केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार नीतीश कुमार की हैसियत कैसे तय करेगा ?

केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं के बीच भाजपा के सहयोगी दल मंत्रिमंडल में अपनी जगह को लेकर मुखर होते जा रहे हैं. शनिवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह ने सार्वजनिक रूप से कहा कि सहयोगियों को अब मंत्रिमंडल में जगह मिलनी चाहिए.

केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार नीतीश कुमार की हैसियत कैसे तय करेगा ?

केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर सामने आई जेडीयू की मांग. (फाइल फोटो)

पटना:

केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार (Union Cabinet Expansion) की चर्चाओं के बीच भाजपा (BJP) के सहयोगी दल मंत्रिमंडल में अपनी जगह को लेकर मुखर होते जा रहे हैं. शनिवार को जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह (RCP Singh) ने सार्वजनिक रूप से कहा कि सहयोगियों को अब मंत्रिमंडल में जगह मिलनी चाहिए. उन्होंने बातों-बातों में संकेत दिया कि ये प्रतिनिधव सांकेतिक नहीं बल्कि अनुपातिक होना चाहिए .

निश्चित रूप से सिंह का ये बयान उनके पार्टी में कई नेताओं को रास नहीं आया होगा. उनके अनुसार जिस तरीके से दो वर्ष पूर्व नीतीश कुमार ने भाजपा के सांकेतिक मतलब हर सहयोगी दल से एक व्यक्ति को मंत्री बनाये जाने के प्रस्ताव को ठुकराया था, वैसे में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए निमंत्रण भाजपा के तरफ़ से आता तो उसका महत्व ज्यादा होता. वर्तमान परिस्थितियों में नीतीश के करीबी आरसीपी सिंह के बयान से साफ है कि जनता दल यूनाइटेड अधिक ललायित है और उसने इस बयान के माध्यम से अर्ज़ी लगा दी है.

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बिहार भाजपा के नेताओं का कहना है कि कम सीटें आने पर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बने. इसके बाद किसी तरह की मांग कर दबाव की राजनीति जनता दल यूनाइटेड ख़ासकर उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष को शोभा नहीं देती. क्योंकि मंत्रिमंडल में सहयोगियों के साथ से भाजपा कभी पीछे नहीं हटी, बल्कि अनुपातिक प्रतिनिधिव की मांग को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से मना कर दिया था. हांलाकि भाजपा के नेता मानते हैं कि बंगाल चुनाव के परिणाम के बाद सभी सहयोगी अब अपनी मांगों को लेकर मुखर हैं.

आगामी यूपी चुनाव के मद्देनजर नीतीश कुमार की भी एक सीमित अहमियत है. ऐसे में जदयू की दो से तीन मंत्री बनाने की इच्छा सार्वजनिक रूप से रखना स्वाभाविक है. नीतीश और भाजपा के समर्थकों का कहना है कि चिराग पासवान का मसला तय करेगा कि भाजपा, नीतीश कुमार को कितना महत्व देती है.

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जदयू ने साफ कर दिया है कि रामबिलास पासवान की जगह चिराग पासवान को नहीं मिलनी चाहिए. वहीं, भाजपा का मानना है कि चिराग अगर तेजस्वी यादव के साथ महागठबंधन में जाते हैं तो लोकसभा चुनाव में इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है. ऐसे में भाजपा के लिए फिलहाल दोनों को साथ रखना राजनीतिक मजबूरी है. जदयू के नेताओं का मानना है कि चिराग के शामिल होने से नीतीश कुमार की राजनीतिक हैसियत पर एक और धब्बा लगेगा. क्योंकि चुनाव परिणाम के बाद भी चिराग, नीतीश सरकार के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं.