
दिल्ली सरकार का विज्ञापन
नई दिल्ली:
दिल्ली की आम आदमी पार्टी की अरविंद केजरीवाल सरकार को हाईकोर्ट ने आज करारा झटका देते हुए कहा कि उनके विज्ञापन करदाताओं के रुपये की बरबादी है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मामले में साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन हुआ है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से पूछा है कि वह बताए कि कितना पैसा उन तमाम विज्ञापनों पर खर्च कर चुके हैं जो लगातार तमाम रेडियो और टीवी चैनलों पर चल रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.रोहिणी तथा न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने कहा कि जो भी आप कर रहे हैं, वह प्रथम दृष्टया सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग है।
न्यायालय ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी सख्त दिशा-निर्देशों तथा याचिकाओं में कही गई बातों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है, जिसमें प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों पर खर्च कुल राशि का ब्योरा दिया जाए।"
दो जजों की बेंच ने दिल्ली सरकार से कहा कि प्रथम दृष्टया आप (दिल्ली सरकार) जो भी कर रहे हैं वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लंघन है और सरकारी रुपये की बरबादी।
मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी। हाईकोर्ट ने यह राय उन तमाम याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दी जो इन सरकारी विज्ञापनों पर रोक के लिए दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस नेता अजय माकन भी शामिल हैं जो दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। केजरीवाल की पार्टी ने दिल्ली 70 में से 67 सीटें जीती थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल में कहा था कि सरकारी विज्ञापनों में राजनेता नहीं दिखाए जाने चाहिए। साथ ही कोर्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की तस्वीरों का प्रयोग किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सरकार का पैसा सरकार या नेताओं के महिमामंडन में नहीं खर्च किया जाना चाहिए।
वहीं केजरीवाल की पार्टी यानी आम आदमी पार्टी का दावा है कि फंड मांगने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विज्ञापन का खर्चा पार्टी ने उठाया था। हाल में दिल्ली बजट में सरकार ने 520 करोड़ रुपये विज्ञापनों के लिए निर्धारित किया था। विपक्षियों ने सरकार के इस कदम की काफी आलोचना दी।
आप पार्टी ने कहा कि इन विज्ञापनों में अरविंद केजरीवाल की आवाज है और कहीं भी उनकी तस्वीर नहीं दिखाई गई है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील राम दुग्गल से पूछा कि विज्ञापनों में खर्च राशि की व्यवस्था आप ने की या फिर यह राशि दिल्ली सरकार के खजाने से आई।
दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से पूछा है कि वह बताए कि कितना पैसा उन तमाम विज्ञापनों पर खर्च कर चुके हैं जो लगातार तमाम रेडियो और टीवी चैनलों पर चल रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.रोहिणी तथा न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने कहा कि जो भी आप कर रहे हैं, वह प्रथम दृष्टया सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का उल्लंघन और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग है।
न्यायालय ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी सख्त दिशा-निर्देशों तथा याचिकाओं में कही गई बातों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है, जिसमें प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों पर खर्च कुल राशि का ब्योरा दिया जाए।"
दो जजों की बेंच ने दिल्ली सरकार से कहा कि प्रथम दृष्टया आप (दिल्ली सरकार) जो भी कर रहे हैं वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लंघन है और सरकारी रुपये की बरबादी।
मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी। हाईकोर्ट ने यह राय उन तमाम याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दी जो इन सरकारी विज्ञापनों पर रोक के लिए दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस नेता अजय माकन भी शामिल हैं जो दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। केजरीवाल की पार्टी ने दिल्ली 70 में से 67 सीटें जीती थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल में कहा था कि सरकारी विज्ञापनों में राजनेता नहीं दिखाए जाने चाहिए। साथ ही कोर्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की तस्वीरों का प्रयोग किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सरकार का पैसा सरकार या नेताओं के महिमामंडन में नहीं खर्च किया जाना चाहिए।
वहीं केजरीवाल की पार्टी यानी आम आदमी पार्टी का दावा है कि फंड मांगने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विज्ञापन का खर्चा पार्टी ने उठाया था। हाल में दिल्ली बजट में सरकार ने 520 करोड़ रुपये विज्ञापनों के लिए निर्धारित किया था। विपक्षियों ने सरकार के इस कदम की काफी आलोचना दी।
आप पार्टी ने कहा कि इन विज्ञापनों में अरविंद केजरीवाल की आवाज है और कहीं भी उनकी तस्वीर नहीं दिखाई गई है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील राम दुग्गल से पूछा कि विज्ञापनों में खर्च राशि की व्यवस्था आप ने की या फिर यह राशि दिल्ली सरकार के खजाने से आई।
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