झारखंड के गांव में 20 दिनों में 22 लोगों ने तोड़ा दम, कोरोना से मौत की आशंका

झारखंड (Jharkhand) के पलामू जिले के एक आदिवासी बहुल गांव ‘सुआ कौड़िया’ में पिछले बीस दिनों के भीतर 22 ग्रामीणों की संदिग्ध मौत हो गयी.

झारखंड के गांव में 20 दिनों में 22 लोगों ने तोड़ा दम, कोरोना से मौत की आशंका

मौत के कारणों की पुष्टि अभी नहीं हुई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

खास बातें

  • पलामू के सुआ कौड़िया गांव का मामला
  • 20 दिनों में 22 लोगों की संदिग्ध मौत
  • कोरोनावायरस से मौत की आशंका
पलामू:

झारखंड (Jharkhand) के पलामू जिले के एक आदिवासी बहुल गांव ‘सुआ कौड़िया' में पिछले बीस दिनों के भीतर 22 ग्रामीणों की संदिग्ध मौत हो गयी और आशंका है कि इनमें से अधिकतर की मौत कोरोना संक्रमण (Coronavirus) से हुई है, जिसे देखते हुए प्रमंड आयुक्त ने पूरे मामले की जांच के निर्देश उपायुक्त को दिये हैं. पलामू के उपायुक्त शशिरंजन ने बताया कि ‘सुआ कौड़िया' में मौतें होने की जानकारी जिला प्रशासन को है लेकिन मौत के कारणों की पुष्टि अभी नहीं हुई है.

जिला मुख्यालय से लगभग दस किलोमीटर दूर मेदिनीनगर प्रखण्ड के सुआ कौड़िया गांव में ये मौतें 25 अप्रैल से 15 मई के बीच हुई हैं और जिसमें सात महिलाएं सहित 22 ग्रामीण शामिल हैं. इस बीच मेदिनीनगर प्रखण्ड विकास पदाधिकारी अजहर हसनैन ने पुष्टि की कि पिछले तीन सप्ताह में अलग-अलग तिथियों में 21 लोगों की मौत हुई है, जिनमें कोविड -19 से हुई मौतें भी शामिल हैं.

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इस बारे में ‘सुआ कौड़िया' के रहने वाले और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के पलामू जिला इकाई के अध्यक्ष विजयानंद पाठक ने बताया कि उनके गांव में 22 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से छह लोगों की मौत निश्चित तौर पर कोविड-19 से हुई हैं जबकि शेष मौतें भी संदेहास्पद हैं. उन्होंने आशंका जतायी कि अन्य मौतों के लिए भी कोरोना संक्रमण ही कारण होगा लेकिन अन्य मृतकों के शव की कोविड-19 की जांच हुई ही नहीं, जिससे उनकी मौत के कारणों की पुष्टि की जा सके.

पाठक ने बताया कि, ‘सुआ कौड़िया' गांव में बीस दिन में बाईस लोगों की मौत एक अस्वाभाविक घटना है लेकिन जांच के लिए अब तक गांव में न चिकित्सक गये हैं और न ही गांव में कोविड-19 की जांच के लिए लिए कोई ठोस पहल हुई है.
पाठक ने चिकित्सा शिविर स्थापित करके व्यापक पैमाने पर गांव में जांच किए जाने की मांग जिला प्रशासन से की है.

ग्राम पंचायत ने बताया कि गांव में मरने वालों में निर्मल सिंह (26), बिंदास साव (34), शाहनबाज अंसारी (35), वाहिद अंसारी (15), मुंशी भुइयां (26), गफूर मियां (45), अन्नाज बैठा (29), प्रेम सिंह (46), कृष्णा सिंह(50), नंद कुमार सिंह (41), शंखावत ठाकुर (33) शंभू सिंह (47) के अलावा महिलाओं में कुंती देवी (30), आयशा बीबी (33), बिकीनी बेबी (14), कलावती देवी (38), सुरेखा देवी (40), जय श्री देवी (23), डोमन सिंह की मां (51) ब्रिजिया कुंवर (65), तरुण देव (28) तथा एक अन्य शामिल हैं.

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मृतक कृष्णा सिंह के बेटे जितेन्द्र सिंह ने बताया कि गांव में सिर्फ छह लोगों ने कोविड-19 की जांच करवाई थी और सभी में उसके लक्षण पाए गए थे, मगर समुचित इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गई. उन्होंने बताया कि पहले सर्दी और ज्वर एक साथ गांव में अलग-अलग लोगों को हुआ और इसे मामूली बीमारी समझ कर लोगों ने स्थानीय ‘झोला छाप' चिकित्सक से इलाज कराने की कोशिश की मगर उससे उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ .

‘सुआ कौड़िया' गांव में प्रायः हर समुदाय और जाति के लोग निवास करते हैं, मगर यहां मुख्य तौर से जनजातीय समुदाय के लोग ही रहते हैं, जिनकी आबादी 50 फीसदी से अधिक है. इस बीच पलामू प्रमंडल के आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने बताया कि पलामू जिले के उपायुक्त शशिरंजन को ठोस कदम उठाकर गांव के सभी लोगों की कोविड-19 की जांच कराने के लिए कहा गया है और साथ में ‘सुआ कौड़िया' गांव में ही चिकित्सा शिविर स्थापित कर सभी का इलाज शुरू करने को कहा है. उन्होंने कहा कि यह बहुत गंभीर बात है कि एक गांव में संदेहात्मक तरीके से लोगों की मौत होती रहे और स्थानीय प्रशासन को उसकी जानकारी नहीं हो.

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