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This Article is From Feb 15, 2020

केजरीवाल ने पुराने दोस्तों से किया किनारा, अब 'दिल्ली के निर्माता' होंगे सहारा

रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल अपनी पूरी कैबिनेट के साथ तीसरी बार पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे. इस मौके पर अरविंद केजरीवाल ने दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों या पार्टी नेताओं को न्योता नहीं दिया है.

केजरीवाल ने पुराने दोस्तों से किया किनारा, अब 'दिल्ली के निर्माता' होंगे सहारा
अरविंद केजरीवाल 16 फरवरी को लेंगे शपथ (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल अपनी पूरी कैबिनेट के साथ तीसरी बार पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे. इस मौके पर अरविंद केजरीवाल ने दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों या पार्टी नेताओं को न्योता नहीं दिया है बल्कि 'दिल्ली के निर्माता' नाम का नया आईडिया लगाकर उन लोगों को आमंत्रित किया है जिनका बीते 5 साल में दिल्ली में अहम योगदान रहा है.आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की जानकारी दी .

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मनीष सिसोदिया ने कहा "बीते 5 साल में जिन लोगों ने दिल्ली को बनाने और चलाने में अहम योगदान दिया है और जो आगे भी दिल्ली को चलाने में योगदान देंगे ऐसे 50 अलग-अलग सेक्टर के लोगों को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया है. इन 50 लोगों में दिल्ली के टीचर, सिगनेचर ब्रिज के आर्किटेक्ट, आग बुझाते हुए जान देने वाले फायर फाइटर की फैमिली, डोर स्टेप डिलीवरी करने वाले लोगों के प्रतिनिधि, बाइक एम्बुलेंस से लोगों की मदद करने वाले लोग, फरिश्ते योजना के तहत दुर्घटना में घायल हुए लोगों को अस्पताल पहुंचा कर जान बचाने वाले लोग जैसे मेहमान शामिल होंगे"

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मनीष सिसोदिया ने कहा कि इन 50 मेहमानों को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ अलग से स्टेज पर बैठाया जाएगा. आपको बता दें कि अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में ना ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बुलाया जा रहा है, न महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और न ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बुलाया जा रहा है. जबकि अरविंद केजरीवाल के इन सबसे अच्छे संबंध माने जाते हैं और हाल ही में महाराष्ट्र और झारखंड में शपथ ग्रहण के लिए उद्धव ठाकरे और हेमंत सोरेन ने अरविंद केजरीवाल को न्योता दिया था

चर्चा चल रही है कि क्या अरविंद केजरीवाल अब यह मानने लगे हैं कि अपने इन राजनीतिक मित्रों के साथ दिखने, हाथ मिलाने से उनकी अलग राजनीति या नई राजनीति की छवि को नुकसान पहुंच रहा है और इसलिए वह अब इनसे किनारा करना चाहते हैं और इसी कारण शपथ ग्रहण समारोह में नहीं बुला रहे. 
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