता है. मोदी सरकार किसानों के डर से किलेबंदी करने में जुटी है.'
कृषि कानूनों को लेकर क्या है स्थिति?
तीन कृषि कानूनों- 'कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020', 'कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020' और 'आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020' को लागू किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है. इन पर चर्चा के लिए कोर्ट ने एक समिति का निर्माण किया है, जिसने कुछ वक्त पहले अपनी पहली बैठक की थी. समिति अपनी एक वेबसाइट भी बना रही है, जहां इन कानूनों पर लोगों की राय और सुझाव मांगे जाएंगे.
वहीं, पिछले महीने सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच में 11वें और अभी तक के आखिरी चरण की बातचीत हुई थी, जिसमें दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हुए थे. किसान कानूनों को वापस कराना चाहते हैं, वहीं सरकार इनमें बदलाव करने के लिए चर्चा को राजी है. सरकार ने इन कानूनों को 18 महीनों तक होल्ड पर रखकर बातचीत जारी रखने का ऑफर भी दिया है, जिसे किसान नेताओं ने ठुकरा दिया है.
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