झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम के रुझान जो दिख रहे हैं उससे यह साफ होने लगा है कि राज्य की जनता ने राष्ट्रीय मुद्दों की जगह राज्य की स्थानीय समस्याओं को तरजीह दी और बीजेपी के मुद्दों में उसकी सरकार को नकार दिया. कांग्रेस-जेएमएम गठबंधन को अभी तक के रुझानों में पूर्ण बहुमत मिल गया है. फायदे में कांग्रेस, आरजेडी, जेएमएम है जबकि नुक्सान में जेवीएम, आजसू और निर्दलीय हैं. झारखंड में गठबंधन को मिल रही जीत पर तेजस्वी यादव ने कहा कि राज्य की जनता भ्रष्टाचार से त्रस्त है, बेरोजगारी बढ़ते जा रही है. इन सब कारणों से झारखंड की जनता ने हमारे गठबंधन को समर्थन दिया. राज्य में हमारी सरकार बनने जा रही है. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन ने चुनाव लड़ा और वही मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.
कांग्रेस गठबंधन ने इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर जोर दिया. गठबंधन ने आदिवासियों की समस्या, उनकी जड़, जंगल और जमीन के मुद्दे को इस चुनाव में काफी जोर शोर से उठाया.
बीजेपी अकेले चुनाव मैदान में उतरी. जिस समय झारखंड में चुनाव का दौर शुरू हुआ उस समय राम मंदिर का फैसला आ गया था. बीजेपी ने हरेक चुनावी रैली में इसका जिक्र किया. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का जिक्र लगभग सभी चुनावी रैली में हुआ. संसद में नागरिकता संशोधन बिल पारित हुआ तो यह जिक्र भी चुनावी भाषणों में होने लगा. लेकिन स्थानीय समस्याओं पर जिन मुद्दों को विपक्षी पार्टियां उठा रही थी बीजेपी उन मुद्दों पर जवाब नहीं दे पा रही थी. मतलब बीजेपी चुनावी सभाओं में राष्ट्रीय मुद्दों का जिक्र कर रही थी जबकि कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियां स्थानीय मुद्दों को उठा रही थी.
एक चुनावी रैली में उम्मीद से कम लोगों के आने को लेकर अमित शाह ने कहा कि आप लोग अपने अपने घर जाए और 50-50 लोगों को फोन कर बीजेपी को वोट देने के लिए कहें. इस संख्या से चुनाव नहीं जीती जा सकती है.
चुनाव प्रचार के दौरान एक और चीज देखने को मिली. बीजेपी के चुनावी पोस्टर में नरेंद्र मोदी के साथ रघुबर दास नजर आए जबकि पार्टी के अन्य स्थानीय नेता गायब थे. यही हाल बिहार में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान देखने को मिले थे. जबकि कांग्रेस-जेएमएम-आरजेडी गठबंधन के चुनाव प्रचार में पोस्टर जो छापे गए उसमें स्थानीय नेताओं को तरजीह दी गई.
बता दें, अभी तक के रुझानों के मुताबिक कांग्रेस-जेएमएम-राजद गठबंधन को बहुमत मिलता हुआ दिख रहा है. यह गठबंधन 42 सीटों पर आगे चल रहा है. वहीं शुरुआत में इस गठबंधन को कड़ी टक्कर देने वाली भाजपा पिछड़ गई है. भाजपा अब 27 सीटों पर सिमटी हुई दिख रही है. वहीं आजसू 6 और अन्य 3 सीटों पर आगे चल रही हैं.
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